शांति और भागीदारी के लिए वैश्विक समझौता
शांति एवं भागीदारी के लिए वैश्विक संधि के लिए पूरे विश्व के संगठनों का गठबंधन
संविधान
विषय – सूची
अनुच्छेद-1 |
गठबंधन का परिचय
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अनुच्छेद-2 |
गठबंधन का प्रतीक चिह्न |
अनुच्छेद-3 |
गठबंधन की निष्ठा और विश्वास |
अनुच्छेद-4 |
गठबंधन के अंग, उपांग, नीति निर्देशक और अन्य गठबंधनों से गठबंधन |
अनुच्छेद-5 |
गठबंधन की सदस्यता |
अनुच्छेद-6 |
गठबंधन की विभिन्न इकाइयों के अधिकारों और कर्तव्यों से संबन्धित प्रावधान |
अनुच्छेद-7 |
साधारण सभा |
अनुच्छेद-8 |
कार्यसमितियाँ |
अनुच्छेद-9 |
संसदीय समितियां |
अनुच्छेद-10 |
निर्वाचन प्राधिकरण |
अनुच्छेद-11 |
चुनाव प्रत्याशी चयन परिषद |
अनुच्छेद-12 |
न्यायिक परिषद |
अनुच्छेद-13 |
लोक सेवा भर्ती परिषद |
अनुच्छेद-14 |
समन्वय परिषदें |
अनुच्छेद-15 |
गठबंधन कोष |
अनुच्छेद-16 |
सुरक्षा परिषद |
अनुच्छेद-17 |
जन संचार परिषद |
अनुच्छेद-18 |
गठबंधन के उपांग |
अनुच्छेद-19 |
गठबंधन के सहयोगी संगठन |
अनुच्छेद-20 |
गठबंधन से सम्बद्ध संगठन |
अनुच्छेद-21 |
गठबंधन द्वारा अधिकृत संगठन |
अनुच्छेद-22 |
गठबंधन के किसी अन्य गठबंधन/गठबंधनों से गठबंधन करने संबंधी प्रावधान |
अनुच्छेद-23 |
दूसरी पार्टियों और दूसरे गठबंधन द्वारा मान्यताप्राप्त या सहयोगी या सम्बद्ध या अधिकृत गांठबंधनों के रूप में कार्य करने संबंधी प्रावधान |
अनुच्छेद-24 |
गठबंधन के नीति निर्देशक |
अनुच्छेद-25 |
सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, आनुवांशिक और जहनिक आधारों पर वर्गीकृत समाज के विभिन्न वर्गों को प्रतिनिधित्व देने के लिए समवेशी उपबंध |
अनुच्छेद-26 |
नियमों का पालन करने के उद्देश्य से अनुशासनात्मक कार्यवाही करने संबंधी प्रावधान |
अनुच्छेद-27 |
गठबंधन के संविधान में संशोधन और व्याख्या संबंधी उपबंध |
अनुच्छेद-28 |
गठबंधन का विखंडन या विलयन |
अनुच्छेद-29 |
संविधान का अनुवाद |
अनुच्छेद-30 |
संविधान की अनुसूचियाँ |
अनुच्छेद-31 |
फॉर्मों के प्रारूप |
अनुच्छेद-32 |
गठबंधन के रजिस्टर |
अनुच्छेद-33 |
गठबंधन में नए अनुच्छेदों, प्रावधानों, उप-प्रावधानों के जोड़े जाने संबंधी उपबंध |
अनुसूची – 1 |
तकनीकी शब्दावली – संविधान में प्रयुक्त शब्दों की व्याख्या |
अनुसूची – 2 |
गठबंधन की विभिन्न इकाइयों की कार्यसूची |
अनुसूची – 3 |
गठबंधन की विभिन्न इकाइयों में कोष के वितरण संबंधी प्रावधान |
अनुसूची – 4 |
प्रकोष्ठों की सूची |
अनुसूची – 5 |
मोर्चों की सूची |
अनुसूची – 6 |
कार्यवाही की सूची |
अनुसूची – 7 |
गठबंधन की समावेशी नीति के तहत अपने गए नियम, विनियम, प्रावधान और उपनियम |
अनुसूची – 8 |
गठबंधन के संशोधनों की सूची |
अनुसूची – 9 |
आवेदन पत्रों के प्रारूप |
अनुसूची – 10 |
गठबंधन के रजिस्टर |
अध्याय 1
- अनुच्छेद 1
गठबंधन का नाम – गठबंधन का नाम होगा शांति और भागीदारी वास्ते वैश्विक गठबंधन, जिसे आगे से संक्षेप में ‘गठबंधन’ या गैप या वैश्विक मंच कहा जाएगा।
- गैप संविधान की प्रस्तावना –
आवश्यक राजनैतिक कानूनी व संवैधानिक सुधारों को लागू कर, केवल देश ही नहीं पूरे विश्व पर लोकतांत्रिक कानून का शासन लागू करने; जनमानस व राज्य की प्रभुसत्ता के क्षैतिज व ऊर्ध्वाधर घटकों को पहचानने व उनको मान्यता दिलाने और उन घटकों को राज्य की निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी दिलाने; भ्रातृत्व, लोकतंत्र और राजनीतिक तथा आर्थिक अवसरों की क्षमता विश्व के सभी देशों के सभी लोगों को सुलभ कराने; पूरे विश्व में हिंसा, आर्थिक गुलामी, गरीबी और पर्यावरणीय असंतुलन पैदा करने वाली परिस्थितियों को समाप्त करने में सक्षम संपूर्ण विश्व के सभी लोगों को न्याय आधारित राजनीति व आर्थिक विश्व व्यवस्था विकसित करने और 1994 में संपन्न व्यापार व तटकर पर सामान्य समझौते के दुष्परिणाम स्वरूप पैदा हुई सामाजिक समस्याओं को हल करने; विश्व की राजनैतिक व आर्थिक समस्याओं का समाधान करने; विश्व संसद व संविधान संघ द्वारा लिखित धरती की सरकार के संविधान को देशों की सरकारों द्वारा मंजूरी दिलाने; पूरे विश्व के सभी देशों के संगठनों का गठबंधन बनाना।
विश्व के नागरिकों द्वारा पूरे विश्व के सभी नागरिकों की समस्याओं का समाधान पूरे विश्व के सभी नागरिकों के लिए किया जाएगा।
- गठबंधन के सिद्धांत, दर्शन और मान्यताएं –
गठबंधन के संगठन निम्नलिखित मान्यताओं को समझने और विश्वास करने का प्रयत्न करेंगे –
- समकालीन राजनीतिक सुधारक श्री विश्वात्मा द्वारा लिखित पुस्तकों यथा-‘जनोपनिषद’, ‘लोकतंत्र की पुनर्खोज’ और ‘लोकनीति व राजनीति का पासवर्ड’ में अतीत के महापुरुषों व दार्शनिकों के निष्कर्षों का और राज्य की मशीनरी द्वारा समाधान की जा सकने वाली समस्त समस्याओं और उनके समाधान के उपायों का समावेश है। इन पुस्तकों की विषय वस्तु में भविष्य में पैदा होने वाली समस्याओं और चुनौतियों के समाधान के लिए वर्तमान में किए जाने वाले उपायों की जानकारी दी गई है।
- मानव जाति के समस्त लोग एक साझे शरीर की कोशिका की तरह बर्ताव करते हैं। जिस प्रकार किसी शरीर के किसी बीमार अंग को काट कर शरीर से अलग करके दूर ले जाकर उसका इलाज करना संभव नहीं है, उसी प्रकार संसार के किसी एक देश की समस्या को विश्व से अलग करके खत्म नहीं किया जा सकता।
- मानव और धरती दोनों प्रकृति के नियमों से बने हैं। इसलिए प्रत्येक मानव का यह मूल अधिकार व जन्म सिद्ध अधिकार है कि वह धरती के किसी भी कोने में आने व जाने के लिए स्वतंत्र हो। उसके इस अधिकार का उल्लंघन उसके मूल अधिकार का भी उल्लंघन है। किसी मकान में रहने वाला वाला उस मकान में घुसने से किसी व्यक्ति को मना कर सकता है। ठीक इसी प्रकार पूरी धरती पर घूमने से मना करने का अधिकार सिर्फ धरती के निर्माता को ही हो सकता है, देशों के निर्माताओं को नहीं। इस निष्कर्ष की समझ न होने के कारण हिंसा और आतंकवाद रोकने के लिए बने वीजा और पासपोर्ट के परंपरा व कानून ही आज युद्ध, हिंसा और आतंकवाद के प्रमुख कारण बन गए हैं। विश्व से युद्ध हिंसा और आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए राजनीतिक अंधविश्वास पर बने वीजा और पासपोर्ट की परंपराओं और कानूनों को खत्म किया जाना अपरिहार्य है।
- जिस प्रकार मानव शरीर की उम्र तय होती है, उसी प्रकार मानव समाज की भी एक तयशुदा उम्र है। जिस प्रकार मानव शरीर में उम्र के साथ उसके स्वभाव में परिवर्तन आता रहता है, उसी प्रकार मानव समाज का स्वभाव भी उम्र के साथ बदलता रहता है। इसीलिए किसी भी समुदाय के मूल्य, विश्वास और नियमों की उम्र भी अनंत कालिक नहीं होती। समय बीतने पर उसमें परिवर्तन आता रहता है।
- अतींद्रिय परमसुख और जीवन आनंद ना तो पैदा किया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता है। इनका केवल परस्पर चेतना से शरीर में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में; एक समुदाय से दूसरे समुदाय में; एक देश से दूसरे देश में और एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में स्थानांतरण भर हो सकता है।
- प्रकृति के नियमों के अनुसार किसी व्यक्ति को किसी दूसरे व्यक्ति से अधिक मजबूत इसीलिए नहीं बनाया गया है कि वह अपने से कमजोर को सताए या क्षति पहुंचाए। अपितु इसी लिए बनाया गया है कि वह अपने से कमजोर की सुरक्षा करे।
- किसी एक वस्तु के विकेंद्रीकरण के लिए किसी दूसरी वस्तु का केंद्रीकरण करना आवश्यक होता है। उदाहरण के लिए अधिक दूर के खेत की सिंचाई के लिए अधिक पावर के मोटर की आवश्यकता होती है। यानी विकेंद्रीकरण के साध्य के लिए केंद्रीकरण के साधन की आवश्यकता होती है।अतः गैप गठबंधन की ऊर्जा को विकेंद्रीकरण में लगाने की बजाय केंद्रीकरण के लाभों को जन-जन तक विकेंद्रित करने में लगाया जाएगा।
- विनिमय माध्यम यानी मुद्रा सामूहिक उद्यम व प्रयासों की पैदावार होती है। इसीलिए मुद्रा के मूल्य को पाने के लिए जीवन के मूल्यों से समझौता करना आवश्यक होता है।
- व्यक्ति की निजी आमदनी में करेंसी नोट पैदा करने वाले राजनीतिक तंत्र का, कानूनों का और प्राकृतिक संसाधनों का हिस्सा भी होता है। यह हिस्सा किसी व्यक्ति की आय में उतना ही अधिक होता है, जितना अधिक उसकी आमदनी होती है।
- दो समुदायों, जिनके बीच ऐतिहासिक शत्रुता दिखाई देती है और जो राजनीतिक विचारधाराएं आपस में परस्पर शत्रु दिखाई देती हैं, वे बिजली के गर्म और ठंडे तारों की तरह होती हैं। यदि इन को आपस में सीधे स्पर्श करा दिया जाए, तो चिंगारी पैदा होती है और आग लग जाती है। यदि इनको बीच में फिलामेंट लगाकर स्पर्श कराया जाए, तो प्रकाश पैदा हो जाता है। अतः परस्पर विरोधी समुदाय और विचारधाराएं एक दूसरे के लिए घातक किंतु संपूर्ण समाज के लिए उपयोगी हैं।
- गैप गठबंधन की कार्यप्रणाली सच्चे अर्थों में लोकतांत्रिक होगी। गठबंधन का निर्णय प्रत्येक इकाई और प्रत्येक स्तर पर बहुमत से लिया जाएगा।
- गठबंधन की राजनीतिक इकाई संबंधित देशों में चुनाव संचालित करने वाली एजेंसियों के अनुसार अपने संबंधित देश के सदस्य संगठनों के माध्यम से राजनीतिक ध्रुवीकरण कराने का कार्य करेगी।
गठबंधन निम्नलिखित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कार्य करेगा
- इस संविधान की अनुसूची – 2 में दिए गए कार्यों को संपादित करना,
- कानूनी और संवैधानिक सुधारों को लागू करवाकर कानून का शासन केवल देश के स्तर पर ही नहीं अपितु वतन, राष्ट्र तथा संपूर्ण राष्ट्र यानी पूरे विश्व के स्तर पर भी लागू करना।
- सामाजिक कल्याण, सामाजिक सशक्तिकरण और साझा हितों के लिए समान दृष्टिकोण और समान उद्देश्य रखने वाले विश्व के समस्त व्यक्तियों और संगठनों का गठबंधन बनाना।
- साझी समस्याओं से पीड़ित किंतु विभिन्न जातियों, समुदायों, भाषाओं, राजनीतिक पार्टियों, गठबंधन और विविध देशों में तितर-बितर और असंगठित विश्व समाज के साझे मुद्दों, साझी शिक्षण प्रशिक्षण के लिए संयुक्त प्रयास और संघर्ष करने हेतु सामूहिक सहयोग के लिए, चुनावों में सीटों के तालमेल के लिए एवं साझे शक्ति प्रदर्शन के लिए साझा मंच बनाना।
- लोकतंत्र को केवल शब्दों में ही नहीं, अपितु ढांचे में; शासन के परिणामों में; पारदर्शिता और उत्तरदायित्व में भी लिखित संविधान द्वारा सुनिश्चित करना।
- राज्य और प्रभुसत्ता के क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर घटकों को पहचानना और मान्यता दिलाना।
- विश्व के सभी नागरिकों के लिए राजनीतिक व आर्थिक अवसरों की समानता, बंधुता, न्याय और सच्चा लोकतंत्र सुलभ कराने के लिए सक्षम विश्व व्यवस्था विकसित करना।
- सन 1994 में संपन्न व्यापार और तटकर पर संधि के दुष्परिणामों का सामना करने के लिए विश्व संविधान और संसद संघ द्वारा निर्मित धरती के संविधान की अंतरराष्ट्रीय मंजूरी के लिए; अपने-अपने देश की विश्व स्तरीय समस्याओं के समाधान के लिए और अपने-अपने संगठन व संस्थान के कर्मियों को उनके सामाजिक कार्य के बदले भुगतान दिलाने के लिए जरूरी संयुक्त कार्यक्रम को संचालित करने के लिए विश्व भर के राजनीतिक दलों, गैर सरकारी संगठनों तथा कल्याणकारी कंपनियों का एक गठबंधन बनाना।
- राज्य और बाजार दोनों में संतुलन और दोनों की पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
- उत्पादन के संसाधनों के निकम्मेपन को खत्म करने के लिए इनके स्वामित्व को अधिकतम उत्पादक हाथों तक हस्तांतरित करना।
- भारत की संसद में सन 2005 में प्रस्तुत किए गए वोटरशिप विधेयक को कानून का दर्जा दिलाना, जिसमें सामाजिक सुरक्षा की लोकतांत्रिक व्यवस्था पैदा हो सके और समावेशी विकास संभव हो सके। यानी विकास में प्रत्येक व्यक्ति को लोकतांत्रिक भागीदारी मिल सके।
- परस्पर विरोधी राजनीतिक विचारधाराओं में सभी को राजनीतिक व आर्थिक सत्ता में भागीदारी दिलाना।
- वतन स्तरीय, प्रराष्ट्र स्तरीय और राष्ट्र यानी विश्व स्तरीय सशर्त नागरिकता दिलाने के लिए कार्य करना
- प्रत्येक नागरिक, प्रत्येक परिवार और प्रत्येक गांव/वार्ड की ऊर्ध्वाधर इकाइयों को विश्व स्तरीय ऊर्ध्वाधर इकाइयां क्रमशः वैश्विक, अर्ध वैश्विक और पड़ोसी देशों के यूनियन (वतन) स्तरीय राज्य की इकाइयों के निर्णय में भागीदारी की शक्ति प्रदान करने के विषय में काम करना।
- वोटरों के आर्थिक हितों की समृद्धि के लिए आर्थिक व सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करने वाले व्यक्तियों और संगठनों को उनके कार्यों के बदले भुगतान के उद्देश्य से आवश्यक राजनीतिक, कानूनी और संवैधानिक सुधारों को कार्यान्वित करना।
- दो परस्पर विरोधी राजनीतिक विचारधाराओं और समुदायों के बीच फिलामेंट की तरह कार्य करके समाज को हिंसा, आतंकवाद, युद्ध और अन्याय से सुरक्षा देना।
शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीकों से गठबंधन के उद्देश्यों और सिद्धांतों को हासिल करने के लिए गठबंधन की गतिविधियां निम्नलिखित होंगी-
- जो संगठन आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के सशक्तिकरण के लिए काम करते हैं, उनको संसाधनों का आवंटन प्राथमिकता के आधार पर करना;
- राजनीतिक पार्टियों, गैर राजनीतिक संगठनों, कल्याणकारी कंपनियों, सड़कों के आंदोलनों, अभियानों, विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों आदि की नेटवर्किंग करना;
- गठबंधन के विभिन्न कार्यक्रमों को संचालित करने के लिए विभिन्न दलों, संगठनों, संस्थानों, न्यासों, फर्मों व कंपनियों को सम्बद्ध और अधिकृत करना;
- विश्व भर के राजनीतिक दलों, गैर सरकारी संगठनों, कल्याणकारी न्यासों व कंपनियों को गठबंधन की सदस्यता प्राप्त करने के लिए उन्हें प्रेरित करना;
- मीडिया के माध्यम से उन संगठनों का उनके सदस्यों व जनसाधारण के बीच पर्दाफाश करना, जो अपने नेतृत्व के आर्थिक व राजनीतिक स्वार्थ मात्र के लिए इस गठबंधन से जुड़ने के लिए तैयार नहीं होते।
- गठबंधन के उद्देश्यों (गैप संधि) के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाना; जागरूकता के लिए रैलियां, प्रदर्शन, भूख हड़ताल, जनसभाएं, प्रशिक्षण व कार्यशाला आयोजित करना; पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन करना; रेडियो, टीवी चैनल संचालित करना।
अध्याय 2
अनुच्छेद 2
गठबंधन का प्रतीक चिन्ह और मोनोग्राम
गैप गठबंधन का प्रतीक चिन्ह एक ऐसी ग्लोब की तस्वीर होगी, जिसके नीचे ग्लोबल डेमोक्रेसी लिखा होगा। गठबंधन की केंद्रीय कमेटी के पास यह प्रतीक चिन्ह संशोधित या परिवर्तित करने का अधिकार होगा।
अनुच्छेद 3
गठबंधन की निष्ठा और विश्वास
गैप गठबंधन निम्नलिखित अंतर्विरोधों के अस्तित्व को स्वीकार करने के साथ-साथ गठबंधन के सदस्य संगठनों के संविधान में सच्ची निष्ठा और विश्वास रखता है। अंतर्विरोधों की सूची इस प्रकार है-समाजवाद और पूंजीवाद, नास्तिकता और आस्तिकता, धार्मिक आस्थाएं और धर्मनिरपेक्षता, वामपंथ और दक्षिणपंथ, लोकतंत्र और तानाशाही, एकल और बहुल प्रभुसत्ता, स्थानीय और वैश्विक नागरिकता, सत्ता के पृथक्करण का क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर विभाजन, हिंसक और अहिंसक सामाजिक सुधारक शक्तियां, देशों की एकता और अखंडता व उनकी प्रभुसत्ता और विश्व की प्रभुसत्ता।
अध्याय 3
अनुच्छेद 4
गठबंधन के अंग, उपांग, नीति निर्देशक और अन्य गठबंधनों से गठबंधन
गठबंधन के उद्देश्यों को हासिल करने के लिए गठबंधन के कुछ अंग, उपांग, नीति निर्देशक, गठबंधन और नेता होंगे। गठबंधन की केंद्रीय कमेटी की अनुमति से गठबंधन की शासकीय इकाइयां गठबंधन की निम्नलिखित इकाइयों का गठन करेंगे-
-
- गठबंधन के अंग
- कार्यसमिति
- साधारण सभा
- संसदीय परिषद
- निर्वाचन प्राधिकरण
- निर्वाचन प्रत्याशी चयन परिषद
- न्यायिक परिषद
- लोक सेवा नियुक्ति परिषद
- समवर्ती समन्वय परिषद
- क्षैतिज समन्वय परिषद
- गठबंधन कोष
- सुरक्षा परिषद
- जन संचार परिषद
- राजनीतिक दल नियामक प्राधिकरण
- गैर सरकारी संगठन नियामक प्राधिकरण
- कंपनी नियामक परिषद
- शून्य सदस्यता के संगठन
- शून्य सदस्यों की सभा
- गठबंधन के उपांगों के नाम
- गठबंधन के प्रकोष्ठ
- गठबंधन के मोर्चे
- गठबंधन के ऑपरेशन
- गठबंधन के सहयोगी
- सदस्य संगठन
- संचालित संगठन
- संबद्ध संगठन
- अधिकृत संगठन
- नीति निर्देशक
- गठबंधन की केंद्रीय कमेटी ने गठबंधन के मंच पर संगठनों को जोड़ने की यांत्रिकी, जो इस संविधान द्वारा व्यक्त होती है, के अन्वेषक श्री विश्वात्मा को गठबंधन का प्रेरणा स्रोत (मेंटर) चुना है। अगली प्रक्रिया के तहत श्री विश्वात्मा या उनके द्वारा अधिकृत गठबंधन को समर्पित सर्वोत्तम 5 संगठन सामूहिक सर्वसम्मति से किसी भी पांच व्यक्तियों के नामों की एक सूची तैयार करेंगे। उनमें से एक को गठबंधन की केंद्रीय कमेटी दो तिहाई बहुमत से गठबंधन का नीति निर्देशक चुनेगी।
- अन्य गठबंधनों के साथ गठबंधन
- गैप गठबंधन किसी भी अन्य गठबंधन के साथ गठबंधन करते समय उस गठबंधन के लिखित संविधान के प्रावधानों से परिभाषित उसके कार्यक्षेत्र की व्यापकता अधिक पाए जाने पर उसके संविधान के प्रावधानों के अनुरूप गठबंधन करेगा।
- गठबंधन के विभिन्न इकाईयों के ऊर्ध्वाधर स्तर
- गठबंधन की इकाइयों के सभी स्तरों को 5 वर्गों में वर्गीकृत किया जाएगा। ये पांचो वर्ग निम्नलिखित हैं-
- जीरो स्तर
- प्रबंधकीय स्तर
- शासकीय स्तर
- निर्वाचन क्षेत्रीय स्तर
- एक्शन स्तर
- जीरो स्तर का नाम
- प्रबंधकीय (Managerial) स्तरों के नाम
- क्षेत्रीय स्तर (प्रथम ‘एम’ स्तर)
- जनपद स्तर (द्वितीय ‘एम’ स्तर)
- शासकीय (Governing)स्तरों के नाम
- परादेशिक स्तर (प्रथम ‘जी’ स्तर)
- देशिक स्तर (द्वितीय ‘जी’ स्तर)
- वतन स्तर (तृतीय ‘जी’ स्तर)
- प्रराष्ट्रीय स्तर (चतुर्थ ‘जी’ स्तर)
- राष्ट्रीय स्तर (पंचम ‘जी’ स्तर)
- निर्वाचन (Constituency) क्षेत्रीय स्तरों के नाम
- विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र स्तर (प्रथम ‘सी’ स्तर)
- लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तर (द्वितीय ‘सी’ स्तर)
- ग्राम वार्ड संसदीय क्षेत्र स्तर (तृतीय ‘सी’ स्तर)
- परिवार संसदीय क्षेत्र स्तर (चतुर्थ ‘सी’ स्तर)
- नागरिक संसदीय क्षेत्र स्तर (पंचम ‘सी’ स्तर)
- एक्शन (Action) स्तरों के नाम
- ब्लॉक/टाउन एरिया स्तर (प्रथम ‘ए’ स्तर)
- सर्किल स्तर (द्वितीय ‘ए’ स्तर)
- सेक्टर (गांवों/वार्डों का समूह) स्तर (तृतीय ‘ए’ स्तर)
- ग्राम/वार्ड स्तर (चतुर्थ ‘ए’ स्तर)
- बूथ स्तर (पंचम ‘ए’ स्तर)
- गठबंधन के विभिन्न स्तरों पर गठबंधन के इकाइयां गठित करने की प्रक्रिया
- केंद्रीय साधारण सभा की अनुमति से केवल गठबंधन की केंद्रीय कमेटी को ही किसी स्तर पर नई इकाई गठित करने का अधिकार होगा।
- केंद्रीय कमेटी अपने क्षेत्रीय कमेटियों को किसी नए स्तर पर नई इकाई के गठन के लिए अधिकृत कर सकती है।
- गठबंधन के विविध स्तरों की साधारण सभाओं के नाम
- राज्यसभा (राज्य स्तरीय साधारण सभा)
- लोकसभा (देश स्तरीय साधारण सभा)
- ग्राम सभा (वतन स्तरीय साधारण सभा)
- परिवार सभा (परराष्ट्र स्तरीय साधारण सभा)
- नागरिक सभा (राष्ट्र स्तरीय साधारण सभा)
- साधारण सभा (केंद्रीय स्तरीय साधारण सभा)
- गठबंधन के विभिन्न अंगों के प्रमुखों के पद नाम
- संसदीय परिषद अध्यक्ष
- निर्वाचन प्राधिकरण अध्यक्ष
- निर्वाचन प्रत्याशी चयन परिषद अध्यक्ष
- न्यायिक परिषद अध्यक्ष
- लोक सेवा भर्ती परिषद महानिदेशक
- ऊर्ध्वाधर समन्वय परिषद फिलामेंट समन्वयक (ऊर्ध्वाधर)
- क्षैतिज समन्वय परिषद फिलामेंट समन्वयक (क्षैतिज)
- गठबंधन कोष महाप्रबंधक
- सुरक्षा परिषद महानिदेशक
- जनसंचार प्राधिकरण प्रवक्ता
- राजनीतिक दल नियामक प्राधिकरण अध्यक्ष
- गैर राजनीतिक संगठन नियामक प्राधिकरण महा समन्वयक
- कंपनी नियामक प्राधिकरण महानिदेशक
- पदाधिकारियों के कार्यकाल
- गठबंधन की विभिन्न स्तर की इकाइयों की कार्यसमितियों में पदाधिकारियों का कार्यकाल निम्नलिखित होगा
शून्य स्तर 4 वर्ष
शासकीय स्तर 4 वर्ष
प्रशासकीय स्तर 4 वर्ष
निर्वाचन क्षेत्रीय स्तर 4 वर्ष
एक्शन स्तर 4 वर्ष
- द्वितीय उपाध्यक्ष का कार्यकाल सभी कमेटियों में मात्र एक वित्तीय वर्ष होगा।
- गठबंधन की केंद्रीय कमेटी के पास गठबंधन के विभिन्न स्तरों के अंगों और उपांगों तथा उनके पदाधिकारियों का कार्यकाल घटाने या बढ़ाने का अधिकार होगा। केंद्रीय कमेटी के पास यह भी अधिकार होगा कि वह उच्चस्थ कमेटियों और उनके पदाधिकारियों के कार्यकाल अपेक्षाकृत अधिक कर दे और निम्नस्थ कमेटियों और उनके पदाधिकारियों के कार्यकाल अपेक्षाकृत कम कर दें।
अध्याय 5
अनुच्छेद – 5
सदस्यता
-
- गठबंधन की प्राथमिक और सक्रिय सदस्यता के लिए अर्हताएं –
- संगठन या व्यक्तियों का कोई समूह, जो अपने आप को गैर राजनीतिक संगठन या राजनीतिक दल या फर्म या कंपनी कहता हो और समाज के किसी समुदाय के सशक्तिकरण या कल्याण के लिए कार्यरत हो;
- गठबंधन के संविधान में लिखित रूप से अपना विश्वास प्रकट करता हो;
- एक लिखित संविदा/उद्घोषणा के तहत शपथ पूर्वक गठबंधन का सदस्य बनने के लिए घोषणा करता हो;
- इस आशय की घोषणा करता हो कि वह अपने संगठन के सभी स्तरों की इकाइयों को गठबंधन की ऊर्ध्वाधर इकाइयों के गठन की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल करेगा।
- इस आशय की घोषणा करता हो कि वह अपनी सभी प्रचार सामग्रियों में गैप गठबंधन का नाम उसी प्रकार लिखेगा, जिस प्रकार स्कूल और कॉलेज उन बोर्ड या विश्वविद्यालयों के नाम लिखते हैं, जिनसे वे संबद्ध होते हैं।
- इस आशय की घोषणा करेगा कि आवेदक संगठन किसी अन्य राजनीतिक गठबंधन में पंजीकृत नहीं है।
- गठबंधन के फार्म-1 के अनुसार गठबंधन की सदस्यता के लिए नियमानुसार आवेदन किया हो, वह आवेदन स्वीकार किया गया हो और सदस्यता मंजूर की गयी हो।
- इसआशय की घोषणा करता हो कि सदस्यों के लिए गठबंधन के संविधान की अनुसूची-3 में दिए गए नियमों के अनुरूप गठबंधन को नियमित सदस्यता शुल्क जमा करेगा।
- गठबंधन का कोई भी प्राथमिक सदस्य, जो कम से कम किसी एक गैर सरकारी संगठन या राजनीतिक पार्टी या व्यावसायिक फर्म या कंपनी को गठबंधन की प्राथमिक सदस्यता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करने में कामयाब होता है उस संगठन यानी गठबंधन के प्राथमिक सदस्य को गठबंधन का सक्रिय सदस्य कहा जाएगा।
- सदस्यता का वर्गीकरण
- सामाजिक सदस्यता – गठबंधन का कोई भी सक्रिय या प्राथमिक सदस्य
- जो अपने आप को सामाजिक समूह कहता हो या आंदोलन कहता हो या सामाजिक मीडिया ग्रुप कहता हो, जो जनता को अपने मुद्दों पर ध्रुवीकरण कराने का कार्य करता हो और संबंधित देश की पंजीकरण एजेंसी में विधिवत पंजीकृत हो;
- किसी अन्य सामाजिक संगठन का सदस्य ना हो;
- गठबंधन के फार्म-2 के अनुरूप गठबंधन की सामाजिक सदस्यता के लिए आवेदन कर्ता हो;
- राजनीतिक सदस्यता
- कोई भी राजनीतिक दल, जो गैप गठबंधन का प्राथमिक सदस्य हो या सक्रिय सदस्य हो;
- फार्म-3 के अनुरूप नियमानुसार गठबंधन की राजनीतिक सदस्यता के लिए आवेदन करता हो;
- कम से कम 5 विधान सभाओं सीटों पर चुनाव लड़ चुकी हो।
- गठबंधन द्वारा निर्धारित क्षैतिज सभाओं के चुनावों में वोट देकर अपने क्षैतिज कैडर को समर्थ बनाने के लिए लिखित में घोषणा करे।
- अपने क्षैतिज कैडर सामाजिक क्षेत्र में किए गए कार्य के बदले में आरडीआर देने के लिए लिखित में घोषणा करे।
- अपने कैडर को उन उत्पादकों और कंपनियों के सामान को खरीदने और बेचने के लिए इस्तेमाल करना, जिन कंपनियों ने गठबंधन की सदस्यता ली हुई है।
- जो गठबंधन के संविधान में विश्वास की लिखित में घोषणा करे।
- जो गठबंधन से सम्बद्ध किसी अन्य राजनीतिक गठबंधन का सदस्य न हो।
- व्यवसायिक सदस्यता
- कोई भी व्यावसायिक संस्थान जैसे फर्म या कंपनी, जो गैप गठबंधन का प्राथमिक या सक्रिय सदस्य हो;
- गठबंधन से जुड़ने पर अपनी कंपनी के उत्पादों और सेवाओं की बिक्री की वृद्धि को सैद्धांतिक रूप में स्वीकार करता हो।
- जो इस आशय की घोषणा करेगा कि उसके निदेशकों व शेयरधारकों के धन को गठबंधन विरोधी कामों में इस्तेमाल नहीं करेगा;
- जो इस आशय की घोषणा करेगा कि गठबंधन संविधान की अनुसूची 4 के अनुसार अपनी फर्म या कंपनी के लाभों का कुछ प्रतिशत विश्व शांति व वैश्विक भागीदारी के लिए अंतरराष्ट्रीय गैप संधि संपन्न कराने के लिए किए जा रहे कार्यक्रमों के लिए देगा।
- जो गठबंधन के फार्म-4 के अनुरूप गठबंधन की व्यवसायिक सदस्यता के लिए आवेदन करता हो
- सदस्यता का वर्गीकरण (मानकीकरण)
सदस्य संगठनों की सदस्यता पांच श्रेणियों में श्रेणीबद्ध होगी। इस विषय में विस्तृत नियम व शर्तें गठबंधन के संविधान की अनुसूची 2 में अंकित होंगे। इन नियम व शर्तों को संशोधित करने का अधिकार गठबंधन की केंद्रीय कमेटी को होगा।
- गठबंधन के सामाजिक और राजनीतिक सदस्यों की सदस्यता की श्रेणी।
- कोई भी सदस्य, जो अपने आय-व्यय को व्यवस्थित रखने में और लेखा परीक्षा के विषय में गठबंधन की विशेषज्ञता की सेवाएं प्राप्त करेगा, वह सदस्य गठबंधन की पांचवीं श्रेणी का सदस्य होगा।
- जो सदस्य अपने गठबंधन की सदस्यता और पदाधिकारियों का व्यवस्थित रिकॉर्ड रखने में गठबंधन की विशेष सेवाओं का लाभ उठाएगा, उसे गठबंधन की चौथी श्रेणी का सदस्य माना जाएगा।
- जो सदस्य अपने सदस्यों व पदाधिकारियों को प्रशिक्षित करने व योग्य बनाने के लिए गठबंधन के द्वारा आयोजित होने वाले राजनीति सुधारकों के प्रशिक्षण का लाभ उठाएगा, उसे गठबंधन की तृतीय श्रेणी का सदस्य माना जाएगा।
- जो संगठन सदस्य अपने सदस्यों, पदाधिकारियों के काम के बदले और प्राप्त चंदे के बदले आरडीआर देने के लिए और गठबंधन के शक्ति प्रदर्शन की तारीख नियत करने का अधिकार गठबंधन को देगा और उस नियत तारीख को अपनी संपूर्ण जनशक्ति ईमानदारी व समर्पण के साथ शामिल करेगा, उसे गठबंधन के द्वितीय श्रेणी का सदस्य संगठन कहा जाएगा।
- जो सदस्य गठबंधन के आरडीआर का उपयोग करेगा, शक्ति प्रदर्शन के समय ईमानदारी से शक्ति प्रदर्शन में भाग लेगा और अपने कैडर द्वारा गठबंधन के व्यावसायिक सदस्यों की कंपनियों द्वारा पैदा सामान व सेवाओं का उपयोग करेगा तथा बिक्री बढ़ाने में सहयोगी बनेगा, उसे गठबंधन का प्रथम श्रेणी का सदस्य कहा जाएगा।
- गठबंधन के व्यवसायिक सदस्यता की श्रेणी
- जो व्यावसायिक सदस्य अपनी बिक्री से प्राप्त लाभ का 50% और अपने कुल लाभ का 10% गठबंधन के कोष में देने पर राजी होगा, उसे गठबंधन की पांचवीं श्रेणी का व्यवसायिक सदस्य संगठन कहा जाएगा।
- जो व्यवसायिक संगठन सदस्य अपनी बिक्री से प्राप्त लाभ का 75% और नेट प्रॉफिट का 25% गठबंधन के कोष को देने पर राजी होगा, उसे गठबंधन का द्वितीय श्रेणी का व्यावसायिक संगठन सदस्य माना जाएगा।
- जो व्यवसायिक सदस्य संगठन अपनी बिक्री से प्राप्त लाभ का 80% और अपने कुल लाभ का 50% गठबंधन के कोष को देने पर राजी होगा और अपने समस्त कर्मचारियों को राजनीति व राज व्यवस्था सुधारने के लिए होने वाले राजनीति सुधारकों के प्रशिक्षण का लाभ दिलाने पर राजी होगा, उसे गठबंधन की तृतीय श्रेणी की व्यवसायिक सदस्यता प्राप्त होगी।
- जो व्यावसायिक सदस्य संगठन अपनी नेट प्रॉफिट का 75% गठबंधन को देने पर राजी होगा, अपने कर्मचारियों व निदेशकों के लिए आरडीआर का लाभ उठाने पर राजी होगा और राजनीति सुधारकों की ट्रेनिंग का लाभ अपने सभी कर्मचारियों को दिलाने पर राजी होगा, उसे गठबंधन की द्वितीय श्रेणी का व्यवसायिक सदस्य संगठन माना जाएगा।
- जो व्यवसायिक सदस्य संगठन अपनी कुल लाभ का 90% गठबंधन कोष को देने को राजी होगा, अपने कर्मचारियों को आरडीआर का लाभ और राजनीति सुधारकों के प्रशिक्षण शिविर का लाभ उठाने के लिए राजी होगा तथा आरडीआर के बदले अपनी कंपनी के उत्पादों व सेवाओं की बिक्री करने को राजी होगा, उसे प्रथम श्रेणी का व्यवसायिक संगठन कहा जाएगा।
- सदस्यता कार्यकाल और सदस्यों की शपथ
- प्राथमिक सदस्यता का कार्यकाल 4 वर्ष होगा। 4 वर्ष के अंदर सदस्यता का नवीनीकरण कराना आवश्यक है। कोई भी सदस्य अपने स्थाई या पंजीकृत पते पर ही सदस्य बन सकता है। पता परिवर्तन करने की स्थिति में सदस्य संगठन तत्काल गठबंधन कार्यालय को सूचना देना अनिवार्य है।
- सदस्यता नवीनीकरण – आवेदन पत्र के साथ सदस्य संगठनों को शपथ पूर्वक निम्नलिखित घोषणा करनी अनिवार्य है-
- गठबंधन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए गठबंधन द्वारा निर्धारित तरीकों का ही प्रयोग किया जाएगा;
- कार्य करने के तरीके को गठबंधन के संविधान के अनुरूप बनाने के लिए मेरा संगठन प्रयास करेगा;
- संगठन के सदस्यों में उच्च स्तरीय समदर्शिता का भाव पैदा करने के लिए काम करेंगे;
- सदस्यता का पंजीकरण और नवीनीकरण
- किसी भी संगठन को गठबंधन की सक्रिय सदस्यता प्राप्त करने के लिए गठबंधन के फार्म एम के माध्यम से आवेदन करना होगा। सक्रिय सदस्य बनने के लिए आवेदक संगठन को आवेदन पत्र में दिए गए पांच शासकीय स्तरों में से किसी एक स्तर को चुनना होगा। सदस्य संगठन को गठबंधन के जिस कार्य में रुचि होगी, उस कार्य के लिए उसे फार्म के माध्यम से घोषणा करनी होगी। यह घोषणा करने के लिए उसे संगठन के प्रकोष्ठ, मोर्चा एवं ऑपरेशनों में से किसी एक को चुनना होगा।
- गठबंधन की भर्ती परिषद को यह अधिकार होगा कि वह किसी संगठन को सदस्यता देते समय गठबंधन की कार्यसमिति के किसी सदस्य की सिफारिश मांगे या आवेदक को गठबंधन की उचित इकाई में और उचित स्तर पर नियुक्त कर दे।
- भारतीय परिषद अपने निर्णय के अनुसार किसी संगठन को अंतरिम या अंतिम सदस्यता दे सकती है।
- सदस्यता की अंतिम मंजूरी संबंधित इकाई की कार्यसमिति करेगी।
- प्राथमिक सदस्यता का नवीनीकरण गठबंधन के फार्म 7 पर होगा।
- सदस्यता का रिकॉर्ड और उसका सत्यापन
- पार्टी की क्षेत्रीय कमेटी प्राथमिक और सक्रिय सदस्य संगठनों की सूची प्रत्येक 3 वर्ष पर 31 मार्च तक प्रकाशित करेगी। जांच पुनरीक्षण के बाद अंतिम सूची प्रत्येक 3 वर्ष में 31 अगस्त से पूर्व प्रकाशित की जाएगी।
- एक बार सदस्य संगठनों की सूची प्रकाशित हो जाने के बाद तब तक बनी रहेगी, जब तक अगली अंतिम सूची प्रकाशित नहीं होगी। संबंधित शासकीय इकाई के प्रमाणीकृत किए जाने के बाद स्थाई सदस्यों की सूची और रजिस्टर गठबंधन की क्षेत्रीय समिति द्वारा बनाया जाएगा।
- सदस्यता के सत्यापन के विषय में नियम बनाने का अधिकार गठबंधन की केंद्रीय कमेटी को होगा।
- सदस्यता के त्यागपत्र और स्थानांतरण के विषय में आवेदन
- गठबंधन से त्यागपत्र देने या गठबंधन की एक इकाई से दूसरी इकाई में या एक स्तर से दूसरे स्तर में स्थानांतरण संबंधी आवेदन सदस्य की अपनी इकाई की कार्यसमिति के प्रमुख को दिया जाएगा। कार्यसमिति का प्रमुख आवेदन पर अंतिम फैसला लेने के लिए अपनी उच्चस्थ समिति को अपनी संस्तुति के साथ प्रेषित करेगा। इस संस्तुति में आवेदन में की गई प्रार्थना की स्वीकृति हो सकती है, निरस्तीकरण या स्थगन हो सकता है। यदि आवेदक को उच्च स्तर कमेटी का फैसला स्वीकार्य नहीं है, तो वह गठबंधन की संबंधित न्यायिक प्रकोष्ठ में याचिका प्रस्तुत कर सकता है।
- गठबंधन की पांचों शासकीय स्तर की कमेटियों को अपने-अपने स्तरों से संबंधित सदस्यों की सदस्यता के त्यागपत्र या स्थानांतरण संबंधी विधियां बनाने का अधिकार होगा।
- सदस्य संगठनों के अधिकार
- सदस्य संगठनों के मूल व व्युत्पन्न अधिकारों के विषय में नियम बनाने का अधिकार संगठन की केंद्रीय कमेटी को होगा।
- गठबंधन के प्राथमिक सदस्यों को गठबंधन की केंद्रीय कमेटी के अध्यक्ष के चुनाव में वोट देने का अधिकार होगा।
- गठबंधन के सक्रिय सदस्यों को वोट देने का अधिकार व उस शासकीय स्तर के प्रतिनिधियों के चुनाव में भाग लेने का अधिकार होगा, जिस स्तर से वह संबंधित है। उदाहरण के लिए प्रादेशिक स्तर के सक्रिय सदस्य को गठबंधन की प्रादेशिक साधारण सभा के गठन के लिए होने वाले निर्वाचन में प्रादेशिक प्रतिनिधि भेजने के लिए होने वाले चुनाव में वोट देने का अधिकार होगा।
- सदस्य संगठनों के कर्तव्य
- गठबंधन के सदस्य संगठनों के कर्तव्य निम्नलिखित होंगे-
- गठबंधन की नीतियों का प्रचार-प्रसार;
- गठबंधन के शक्ति प्रदर्शनों में अपने संगठन की यथाशक्य संपूर्ण शक्ति लगाकर अपनी व गठबंधन की ताकत दिखाना;
- गठबंधन कोष में अधिक से अधिक आर्थिक सहयोग करना;
- गठबंधन के कामों को संपादित करने के लिए समय दान व श्रमदान करना;
- गठबंधन की नीतियों व कार्यक्रमों के प्रति सजग रहने के लिए गठबंधन की पत्र-पत्रिकाओं का नियमित अध्ययन करना और अपने संगठन के लोगों को करवाना;
- जनता की शंकाओं का सतत समाधान करते रहना;
- अन्य संगठनों को गठबंधन से जुड़ने के लिए समझाना;
- जनता की मनोकामनाओं, अपेक्षाओं और आवश्यकताओं को गठबंधन की केंद्रीय समिति तक सतत पहुंचाते रहना;
- सदस्य संगठनों की आय का जरिया
- सदस्य संगठन की अस्तित्वगत सुरक्षा के लिए आय का स्रोत
- सदस्य संगठन गठबंधन की जिस इकाई में काम करता है, उस इकाई द्वारा जिन लोगों की जरूरतें पूरी होती हैं, उनसे प्राप्त सेवा शुल्क और चंदा;
- सदस्य संगठन को प्राप्त आरडीआर यानी भविष्य में संसद द्वारा वित्त विधेयकों को पारित करने से प्राप्त होने वाली वह रकम, जो सदस्य संगठन को उसके कार्यों का मूल्यांकन के आधार पर जारी किया जाता है
- गठबंधन के कार्यों को करने के बदले प्राप्त आय
- सदस्य संगठन द्वारा जिस समुदाय की जरूरतों को पूरा किया जाता है, उससे प्राप्त आर्थिक सहयोग;
- गठबंधन द्वारा सदस्य संगठन के नाम जारी धनराशि;
- आरडीआर;
- सदस्य संगठन के कार्य की प्रेरणा का स्रोत
- गठबंधन की विश्व/राष्ट्र स्तरीय इकाइयों के कार्य का प्रेरणा स्रोत
- विश्व भर के नागरिकों की साझी आर्थिक विरासत की मान्यता, सुरक्षा और विकास के लिए कार्य;
- विश्व भर के समस्त नागरिक, अर्थव्यवस्था की अध:संरचना-सड़क, यातायात, संचार साधनों, उपभोग वस्तुओं का उपयोग कर सकें, इसके लिए लोगों के व्यक्तिगत विकास सूचकांक को बढ़ाने के लिए कार्य;
- व्यक्ति की मानसिक क्षमता और उसकी आर्थिक क्षमता को नजरअंदाज करते हुए वितरण का न्याय सुलभ करते हुए विश्व के सभी नागरिकों तक उपभोग वस्तुएं व सेवाएं पहुंचाने के लिए कार्य;
- राष्ट्रीय साधारण सभा के लिए आरक्षित सभी कार्य;
- राष्ट्रीय विकासक सभा के सदस्य संगठनों के लिए स्तरीय आर्थिक आधार संरचना विकसित करने का कार्य।
- प्रादेशिक स्तर के सदस्य संगठनों के कार्य की प्रेरणा स्रोत
- परादेशिक क्षेत्र के सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा और विकास के कार्य।
- क्षेत्रीय अध्ययन संरचना के विकास विश्व विकास सूचकांक में वृद्धि के कार्य और रोजगार के परंपरागत साधनों का विकास।
- उपभोक्ता वस्तुओं के अधिक से अधिक उत्पादन का कार्य।
- गठबंधन संविधान में परादेशिक साधारण सभा के लिए आरक्षित कार्य।
- देश, वतन और प्रराष्ट्र स्तरीय सदस्य संगठनों के कार्य का प्रेरणा स्रोत
- प्रादेशिक और राष्ट्रीय स्तर के सदस्य संगठनों के मूल्य व विचारधारा परस्पर विरोधी किंतु पूरक होंगे। परादेशिक व राष्ट्रीय स्तर के गठबंधन की इकाइयों की कार्यसूची मध्यवर्ती अन्य तीन स्तर के सदस्य संगठनों के कार्य का प्रेरणास्रोत होगा। अंतर गुणों में नहीं मात्रा में होगा।
- देशों के स्तर के सदस्य संगठनों को कार्य की प्रेरणा प्रादेशिक साधारण सभा के लिए आरक्षित कार्य होंगे।
- प्रराष्ट्रीय स्तर के सदस्य संगठनों के कार्यों की प्रेरणा राष्ट्रीय साधारण सभा के लिए आरक्षित कार्य होंगे।
- वतन स्तर के सदस्य संगठनों के कार्य की प्रेरणा स्रोत होगी राष्ट्रीय और प्रादेशिक साधारण सभा के लिए आरक्षित कार्यों में समन्वय करना।
- गठबंधन के आय-व्यय और सदस्यता शुल्क की प्रकृति
- गठबंधन के प्राथमिक सदस्यों के सदस्यता शुल्क का निर्धारण
- प्राथमिक सदस्यों की सदस्यता शुल्क गठबंधन का केंद्रीय समिति द्वारा तय किया जाएगा।
- प्राथमिक सदस्यों की सदस्यता शुल्क का निर्धारण करते समय केंद्रीय कमेटी क्षेत्रीय कमेटी की सिफारिश मांगेगी।
- विविध प्रावधान-
- कोई भी सदस्य संगठन गठबंधन को अल्पकालिक या दीर्घकालिक ऋण दे सकता है। वह किसी अन्य संगठन को ऋण वापसी के लिए अधिकृत कर सकता है। ऋण प्राप्ति के बदले गठबंधन आरडीआर यानी रिफंडेबल डोनेशन रसीद, प्रोमीजरी नोट, गारंटी नोट इत्यादि जारी कर सकता है।
- केंद्रीय कमेटी अपनी क्षेत्रीय समितियों द्वारा गठबंधन की सदस्यता का सत्यापन करेगी। क्षेत्रीय कमेटियां इस आशय की अपनी संस्तुति करेंगी कि किन-किन सदस्य संगठनों ने सदस्यता संबंधी नियमों का अनुपालन नहीं किया है। ऐसे संगठनों की सदस्यता रद्द की जा सकती है। किंतु सदस्य संगठन को इस तरह के फैसले के विरुद्ध संबंधित न्यायिक परिषद में याचिका प्रस्तुत करने का अधिकार होगा। न्यायिक परिषद का निर्णय अंतिम होगा।
- पाँच एक्शन और निर्वाचन क्षेत्रीय ऊर्ध्वाधर स्तरों की कमेटियां अपने से संबंधित स्तर के सदस्यों की सदस्यता का सत्यापन नियमित करती रहेंगी और अंतिम निर्णय के लिए संबंधित शासकीय समिति को अपनी संस्तुति भेजती रहेंगी।
- गठबंधन की केंद्रीय समिति समय-समय पर प्राथमिक और सक्रिय सदस्यों की सदस्यता शुल्क का निर्धारण करेंगी।
- गठबंधन समय-समय पर अपनी प्रबंधकीय इकाइयों द्वारा सदस्यता अभियान चलाएगा। क्षेत्रीय कमेटी अपने कार्यों का संपादन जनपद कमेटियों द्वारा करेंगे। जनपद और ब्लॉक स्तर की कमेटियां गांव/वार्ड स्तर की कमेटियों को प्राथमिक व सक्रिय सदस्यता अभियान के कार्य में लगाएंगी।
- गठबंधन को प्राप्त सदस्यता शुल्क और आर्थिक सहयोग राशि गठबंधन की विविध ऊर्ध्वाधर इकाइयों में संविधान की अनुसूची 3 में दिए गए नियमों के अनुसार वितरित होगी।
- गठबंधन की केंद्रीय कमेटी को सदस्यता शुल्क के नियमों में और अनुदान में प्राप्त राशि का विविध ऊर्ध्वाधर इकाइयों में वितरित करने के नियमों को संशोधित करने का अधिकार होगा।
- यदि गठबंधन की किसी इकाई को सदस्यता शुल्क या अनुदान राशि में हिस्सा प्राप्त करने का अधिकार तो है, किंतु वह इकाई अस्तित्व में नहीं है या स्थगित है या भंग हो गई है, तो उसके हिस्से की राशि गठबंधन के केंद्रीय कमेटी के खाते में जमा रहेगी।
- सदस्यता का निरस्तीकरण स्थगन और स्थानांतरण –
जिन आधारों पर सदस्य संगठन की सदस्यता का स्थगन, निरस्तीकरण या स्थानांतरण हो सकता है वे आधार इस प्रकार हैं-
- सदस्यता शुल्क का न दिया जाना;
- सदस्य संगठन का त्यागपत्र;
- सदस्य संगठन का भंग हो जाना;
- सदस्य संगठन की निष्क्रियता
- न्यायिक परिषद द्वारा दोषी पाए जाने पर सदस्यता का स्थगन या निरस्तीकरण
- सदस्य संगठनों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही
- अनुशासनात्मक कार्यवाही करते हुए गठबंधन की संबंधित कमेटी को यह अधिकार होगा कि वह सदस्य की सदस्यता कुछ वर्षों के लिए स्थगित कर दे या निरस्त कर दे या गठबंधन की किसी दूसरी इकाई में स्थानांतरण कर दें।
- केंद्रीय कमेटी के पास अनुशासनात्मक कार्यवाही के तहत किसी सदस्य संगठन को गठबंधन की किसी क्षैतिज या ऊर्ध्वाधर कमेटी में स्थानांतरित करने का अधिकार सुरक्षित होगा।
- अनुशासनात्मक कार्यवाही के तहत दंडित किसी सदस्य संगठन को संबंधित न्यायिक परिषद में याचिका पेश करने और परिषद के फैसले के विरुद्ध उच्चस्थ न्यायिक परिषद में अपील करने का अधिकार होगा।
अध्याय 6
अनुच्छेद 6
गठबंधन की विभिन्न इकाइयों के अधिकारों और कर्तव्यों से संबंधित प्रावधान
- शून्य सदस्य संगठनों के कर्तव्य
- शून्य सदस्य संगठनों का यह कर्तव्य है कि वे इस बात का ध्यान रखें कि गठबंधन या इसकी कोई इकाई कोई गलत काम तो नहीं कर रही है। यदि ऐसा कुछ वह देखते हैं, तो अपने परिचित संगठन सदस्य को एक लिखित शिकायत कर सकते हैं। शिकायत की एक प्रति उच्चस्थ समिति को भी भेजना चाहिए। शून्य सदस्य का कर्तव्य है कि वह गठबंधन के कार्यक्रमों को निष्पक्ष भाव से देखें।
- शून्य सदस्य संगठनों को गठबंधन के उद्देश्य और उसकी सामाजिक उपयोगिता को समझने का प्रयास करना चाहिए। यदि शून्य सदस्य समझता है कि थोड़ा सा नुकसान उठाकर वह बहुत बड़ी संख्या में लोगों को लाभ पहुंचा सकता है, तो उसको उस मानसिकता से उबरने के लिए प्रयास करना चाहिए, जो मानसिकता और मान्यता ऐसे नुकसान उठाने से उसको रोकती है।
- शून्य सभा के लिए चुना गया कोई सदस्य संगठन गठबंधन की केंद्रीय कमेटी द्वारा गठबंधन का नीति निर्देशक चुना जा सकता है।
- शून्य सदस्य संगठनों के अधिकार
- सदस्य को यह अधिकार होगा कि वह बिना पर्याप्त औपचारिकता और सदस्यता शुल्क के गठबंधन का सदस्य बन सकता है।
- उचित फार्म भरते हुए शून्य सदस्य संगठन को यह अधिकार होगा कि वह गठबंधन की निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी करें। गठबंधन की निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी करने के लिए उसे गठबंधन के नीति निर्देशक के निर्वाचन में नामांकन करना अनिवार्य है। यदि नामांकन के बाद शून्य सदस्य संगठन गठबंधन की केंद्रीय कमेटी के दो तिहाई सदस्यों का समर्थन प्राप्त करने में कामयाब होता है, तो वह गठबंधन का नीति निर्देशक बन सकता है।
- शून्य सदस्यों की शिकायत यदि उच्च और उच्चतम यहा तक कि गठबंधन की केंद्रीय कमेटी द्वारा भी नहीं सुनी जाती है या उसके जवाब या प्रतिक्रिया से शून्य सदस्य संगठन संतुष्ट नहीं होता है, तो वह गठबंधन की सरेआम आलोचना भी कर सकता है।
अध्याय 7
अनुच्छेद 7
साधारण सभा
गठबंधन के सभी स्तरों पर प्रत्येक कार्यसमिति के कार्यक्रमों को, योजनाओं को, बजट को मंजूर करने के लिए संबंधित इकाई का एक घटक होगा, जिसे संबंधित इकाई की साधारण सभा कहा जाएगा। संबंधित इकाई की कार्यसमिति का अध्यक्ष साधारण सभा की बैठकों की अध्यक्षता करेगा। शुरुआत में केवल एक ही स्तर की साधारण सभा होगी, जिसे केंद्रीय स्तर कहा जाएगा। गठबंधन के संस्थापक सदस्य संगठन गठबंधन की संस्थापक केंद्रीय कार्यसमिति का गठन करेंगे। समय बीतने के साथ जैसे-जैसे सदस्य संगठनों की संख्या बढ़ती जाएगी, गठबंधन की केंद्रीय कार्यसमिति और केंद्रीय साधारण सभा का गठन गठबंधन के नियमों के अनुसार होने लगेगा। इसके अलावा गठबंधन की साधारण सभा के संबंधित नियम निम्नलिखित होंगे-
-
- साधारण सभा का गठन
- केंद्रीय साधारण सभा का गठन –
केंद्रीय साधारण सभा का गठन करने के लिए गठबंधन की पांचो शासकीय स्तरों की कार्यसमितियां अपने-अपने डेलीगेट (प्रतिनिधि) केंद्रीय साधारण सभा को चुनकर भेजेंगे। प्रत्येक इकाई उतने प्रतिनिधि भेजेगी, जितने कि उस इकाई के कार्यक्षेत्र में प्रादेशिक इकाईयां होंगी। प्रादेशिक इकाइयों को केवल 1 डेलीगेट भेजने का अधिकार होगा। केंद्रीय सभा में प्रतिनिधित्व को तार्किक व न्यायिक बनाने के लिए केंद्रीय कमेटी क्षेत्रीय कमेटियों की रिपोर्ट के आधार पर समय-समय पर सदस्य संगठनों की न्यूनतम व अधिकतम संख्या तय कर सकती है, जिनको केंद्रीय साधारण सभा को एक प्रतिनिधि भेजने का अधिकार होगा।
- विधायक साधारण सभा का गठन –
गठबंधन की गतिविधियों को अधिकतम कार्यकर्ता सुलभ कराने वाले सदस्य संगठनों को विधायक साधारण सभा की सदस्यता देने में प्राथमिकता दी जाएगी।
- विकासक साधारण सभा का गठन
- साधारण सभा के दो घटक होंगे। एक को विधायक साधारण सभा कहा जाएगा और उसके समानांतर दूसरे घटक को विकासक साधारण सभा कहा जाएगा। विकासक साधारण सभा सदस्य उन सदस्य संगठनों की सभा होगी, जो गठबंधन को अधिकतम आर्थिक सहयोग करेंगे। विकासक साधारण सभा की सीटों पर भर्ती मेरिट के आधार पर होगी। यह मेरिट आर्थिक सहयोग करने वाले सदस्य संगठनों की आर्थिक सहयोग की मात्रा के आधार पर बनाई जाएगी।
- विकासक साधारण सभा के सदस्यों की संख्या विधायक साधारण सभा के सदस्यों की संख्या के बराबर होगी। सीटों के क्षेत्रों की सीमा भी वही होगी। गठबंधन कि संबंधित इकाई की कार्यसमिति का अध्यक्ष नियमों के अनुरूप विकासक साधारण सभा के सदस्यों का मनोनयन करेगी।
- आगामी वित्तीय वर्ष के लिए अपनी क्षमता के अनुसार गठबंधन को दी जा सकने वाली अधिकतम राशि की घोषणा करते हुए कोई भी सदस्य संगठन नामांकन कर सकता है। अपने नामांकन पत्र में नामांकनकर्ता उल्लेख करेगा कि वह किस स्तर पर किस क्षेत्र और किस सीट के लिए नामांकित कर रहा है।
- नामांकन पत्रों को प्राप्त करने वाला गठबंधन का कार्यालय सभी नामांकन पत्रों को टेंडर की तरह गोपनीय रखेगा। सभी नामांकन पत्रों को संबंधित न्यायिक परिषद की निगरानी में एक खुले समारोह में खोला जाएगा और जांच की जाएगी, जहां सभी नामांकनकर्ता सदस्य संगठन या उनके प्रतिनिधि मौजूद होंगे। संबंधित कमेटी की भर्ती परिषद उस नामांकनकर्ता के नाम की सिफारिश कमेटी को करेगी, जिसने अगले वित्तीय वर्ष के लिए संबंधित सीट पर अधिकतम धनराशि का अनुदान देने की इच्छा जाहिर की है। यह नामांकन अंतरिम होगा। यदि अपनी घोषणा पर वह सदस्य संगठन खरा उतरता है और घोषित राशि समय पर जमा कर देता है, तो वह आगामी एक वित्तीय वर्ष तक उस संबंधित सीट के लिए साधारण विकासक सभा के लिए प्रतिनिधित्व करेगा।
- गठबंधन की विकासक साधारण सभा के गठन की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी होगी। यह प्रतियोगिता संबंधित इकाई के निर्वाचन प्राधिकरण द्वारा संचालित की जाएगी। गठबंधन के संविधान के प्रावधानों के अनुरूप गठबंधन का निर्वाचन प्राधिकरण विधायक और विकासक साधारण सभा का गठन करेगा।
- साधारण सभा के सदस्य संगठनों के अधिकार
- विधायक साधारण सभा का सदस्य विकासक साधारण सभा के किसी सदस्य के आदेश को रद्द कर सकता है। विधायक साधारण सभा के सदस्य के आदेश को रद्द करने का अधिकार विकासक साधारण सभा के सदस्य को भी होगा।
- विधायक साधारण सभा द्वारा पारित किसी प्रस्ताव को विकासक साधारण सभा रद्द कर सकती है। विधायक साधारण सभा को भी विकासक साधारण सभा जैसा ही अधिकार होगा।
- विधायक या विकासक साधारण सभा का कोई सदस्य कोई विधेयक अपनी ही सभा में विचारणार्थ प्रस्तुत कर सकता है। साधारण सभा के सदस्य अपनी सभा में प्रस्तुत किसी विधेयक के पक्ष या विपक्ष में वोट दे सकते हैं। साधारण सभा के सदस्यों को ऐसा कोई भी कार्य या व्यवहार करने का अधिकार होगा, जिसमें सदस्य संगठन को लाभ होता हो। बशर्ते उसके खिलाफ कोई वीटो का उपयोग करके अपने निषेधाधिकार का प्रयोग न करें।
- साधारण सभा के सदस्य संगठनों के कर्तव्य
- विधायक साधारण सभा का सदस्य अपने क्षेत्र के सदस्य संगठनों, लोगों और गठबंधन की संबंधित कार्यसमिति के बीच समन्वय स्थापित करेगा।
- साधारण सभा के प्रत्येक भूतपूर्व और वर्तमान सदस्य का यह कर्तव्य होगा कि वह अपने क्षेत्र के संगठनों पर बारीक नजर रखें और गठबंधन के लिए उपयोगी संगठनों को गठबंधन से जुड़ने के लिए प्रेरित करते रहें। यद्यपि साधारण सभा का कोई भी सदस्य गठबंधन पर यह दबाव नहीं डालेगा कि उसके द्वारा जिस संगठन के नाम की सिफारिश की गई है, उसे केवल सिफारिश के आधार पर संगठन की किसी कमेटी का सदस्य बना लिया जाए या साधारण सभा का सदस्य बना लिया जाए।
अध्याय 8
अनुच्छेद 8
कार्यसमितियां
गठबंधन के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए केंद्रीय स्तर पर और गठबंधन के संगठनात्मक ढांचे के अन्य स्तरों पर कार्यसमितियां होंगी। कार्यसमितियां संबंधित साधारण सभा द्वारा अनुमोदित कार्यक्रमों और मंजूर किए गए बजट के अनुसार तथा गठबंधन संविधान के सिद्धांतों तथा नीति निर्देशों के अनुसार कार्य करेंगी-
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- कार्यसमितियों के प्रकार और उनका स्तर –
बहुत से कार्यकारी अधिकार गठबंधन की केंद्रीय कार्यसमिति में निहित होंगे। सभी कार्यसमितियों का मुख्य कार्यकारी अधिकार कार्यसमितियों के अध्यक्षों में निहित होगा, जो अपना कार्य कमेटी के तीन घटकों-ब्यूरो, बोर्ड और सचिवालय के माध्यम से संपादित करेगा।
- केंद्रीय कार्यसमिति का गठन
- केंद्रीय कार्यसमिति के पदाधिकारी 4 ऊर्ध्वाधर वर्गों में वर्गीकृत होंगे। नीति निर्देशक शून्य स्तर में होगा। उपाध्यक्ष द्वितीय स्तर में होंगे। बाकी सभी पदाधिकारी तृतीय स्तर में होंगे।
- गैप गठबंधन की कार्यसमितियों के चार अंग होंगे। इन चारों अंगों को नीति निदेशालय, ब्यूरो, बोर्ड और सचिवालय कहा जाएगा। नीति निदेशालय का प्रमुख नीति निर्देशक होगा। ब्यूरो प्रमुख को प्रथम उपाध्यक्ष और बोर्ड प्रमुख को द्वितीय उपाध्यक्ष कहा जाएगा।
- महासचिव के अधीन सचिवालय काम करेगा। महासचिव बोर्ड और ब्यूरो की अपेक्षाओं को ग्रहण करेगा और उचित भाषा में एक-दूसरे तक पहुंचाएगा तथा अध्यक्ष तक पहुंचाएगा।
- प्रत्येक कार्यसमिति में गठबंधन कोष का एक अध्यक्ष होगा, जो गठबंधन के आय-व्यय का लेखा जोखा रखेगा।
- द्वितीय उपाध्यक्ष की सिफारिश पर नियमानुसार अध्यक्ष साधारण विधायक सभा के किसी सदस्य संगठन के प्रतिनिधि को कमेटी का प्रथम उपाध्यक्ष नामित करेगा।
- केंद्रीय कार्यसमिति के पदाधिकारियों का चुनाव
- केंद्रीय कार्यसमिति के अध्यक्ष का चुनाव
- केंद्रीय साधारण सभा के सदस्य अपनी सभा के किसी उस सदस्य संगठन को गठबंधन की केंद्रीय कमेटी का अध्यक्ष चुनेंगे, जो किसी भी समाज, धर्म, संस्कृति, भौगोलिक क्षेत्र और संगठन के कोष की मात्रा के प्रति पक्षपाती न हो। सब के प्रति समदर्शी और निष्पक्ष हो।
- गठबंधन की केंद्रीय कमेटी का अध्यक्ष गठबंधन के नीति निर्देशक की सलाह पर काम करेगा। अध्यक्ष का मुख्य कार्य होगा – साधारण सभा के दो घटकों के बीच समन्वय स्थापित करना, गठबंधन के सदस्य संगठनों के बीच सद्भाव स्थापित करना, बोर्ड, ब्यूरो तथा प्रथम-द्वितीय उपाध्यक्ष के बीच समन्वय स्थापित करना, गतिरोध और सदस्य संगठनों के बीच अंतर्निहित संघर्षों के बीच फिलामेंट की तरह कार्य करते हुए गठबंधन के उद्देश्य को आगे बढ़ाना।
- लगातार दो कार्यकालों से अधिक कोई भी व्यक्ति अध्यक्ष के पद पर नहीं रह सकता। जब तक संभव हो, अध्यक्ष तत्कालीन सबसे अधिक लोकप्रिय विचारधारा का गठबंधन में प्रतिनिधि होगा।
- केंद्रीय समिति के प्रथम उपाध्यक्ष का चुनाव
केंद्रीय समिति का केंद्रीय विधायक साधारण सभा के किसी निर्वाचित सदस्य को केंद्रीय समिति के द्वितीय उपाध्यक्ष की सिफारिश पर नियमानुसार केंद्रीय कमेटी का प्रथम उपाध्यक्ष नामित करेगा। विधायक साधारण सभा का वही व्यक्ति प्रथम उपाध्यक्ष के रूप में नामित किया जाएगा, जिसको मानव व्यवहार के विज्ञान की, गठबंधन के संविधान की, गठबंधन की नीतियों और रणनीतियों की सबसे अच्छी जानकारी होगी।
- द्वितीय उपाध्यक्ष का चुनाव
विकासक साधारण सभा का, जिस सदस्य ने गत वित्तीय वर्ष में गठबंधन को सर्वाधिक आर्थिक योगदान किया होगा, उसे वर्तमान वित्त वर्ष के लिए कार्यसमिति का द्वितीय उपाध्यक्ष चुना जाएगा। द्वितीय उपाध्यक्ष का नामांकन करने के लिए नियमानुसार कार्यसमिति का प्रथम उपाध्यक्ष विकासक साधारण सभा के किसी सदस्य के नाम की सिफारिश कार्यसमिति के अध्यक्ष को करेगा। जहां तक संभव होगा द्वितीय उपाध्यक्ष उस सदस्य संगठन को बनाया जाएगा, जो उस विचारधारा को प्रतिनिधित्व करेगा, जो तत्कालीन लोकप्रिय विचारधाराओं की सर्वोच्चता सूची में दूसरे क्रम की विचारधारा होगी।
- सहायक उपाध्यक्षों का चुनाव
अध्यक्ष की मंजूरी के लिए दोनों उपाध्यक्षों को यह अधिकार होगा कि वह समकालीन सबसे ज्यादा लोकप्रिय विचारधाराओं का गठबंधन में समावेश करने के लिए और अपने कार्यों को संपादित करने के लिए अधिक से अधिक 8 सहायक उपाध्यक्षों की सिफारिश कर सके। यह नामांकन साधारण सभा के निर्वाचित सदस्यों में से ही किसी का होगा। जहां तक संभव होगा, सभी आठ उपाध्यक्षों को अलग-अलग राजनीतिक विचारधाराओं के प्रतिनिधि के तौर पर नामांकित किया जाएगा। जिन राजनीतिक विचारधाराओं को प्रतिनिधित्व दिया जाएगा, वे इस प्रकार हैं – सांस्कृतिक वामपंथ, सांस्कृतिक दक्षिणपंथ, आर्थिक वामपंथ, आर्थिक दक्षिणपंथ, सांस्कृतिक केंद्रवाद, आर्थिक केंद्रवाद सांस्कृतिक विकेंद्रवाद आर्थिक विकेंद्रवाद। केंद्रीय कार्यसमिति उक्त अलग-अलग विचारधाराओं के सदस्य संगठनों को पहचानने के लिए नियम बनाएगी।
- केंद्रीय कार्यसमिति के महासचिव का चुनाव
प्रथम और द्वितीय उपाध्यक्षों की संयुक्त सिफारिश पर सभा के किसी भी निर्वाचित सदस्य संगठन को गठबंधन की केंद्रीय कमेटी का महासचिव नियुक्त किया जाएगा। महासचिव के रूप में नियुक्त किए जाने की योग्यता के लिए यह आवश्यक होगा कि वह सदस्य संगठन गठबंधन द्वारा संचालित या मान्यता प्राप्त या अधिकृत किसी संस्थान के योग्यता प्रमाणपत्र का धारक हो।
- संगठन कोष के अध्यक्ष या केंद्रीय कार्यसमिति के कोषाध्यक्ष का चुनाव
कार्यसमिति के प्रथम और द्वितीय उपाध्यक्ष की संयुक्त सिफारिश पर साधारण सभा के किसी निर्वाचित सदस्य को कार्यसमिति का अध्यक्ष कार्यसमिति के कोषाध्यक्ष/गठबंधन कोषाध्यक्ष नामित किया जाएगा। गठबंधन का अध्यक्ष गठबंधन कोष संस्थान का कार्यकारी प्रमुख होगा।
- गठबंधन की केंद्रीय कार्यसमिति के सदस्यों का चुनाव
अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव, सहायक उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष के अलावा केंद्रीय कार्यसमिति के अन्य सदस्यों का नामांकन प्रथम उपाध्यक्ष की सिफारिश पर किया जाएगा। ऐसी सिफारिश केंद्रीय साधारण सभा के निर्वाचित सदस्यों में से की जाएगी।
- केंद्रीय कार्यसमिति के अन्य 10 सदस्य गठबंधन के विभिन्न अंगों के पदेन प्रमुख होंगे। उन अंगों की सूची और उनके प्रमुखों के पदनाम निम्न वत होंगे-
सदस्य अंग पदनाम
प्रथम सदस्य पदेन प्रमुख गठबंधन कोष महाप्रबंधक
द्वितीय सदस्य पदेन प्रमुख संसदीय परिषद अध्यक्ष
तृतीय सदस्य पदेन प्रमुख निर्वाचन प्राधिकरण अध्यक्ष
चतुर्थ सदस्य पदेन प्रमुख निर्वाचन प्रत्याशी चयन परिषद अध्यक्ष
पंचम सदस्य पदेन प्रमुख न्यायि