आरडीआर का उद्देश्य

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  • सामाजिक क्षेत्र में रोजगार का अवसर देना- आरडीआर एक ऐसा प्रस्तावित उपकरण है जो सरकार और बाजार से बहिष्कृत किए गए बेरोजगार युवक-युवतियों को का अवसर दे सकता है. उनके द्वारा किए गए सामाजिक और राजनीतिक सुधारों संबंधी कार्यों के बदले कुछ समय अंतराल के बाद भुगतान देने का माध्यम बन सकता है. सरकार को चाहिए कि वह आरडीआर की योजना में रचनात्मक सहयोग दे. जिससे राजनीतिक दल में शामिल होकर एक आम बेरोजगार इंसान भी समाज सुधार और राजनीतिक सुधार कार्यों में अपनी योग्यता और अपनी क्षमता के अनुरूप अपना योगदान दे सकें।
  • समाज का विखंडन रोकना- एक ही समुदाय की समस्याओं पर या समाज की एक ही समस्या पर काम करने वाले तमाम सामाजिक व राजनीतिक संगठनो की एकजुट ताकत पैदा कर सकता है.
  • कई दलों का लाभ उठाने का अवसर सबको देना- आर्थिक अन्याय की एक ही पीड़ा से पीड़ित लोगों की ताकत उतने टुकड़ों में टूट जाती है, जितने राजनीतिक दल बनते हैं। इसका कारण यह होता है कि चुनाव आयोग के कारण एक से अधिक राजनीतिक दलों का सदस्य नहीं बन सकता। किंतु एक से अधिक राजनीतिक दलों को चंदा दे सकता है। आयोग द्वारा  यह प्रवधान चंदा देने वाले कॉर्पोरेट ताकतों द्वारा जुड़वाई गई है. जिससे कॉर्पोरेट सभी दलों का लाभ उठा सकें और बाकी समाज के लोग केवल एक ही दल का लाभ उठा सकें। इसीलिए कोई ऐसा उपाय होना चाहिए जो अलग-अलग दलों के सदस्यों को एक मंच उपलब्ध कराता हो और उनको एकजुट बने रहने का अवसर वापस उन्हें देता हो। यानी आरडीआर एक ऐसा उपाय है; जिससे कार्पोरेट घरानों की तरह अलग-अलग राजनीतिक दलों के सदस्यों को भी एक से अधिक दलों का लाभ उठाने का अवसर मिल जाये.
  • वोटरों और दलों का आर्थिक रिश्ता जोड़ना- आडीआर एक ऐसा उपाय है जिससे सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के संचालन का खर्च स्वयं निम्न व मध्यम वर्ग के लोग ही उठाएं।
  • वोटर मीडिया पैदा करना- आरडीआर एक ऐसा उपाय है जिससे कारपोरेट मीडिया के विकल्प के तौर पर वोटर मीडिया का नेटवर्क गांव-गांव मोहल्ला मोहल्ला खड़ा हो जाए, जिसमें शिशु स्वरूप वोटरों को कारपोरेट मीडिया द्वारा प्रचारित आत्मघाती कार्यक्रमों का समर्थन करके नुकसान उठाने से सुरक्षित रखा जा सके और उनको उनके आर्थिक हितों के अनुरूप सूचनाएं व मार्गदर्शन नियमित मिलता रह सके।
  • कारपोरेट घरानों द्वारा अपहृत दलों को मुक्त कराना-  कारपोरेट घरानों को सक्षम कानूनों द्वारा बाध्य किया जाना चाहिए कि वह राजनीतिक दलों को चंदा एक ऐसी व्यवस्था के माध्यम से ही दे सकें जिससे चंदा देने वाले को यह नहीं मालूम हो सके, कि उसने चंदा किसको दिया और चंदा लेने वाले को यह नहीं मालूम हो सके की चंदा किसने दिया. और अपना दिया हुआ चंदा या अपने द्वारा किये गये दीर्घकालिक निवेश के बदले अनिश्चितकालीन अवधि में इतनी राशि वापस पा सके, जिससे अधिक से अधिक लोग अधिक से अधिक चंदा देना पसंद करें।
  • राज्य को पुनर्जीवित करना- आरडीआर एक ऐसा उपाय है; जिससे राज्य को फिर से जिंदा किया जा सके और संवैधानिक मशीनरी को वापस पटरी पर लाया जा सके।
  • राजनीतिक दलों व सामाजिक संगठनों को साझा मंच सुलभ कराना- आरडीआर एक ऐसा उपाय है; जिससे सभी राजनीतिक दलों को अपने-अपने सदस्यों के आर्थिक हितों को पूरा करने के लिए दलीय एकजुटता का अवसर मिल सके.