अनुच्छेद-1 | गठबंधन का परिचय |
अनुच्छेद-2 | गठबंधन का प्रतीक चिह्न |
अनुच्छेद-3 | गठबंधन की निष्ठा और विश्वास |
अनुच्छेद-4 | गठबंधन के अंग , उपांग, नीति निर्देशक और अन्य गठबंधनों से गठबंधन |
अनुच्छेद-5 | गठबंधन की सदस्यता |
अनुच्छेद-6 | गठबंधन की विभिन्न इकाइयों के अधिकारों और कर्तव्यों से संबन्धित प्रावधान |
अनुच्छेद-7 | साधारण सभा |
अनुच्छेद-8 | कार्यसमितियाँ |
अनुच्छेद-9 | संसदीय समितियां |
अनुच्छेद-10 | निर्वाचन प्राधिकरण |
अनुच्छेद-11 | चुनाव प्रत्याशी चयन परिषद |
अनुच्छेद-12 | न्यायिक परिषद |
अनुच्छेद-13 | लोक सेवा भर्ती परिषद |
अनुच्छेद-14 | समन्वय परिषदें |
अनुच्छेद-15 | गठबंधन कोष |
अनुच्छेद-16 | सुरक्षा परिषद |
अनुच्छेद-17 | जन संचार परिषद |
अनुच्छेद-18 | गठबंधन के उपांग |
अनुच्छेद-19 | गठबंधन के सहयोगी संगठन |
अनुच्छेद-20 | गठबंधन से सम्बद्ध संगठन |
अनुच्छेद-21 | गठबंधन द्वारा अधिकृत संगठन |
अनुच्छेद-22 | गठबंधन के किसी अन्य गठबंधन/गठबंधनों से गठबंधन करने संबंधी प्रावधान |
अनुच्छेद-23 | दूसरी पार्टियों और दूसरे गठबंधन द्वारा मान्यताप्राप्त या सहयोगी या सम्बद्ध या अधिकृत गांठबंधनों के रूप में कार्य करने संबंधी प्रावधान |
अनुच्छेद-24 | गठबंधन के नीति निर्देशक |
अनुच्छेद-25 | सामाजिक , आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, आनुवांशिक और जहनिक आधारों पर वर्गीकृत समाज के विभिन्न वर्गों को प्रतिनिधित्व देने के लिए समवेशी उपबंध |
अनुच्छेद-26 | नियमों का पालन करने के उद्देश्य से अनुशासनात्मक कार्यवाही करने संबंधी प्रावधान |
अनुच्छेद-27 | गठबंधन के संविधान में संशोधन और व्याख्या संबंधी उपबंध |
अनुच्छेद-28 | गठबंधन का विखंडन या विलयन |
अनुच्छेद-29 | संविधान का अनुवाद |
अनुच्छेद-30 | संविधान की अनुसूचियाँ |
अनुच्छेद-31 | फॉर्मों के प्रारूप |
अनुच्छेद-32 | गठबंधन के रजिस्टर |
अनुच्छेद-33 | गठबंधन में नए अनुच्छेदों , प्रावधानों, उप-प्रावधानों के जोड़े जाने संबंधी उपबंध |
अनुसूची – 1 | तकनीकी शब्दावली – संविधान में प्रयुक्त शब्दों की व्याख्या |
अनुसूची – 2 | गठबंधन की विभिन्न इकाइयों की कार्यसूची |
अनुसूची – 3 | गठबंधन की विभिन्न इकाइयों में कोष के वितरण संबंधी प्रावधान |
अनुसूची – 4 | प्रकोष्ठों की सूची |
अनुसूची – 5 | मोर्चों की सूची |
अनुसूची – 6 | कार्यवाही की सूची |
अनुसूची – 7 | गठबंधन की समावेशी नीति के तहत अपने गए नियम , विनियम, प्रावधान और उपनियम |
अनुसूची – 8 | गठबंधन के संशोधनों की सूची |
अनुसूची – 9 | आवेदन पत्रों के प्रारूप |
अनुसूची – 10 | गठबंधन के रजिस्टर |
अध्याय 1
अनुच्छेद 1
गठबंधन का नाम – गठबंधन का नाम होगा शांति और भागीदारी वास्ते वैश्विक गठबंधन, जिसे आगे से संक्षेप में ‘गठबंधन’ या गैप या वैश्विक मंच कहा जाएगा।
1.1. गैप संविधान की प्रस्तावना –
आवश्यक राजनैतिक कानूनी व संवैधानिक सुधारों को लागू करने,
केवल देश ही नहीं पूरे विश्व पर लोकतांत्रिक कानून का शासन लागू करने;
जनमानस व राज्य की प्रभुसत्ता के क्षैतिज व ऊर्ध्वाधर घटकों को पहचानने व उनको मान्यता दिलाने और
उन घटकों को राज्य की निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी दिलाने;
भ्रातृत्व, लोकतंत्र और राजनीतिक तथा आर्थिक अवसरों की समता विश्व के सभी देशों के सभी लोगों को सुलभ कराने;
पूरे विश्व में हिंसा, आर्थिक गुलामी, गरीबी और पर्यावरणीय असंतुलन पैदा करने वाली परिस्थितियों को समाप्त करने में सक्षम
संपूर्ण विश्व के सभी लोगों को न्याय आधारित राजनीति व आर्थिक विश्व व्यवस्था विकसित करने और
1994 में संपन्न व्यापार व तटकर पर सामान्य समझौते के दुष्परिणाम स्वरूप पैदा हुई सामाजिक समस्याओं को हल करने;
विश्व की राजनैतिक व आर्थिक समस्याओं का समाधान करने;
विश्व संसद व संविधान संघ द्वारा लिखित धरती की सरकार के संविधान को देशों की सरकारों द्वारा मंजूरी दिलाने; के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए पूरे विश्व के सभी देशों के संगठनों का गठबंधन बनाना।
1.2. गठबंधन की नीति –
विश्व के नागरिकों द्वारा पूरे विश्व के सभी नागरिकों की समस्याओं का समाधान पूरे विश्व के सभी नागरिकों के लिए किया जाएगा।
1.3. गठबंधन के सिद्धांत, दर्शन और मान्यताएं –
गठबंधन के संगठन निम्नलिखित मान्यताओं को समझने और विश्वास करने का प्रयत्न करेंगे –
1.3.1. समकालीन राजनीतिक सुधारक श्री विश्वात्मा द्वारा लिखित पुस्तकों यथा-‘जनोपनिषद‘, ‘लोकतंत्र की पुनर्खोज‘ और ‘लोकनीति व राजनीति का पासवर्ड‘ में अतीत के महापुरुषों व दार्शनिकों के निष्कर्षों का और राज्य की मशीनरी द्वारा समाधान की जा सकने वाली समस्त समस्याओं और उनके समाधान के उपायों का समावेश है। इन पुस्तकों की विषय वस्तु में भविष्य में पैदा होने वाली समस्याओं और चुनौतियों के समाधान के लिए वर्तमान में किए जाने वाले उपायों की जानकारी दी गई है।
1.3.2. मानव जाति के समस्त लोग एक साझे शरीर की कोशिका की तरह बर्ताव करते हैं। जिस प्रकार किसी शरीर के किसी बीमार अंग को काट कर शरीर से अलग करके दूर ले जाकर उसका इलाज करना संभव नहीं है, उसी प्रकार संसार के किसी एक देश की समस्या का विश्व से अलग करके समाधान नहीं किया जा सकता।
1.3.3. मानव और धरती दोनों प्रकृति के नियमों से बने हैं। इसलिए प्रत्येक मानव का यह मूल अधिकार व जन्म सिद्ध अधिकार है कि वह धरती के किसी भी कोने में आने व जाने के लिए स्वतंत्र हो। उसके इस अधिकार का उल्लंघन उसके मूल अधिकार का भी उल्लंघन है। किसी मकान में रहने वाला वाला उस मकान में घुसने से किसी व्यक्ति को मना कर सकता है। ठीक इसी प्रकार पूरी धरती पर घूमने से मना करने का अधिकार सिर्फ धरती के निर्माता को ही हो सकता है, देशों के निर्माताओं को नहीं। इस निष्कर्ष की समझ न होने के कारण हिंसा और आतंकवाद रोकने के लिए बने वीजा और पासपोर्ट के परंपरा व कानून ही आज युद्ध, हिंसा और आतंकवाद के प्रमुख कारण बन गए हैं। विश्व से युद्ध हिंसा और आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए राजनीतिक अंधविश्वास पर बने वीजा और पासपोर्ट की परंपराओं और कानूनों को खत्म किया जाना अपरिहार्य है।
1.3.4. जिस प्रकार मानव शरीर की उम्र तय होती है, उसी प्रकार मानव समाज की भी एक तयशुदा उम्र है। जिस प्रकार मानव शरीर में उम्र के साथ उसके स्वभाव में परिवर्तन आता रहता है, उसी प्रकार मानव समाज का स्वभाव भी उम्र के साथ बदलता रहता है। इसीलिए किसी भी समुदाय के मूल्य, विश्वास और नियमों की उम्र भी अनंत कालिक नहीं होती। समय बीतने पर उसमें परिवर्तन आता रहता है।
1.3.5. अतींद्रिय परमसुख और जीवन आनंद न तो पैदा किया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता है। इनका केवल परस्पर चेतना से शरीर में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में; एक समुदाय से दूसरे समुदाय में; एक देश से दूसरे देश में और एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में स्थानांतरण भर हो सकता है।
1.3.6. प्रकृति के नियमों के अनुसार किसी व्यक्ति को किसी दूसरे व्यक्ति से अधिक मजबूत इसीलिए नहीं बनाया गया है कि वह अपने से कमजोर को सताए या क्षति पहुंचाए। अपितु इसी लिए बनाया गया है कि वह अपने से कमजोर की सुरक्षा करे।
1.3.7. किसी एक वस्तु के विकेंद्रीकरण के लिए किसी दूसरी वस्तु का केंद्रीकरण करना आवश्यक होता है। उदाहरण के लिए अधिक दूर के खेत की सिंचाई के लिए अधिक पाँवर के मोटर की आवश्यकता होती है। यानी विकेंद्रीकरण के साध्य के लिए केंद्रीकरण के साधन की आवश्यकता होती है। अतः गैप गठबंधन की ऊर्जा को विकेंद्रीकरण में लगाने की बजाय केंद्रीकरण के लाभों को जन-जन तक विकेंद्रित करने में लगाया जाएगा।
1.3.8. विनिमय माध्यम यानी मुद्रा सामूहिक उद्यम व प्रयासों की पैदावार होती है। इसीलिए मुद्रा के मूल्य को पाने के लिए निजी जीवन के मूल्यों से समझौता करना आवश्यक होता है।
1.3.9. व्यक्ति की निजी आमदनी में करेंसी नोट पैदा करने वाले राजनीतिक तंत्र का, कानूनों का और प्राकृतिक संसाधनों का हिस्सा भी होता है। यह हिस्सा किसी व्यक्ति की आय में उतना ही अधिक होता है, औसत से जितना अधिक उसकी आमदनी होती है।
1.3.10. दो समुदायों, जिनके बीच ऐतिहासिक शत्रुता दिखाई देती है और जो राजनीतिक विचारधाराएं आपस में परस्पर शत्रु दिखाई देती हैं, वे बिजली के गर्म और ठंडे तारों की तरह होती हैं। यदि इन को आपस में सीधे स्पर्श करा दिया जाए, तो चिंगारी पैदा होती है और आग लग जाती है। यदि इनको बीच में फिलामेंट लगाकर स्पर्श कराया जाए, तो प्रकाश पैदा हो जाता है। अतः परस्पर विरोधी समुदाय और विचारधाराएं एक दूसरे के लिए परस्पर विरोधी किंतु संपूर्ण समाज के लिए उपयोगी हैं।
1.3.11. गैप गठबंधन की कार्यप्रणाली सच्चे अर्थों में लोकतांत्रिक होगी।
1.3.12. गठबंधन की राजनीतिक इकाई संबंधित देशों में चुनाव संचालित करने वाली एजेंसियों के अनुसार अपने संबंधित देश के सदस्य संगठनों के माध्यम से राजनीतिक ध्रुवीकरण कराने का कार्य करेगी।
1.4. गठबंधन का उद्देश्य
गठबंधन निम्नलिखित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कार्य करेगा
1.4.1. इस संविधान की अनुसूची – 2 में दिए गए कार्यों को संपादित करना,
1.4.2. कानूनी और संवैधानिक सुधारों को लागू करवाकर कानून का शासन केवल देश के स्तर पर ही नहीं अपितु वतन, प्रराष्ट्र तथा संपूर्ण राष्ट्र यानी पूरे विश्व के स्तर पर भी लागू करना।
1.4.3. सामाजिक कल्याण, सामाजिक सशक्तिकरण और साझा हितों के लिए समान दृष्टिकोण और समान उद्देश्य रखने वाले विश्व के समस्त व्यक्तियों और संगठनों का गठबंधन बनाना।
1.4.4. साझी समस्याओं से पीड़ित किंतु विभिन्न जातियों, समुदायों, भाषाओं, राजनीतिक पार्टियों, गठबंधन और विविध देशों में टूटे, तितर-बितर और असंगठित विश्व समाज के साझे मुद्दों, साझी शिक्षण प्रशिक्षण के लिए संयुक्त प्रयास और संयुक्त संघर्ष करने हेतु सामूहिक सहयोग के लिए, चुनावों में सीटों के तालमेल के लिए एवं साझे शक्ति प्रदर्शन के लिए साझा मंच बनाना।
1.4.5. लोकतंत्र को केवल शब्दों में ही नहीं, अपितु ढांचे में; शासन के परिणामों में; पारदर्शिता और उत्तरदायित्व में भी गठबंधन के लिखित संविधान द्वारा सुनिश्चित करना।
1.4.6. राज्य और प्रभुसत्ता के क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर घटकों को पहचानना और मान्यता दिलाना।
1.4.7. विश्व के सभी नागरिकों के लिए राजनीतिक व आर्थिक अवसरों की समानता, बंधुता, न्याय और सच्चा और वास्तविक लोकतंत्र सुलभ कराने के लिए सक्षम विश्व व्यवस्था विकसित करना।
1.4.8. सन् 1994 मैं संपन्न हुई गैट नाम की अंतरराष्ट्रीय संधि के कारण जो क्षति किसानों, बेरोजगारों, छोटे व्यापारियों का हुआ, उसकी क्षतिपूर्ति के लिए एक अलग से अंतरराष्ट्रीय संधि करना।
1.4.9. सन 1994 में संपन्न व्यापार और तटकर पर संधि (गैट) के दुष्परिणामों का सामना करने के लिए विश्व संविधान और संसद संघ द्वारा निर्मित धरती के संविधान की अंतरराष्ट्रीय मंजूरी के लिए; अपने-अपने देश की विश्व स्तरीय समस्याओं के समाधान के लिए और अपने-अपने संगठन व संस्थान के कर्मियों को उनके सामाजिक कार्य के बदले भुगतान दिलाने के लिए जरूरी संयुक्त कार्यक्रम को संचालित करने के लिए विश्व भर के राजनीतिक दलों, गैर सरकारी संगठनों तथा कल्याणकारी कंपनियों का एक गठबंधन बनाना।
1.4.10. राज्य और बाजार दोनों में संतुलन और दोनों की पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
1.4.11. उत्पादन के संसाधनों के निकम्मेपन को खत्म करने के लिए इनके स्वामित्व को अधिकतम उत्पादक हाथों तक हस्तांतरित करना।
1.4.12. भारत की संसद में सन 2005 में प्रस्तुत किए गए वोटरशिप विधेयक को कानून का दर्जा दिलाना, जिसमें सामाजिक सुरक्षा की लोकतांत्रिक व्यवस्था पैदा हो सके और समावेशी विकास संभव हो सके। यानी विकास में प्रत्येक व्यक्ति को लोकतांत्रिक भागीदारी मिल सके।
1.4.13. मशीनों के परिश्रम प्राकृतिक संसाधनों और लोकतांत्रिक संस्थाओं की उपस्थिति के कारण पैदा होने वाली सकल घरेलू आय राष्ट्र के समस्त वोटरों में समान रूप से नियमित बांटने के लिए संसद में विचाराधीन वोटरशिप अधिकार देने के लिए कानून बनाना।
1.4.14. परस्पर विरोधी राजनीतिक विचारधाराओं में सभी को राजनीतिक व आर्थिक सत्ता में भागीदारी दिलाना।
1.4.15. वतन स्तरीय, प्रराष्ट्र स्तरीय और राष्ट्र यानी विश्व स्तरीय सशर्त नागरिकता दिलाने के लिए कार्य करना
1.4.16. प्रत्येक नागरिक, प्रत्येक परिवार और प्रत्येक गांव/वार्ड की ऊर्ध्वाधर इकाइयों को विश्व स्तरीय ऊर्ध्वाधर इकाइयां क्रमशः वैश्विक, अर्ध वैश्विक और पड़ोसी देशों के यूनियन (वतन) स्तरीय राज्य की इकाइयों के निर्णय में भागीदारी की शक्ति प्रदान करने के विषय में काम करना।
1.4.17. वोटरों के आर्थिक हितों की समृद्धि के लिए आर्थिक व सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करने वाले व्यक्तियों और संगठनों को उनके कार्यों के बदले भुगतान के उद्देश्य से आवश्यक राजनीतिक, कानूनी और संवैधानिक सुधारों को कार्यान्वित करना।
1.4.18. दो परस्पर विरोधी राजनीतिक विचारधाराओं और समुदायों के बीच फिलामेंट की तरह कार्य करके समाज को हिंसा, आतंकवाद, युद्ध और अन्याय से सुरक्षा देना।
1.4.19. संविधान, लोकतंत्र, धर्म निरपेक्षता और विविधता में एकता के गणतंत्र की रक्षा करना,
1.4.20. अधिक से अधिक समावेशी लोकतंत्र विकसित करने के लिये ढ़ांचागत सुधार करना।
1.4.21. समाजवादी राज्य की पुनर्वापसी करना और राजनीतिक सत्ता और आर्थिक संसाधनों में जनसंख्या के अनुपात में समाज के विविध सामाजिक इकाइयों और आर्थिक वर्गों को भागीदारी देने के लिए आवश्यक कानून बनाना।
1.4.22. भ्रष्टाचार, गरीबी, बेरोजगारी और अनेक तरह की विषमताओं की समस्याओं को हल करने के लिए जरूरी अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ करना।
1.4.23. भारत के सभी पड़ोसी देशों का एक यूनियन बनाकर सभी देशों की एक साझी संसद, साझी सरकार, साझी पुलिस और अदालत, साझी करंसी नोट, साझी सेना बनाना।
1.4.24. अंतर्राष्ट्रीय शोषण और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से मुक्त विश्व बनाने के लिये, देश के नागरिकों को उनके अंतर्राष्ट्रीय अधिकार दिलाने के लिये, पर्यावरण सुरक्षा के लिये और विश्व शांति सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक अन्तर्राष्ट्रीय संधियां करना।
1.4.25. उत्तराधिकार का सीमांकन करना और अमीरी रेखा बनाकर सम्पत्ति का लोकतंात्रिक वितरण करना, मुठ्ठीभर अति धनवानों की इच्छा की बजाय आम जनता की इच्छा से लोकतंत्र का संचालन सुनिश्चित करना।
1.4.26. सभी नागरिकों के लिए समान शिक्षा, समान स्वास्थ्य सुविधा और सब के लिए रोजगार का प्रबंध करना।
1.4.27. सरकारी खर्च पर चुनाव कराने के लिए कानून बनाना।
1.4.28. नागरिकों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण पैदा करने के लिए और असत्य के प्रचार पर रोक लगाने के लिए कानून बनाना।
1.4.29. संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों का प्रचार प्रसार करने के लिए कानून बनाना।
1.4.30. गरीबी और बेरोज़गारी का व्यवस्थागत समाधान करना।
1.5. गठबंधन की गतिविधियां
शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीकों से गठबंधन के उद्देश्यों और सिद्धांतों को हासिल करने के लिए गठबंधन की गतिविधियां निम्नलिखित होंगी-
1.5.1. जो संगठन आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के सशक्तिकरण के लिए काम करते हैं, उनको संसाधनों का आवंटन प्राथमिकता के आधार पर करना;
1.5.2. राजनीतिक पार्टियों, गैर राजनीतिक संगठनों, कल्याणकारी कंपनियों, सड़कों के आंदोलनों, अभियानों, विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों आदि की नेटवर्किंग करना;
1.5.3. गठबंधन के विभिन्न कार्यक्रमों को संचालित करने के लिए विभिन्न दलों, संगठनों, संस्थानों, न्यासों, फर्मों व कंपनियों को सम्बद्ध और अधिकृत करना;
1.5.4. विश्व भर के राजनीतिक दलों, गैर सरकारी संगठनों, कल्याणकारी न्यासों व कंपनियों को गठबंधन की सदस्यता प्राप्त करने के लिए उन्हें प्रेरित करना;
1.5.5. मीडिया के माध्यम से उन संगठनों का उनके सदस्यों व जनसाधारण के बीच पर्दाफाश करना, जो अपने नेतृत्व के आर्थिक व राजनीतिक स्वार्थ मात्र के लिए इस गठबंधन से जुड़ने के लिए तैयार नहीं होते और “फूट डालो, शोषण करो” की कारपोरेट शाजिस में सहयोग करते है।
1.5.6. गठबंधन के उद्देश्यों (गैप संधि) के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाना; जागरूकता के लिए रैलियां, प्रदर्शन, भूख हड़ताल, जनसभाएं, प्रशिक्षण व कार्यशाला आयोजित करना; पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन करना; रेडियो, टीवी चैनल संचालित करना।
अध्याय 2
अनुच्छेद 2
गठबंधन का प्रतीक चिन्ह और मोनोग्राम
गैप गठबंधन का प्रतीक चिन्ह एक ऐसी ग्लोब की तस्वीर होगी, जिसके नीचे ग्लोबल डेमोक्रेसी लिखा होगा। गठबंधन की केंद्रीय कमेटी के पास यह प्रतीक चिन्ह संशोधित या परिवर्तित करने का अधिकार होगा।
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अध्याय 3
अनुच्छेद 3
गठबंधन की निष्ठा और विश्वास
गैप गठबंधन निम्नलिखित अंतर्विरोधों के सहअस्तित्व को स्वीकार करने के साथ-साथ गठबंधन के सदस्य संगठनों के संविधान में सच्ची निष्ठा और विश्वास रखता है। अंतर्विरोधों की सूची इस प्रकार है-
समाजवाद और पूंजीवाद,
नास्तिकता और आस्तिकता,
धार्मिक आस्थाएं और धर्मनिरपेक्षता,
वामपंथ और दक्षिणपंथ,
लोकतंत्र और तानाशाही,
एकल और बहुल प्रभुसत्ता,
स्थानीय और वैश्विक नागरिकता,
सत्ता के पृथक्करण का क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर विभाजन,
हिंसक और अहिंसक समाज सुधारक शक्तियां,
देशों की एकता और अखंडता व उनकी प्रभुसत्ता और विश्व की प्रभुसत्ता।
अध्याय 4
अनुच्छेद 4
गठबंधन के अंग, उपांग, नीति निर्देशक और अन्य गठबंधनों से गठबंधन
गठबंधन के उद्देश्यों को हासिल करने के लिए गठबंधन के कुछ अंग, उपांग, नीति निर्देशक, गठबंधन और नेता होंगे। गठबंधन की केंद्रीय कमेटी की अनुमति से गठबंधन की शासकीय इकाइयां गठबंधन की निम्नलिखित इकाइयों का गठन करेंगे-
4.1. गठबंधन के अंग
4.1.1. कार्यसमिति
4.1.2. साधारण सभा
4.1.3. संसदीय परिषद
4.1.4. निर्वाचन प्राधिकरण
4.1.5. निर्वाचन प्रत्याशी चयन परिषद
4.1.6. न्यायिक परिषद
4.1.7. लोक सेवा नियुक्ति परिषद
4.1.8. समवर्ती समन्वय परिषद
4.1.9. क्षैतिज समन्वय परिषद
4.1.10. गठबंधन कोष
4.1.11. सुरक्षा परिषद
4.1.12. जन संचार परिषद
4.1.13. राजनीतिक दल नियामक प्राधिकरण
4.1.14. गैर सरकारी संगठन नियामक प्राधिकरण
4.1.15. कंपनी नियामक परिषद
4.2. गठबंधन के उपांगों के नाम
4.2.1. गठबंधन के प्रकोष्ठ
4.2.2. गठबंधन के मोर्चे
4.2.3. गठबंधन के ऑपरेशन
4.3. गठबंधन के सहयोगी
4.3.1. सदस्य संगठन
4.3.2. संचालित संगठन
4.3.3. संबद्ध संगठन
4.3.4. अधिकृत संगठन
4.4. नीति निर्देशक
4.4.1. गठबंधन की केंद्रीय कमेटी ने गठबंधन के मंच पर संगठनों को जोड़ने की यांत्रिकी, जो इस संविधान द्वारा व्यक्त होती है, के अन्वेषक श्री विश्वात्मा को गठबंधन का प्रेरणा स्रोत (मेंटर) चुना है। अगली प्रक्रिया के तहत श्री विश्वात्मा या उनके द्वारा अधिकृत गठबंधन को समर्पित सर्वोत्तम 5 संगठन सामूहिक सर्वसम्मति से किसी भी पांच व्यक्तियों के नामों की एक सूची तैयार करेंगे। उनमें से एक को गठबंधन की केंद्रीय कमेटी दो तिहाई बहुमत से गठबंधन का नीति निर्देशक चुनेगी।
4.5. अन्य गठबंधनों के साथ गठबंधन
4.5.1. गैप गठबंधन किसी भी अन्य गठबंधन के साथ गठबंधन करते समय उस गठबंधन के लिखित संविधान के प्रावधानों से परिभाषित उसके कार्यक्षेत्र की व्यापकता अधिक पाए जाने पर उसके संविधान के प्रावधानों के अनुरूप गठबंधन करेगा।
4.6. गठबंधन के विभिन्न इकाईयों के ऊर्ध्वाधर स्तर
4.6.1. गठबंधन की इकाइयों के सभी स्तरों को 5 वर्गों में वर्गीकृत किया जाएगा। ये पांचो वर्ग निम्नलिखित हैं-
4.6.1.1. जीरो स्तर
4.6.1.2. प्रबंधकीय स्तर
4.6.1.3. शासकीय स्तर
4.6.1.4. निर्वाचन क्षेत्रीय स्तर
4.6.1.5. एक्शन स्तर
4.6.2. जीरो स्तर का नाम
4.6.2.1. केंद्रीय स्तर
4.6.3. प्रबंधकीय (Managerial) स्तरों के नाम
4.6.3.1. क्षेत्रीय स्तर (प्रथम ‘एम’ स्तर)
4.6.3.2. जनपद स्तर (द्वितीय ‘एम’ स्तर)
4.6.4. शासकीय (Governing)स्तरों के नाम
4.6.4.1. प्रादेशिक स्तर (प्रथम ‘जी’ स्तर)
4.6.4.2. देशिक स्तर (द्वितीय ‘जी’ स्तर)
4.6.4.3. वतन स्तर (तृतीय ‘जी’ स्तर)
4.6.4.4. प्रराष्ट्रीय स्तर (चतुर्थ ‘जी’ स्तर)
4.6.4.5. राष्ट्रीय स्तर (पंचम ‘जी’ स्तर)
4.6.5. निर्वाचन (Constituency) क्षेत्रीय स्तरों के नाम
4.6.5.1. विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र स्तर (प्रथम ‘सी’ स्तर)
4.6.5.2. लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तर (द्वितीय ‘सी’ स्तर)
4.6.5.3. ग्राम/वार्ड संसदीय निर्वाचन क्षेत्र स्तर (तृतीय ‘सी’ स्तर)
4.6.5.4. परिवार संसदीय निर्वाचन क्षेत्र स्तर (चतुर्थ ‘सी’ स्तर)
4.6.5.5. नागरिक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र स्तर (पंचम ‘सी’ स्तर)
4.6.6. एक्शन (Action) स्तरों के नाम
4.6.6.1. ब्लॉक/टाउन एरिया स्तर (प्रथम ‘ए’ स्तर)
4.6.6.2. सर्किल स्तर (द्वितीय ‘ए’ स्तर)
4.6.6.3. सेक्टर (गांवों/वार्डों का समूह) स्तर (तृतीय ‘ए’ स्तर)
4.6.6.4. ग्राम/वार्ड स्तर (चतुर्थ ‘ए’ स्तर)
4.6.6.5. बूथ स्तर (पंचम ‘ए’ स्तर)
4.7. गठबंधन के विभिन्न स्तरों पर गठबंधन के इकाइयां गठित करने की प्रक्रिया
4.7.1. केंद्रीय साधारण सभा की अनुमति से केवल गठबंधन की केंद्रीय कमेटी को ही किसी स्तर पर नई इकाई गठित करने का अधिकार होगा।
4.7.2. केंद्रीय कमेटी अपने क्षेत्रीय कमेटियों को किसी नए स्तर पर नई इकाई के गठन के लिए अधिकृत कर सकती है।
4.8. गठबंधन के विविध स्तरों की साधारण सभाओं के नाम
4.8.1. केंद्रीय इकाई की विधानसभा
4.8.2. जिला इकाई की विधानसभा
4.8.3. क्षेत्रीय इकाई की विधानसभा
4.8.4. बूथ इकाई की विधानसभा
4.8.5. ग्राम इकाई की विधानसभा
4.8.6. सेक्टर इकाई की विधानसभा
4.8.7. सर्कल इकाई की विधानसभा
4.8.8. ब्लॉक इकाई की विधानसभा
4.8.9. विधानसभा क्षेत्र इकाई
4.8.10. देशिक संसदीय क्षेत्र की इकाई की विधानसभा
4.8.11. ग्राम संसदीय क्षेत्र की इकाई की विधानसभा
4.8.12. परिवार संसदीय क्षेत्र की इकाई की विधानसभा
4.8.13. मानव संसदीय क्षेत्र की इकाई की विधानसभा
4.8.14. प्रादेशिक सभा (राज्य स्तरीय साधारण सभा)
4.8.15. लोकसभा (देश स्तरीय साधारण सभा)
4.8.16. ग्राम सभा (वतन स्तरीय साधारण सभा)
4.8.17. परिवार सभा (प्रराष्ट्र स्तरीय साधारण सभा)
4.8.18. मानव सभा (राष्ट्र स्तरीय साधारण सभा)
4.9. गठबंधन के विभिन्न अंगों के प्रमुखों के पद नाम
4.9.1. | संसदीय परिषद | अध्यक्ष |
4.9.2. | निर्वाचन प्राधिकरण | अध्यक्ष |
4.9.3. | सीट आवंटन और ग्रेडिंग (जनमत शोध) परिषद | अध्यक्ष |
4.9.4. | न्यायिक परिषद | अध्यक्ष |
4.9.5. | लोक सेवा भर्ती परिषद | महानिदेशक |
4.9.6. | ऊर्ध्वाधर समन्वय परिषद | समन्वयक (ऊर्ध्वाधर) |
4.9.7. | क्षैतिज समन्वय परिषद | समन्वयक (क्षैतिज) |
4.9.8. | गठबंधन कोष | महाप्रबंधक |
4.9.9. | सुरक्षा परिषद | महानिदेशक |
4.9.10. | जनसंचार प्राधिकरण | प्रवक्ता |
4.9.11. | राजनीतिक दल नियामक प्राधिकरण | अध्यक्ष |
4.9.12. | गैर राजनीतिक संगठन नियामक प्राधिकरण | महा समन्वयक |
4.9.13. | कंपनी नियामक प्राधिकरण | महानिदेशक |
4.10. पदाधिकारियों के कार्यकाल
4.10.1. गठबंधन की विभिन्न स्तर की इकाइयों की कार्यसमितियों में पदाधिकारियों का कार्यकाल निम्नलिखित होगा
शून्य स्तर . | 4 वर्ष |
प्रबंधकीय स्तर . | 4 वर्ष |
प्रशासकीय स्तर . | 4 वर्ष |
निर्वाचन क्षेत्रीय स्तर . | 4 वर्ष |
एक्शन स्तर . | 4 वर्ष |
4.10.2. द्वितीय उपाध्यक्ष का कार्यकाल सभी कमेटियों में मात्र एक वित्तीय वर्ष होगा।
4.11. गठबंधन की केंद्रीय कमेटी के पास गठबंधन के विभिन्न स्तरों के अंगों और उपांगों तथा उनके पदाधिकारियों का कार्यकाल घटाने या बढ़ाने का अधिकार होगा। केंद्रीय कमेटी के पास यह भी अधिकार होगा कि वह उच्चस्थ कमेटियों और उनके पदाधिकारियों के कार्यकाल अपेक्षाकृत अधिक कर दे और निम्नस्थ कमेटियों और उनके पदाधिकारियों के कार्यकाल अपेक्षाकृत कम कर दें।
अध्याय 5
अनुच्छेद – 5
सदस्यता
5.1. गठबंधन की प्राथमिक और सक्रिय सदस्यता के लिए अर्हताएं –
5.1.1 संगठन या व्यक्तियों का कोई समूह, जो अपने आप को गैर राजनीतिक संगठन या राजनीतिक दल या फर्म या कंपनी कहता हो और समाज के किसी समुदाय के सशक्तिकरण या कल्याण के लिए कार्यरत हो;
5.1.2 गठबंधन के संविधान में लिखित रूप से अपना विश्वास प्रकट करता हो;
5.1.3 एक लिखित संविदा/उद्घोषणा के तहत शपथ पूर्वक गठबंधन का सदस्य बनने के लिए घोषणा करता हो;
5.1.4 इस आशय की घोषणा करता हो कि वह अपने संगठन के सभी स्तरों की इकाइयों को गठबंधन की ऊर्ध्वाधर इकाइयों के गठन की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल करेगा।
5.1.5 इस आशय की घोषणा करता हो कि वह अपनी सभी प्रचार सामग्रियों में गैप गठबंधन का नाम उसी प्रकार लिखेगा, जिस प्रकार स्कूल और कॉलेज उन बोर्ड या विश्वविद्यालयों के नाम लिखते हैं, जिनसे वे संबद्ध होते हैं।
5.1.6 इस आशय की घोषणा करेगा कि आवेदक संगठन किसी अन्य राजनीतिक गठबंधन में पंजीकृत नहीं है।
5.1.7 केवल उन उत्पादन और वितरण संस्थानों की वस्तुओं और सेवाओं की खरीद और खरीद में अपने कैडर को तैनात करने के लिए लिखित रूप में घोषणा करता है जिन्होंने धन की वैश्विक भागीदारी और विश्व शांति के मिशन को बढ़ावा देने के लिए गठबंधन की सदस्यता ली है।
5.1.8 अपने कार्यकर्ताओं द्वारा सामाजिक क्षेत्र के लिए किए गए राजनीतिक कार्यों के बदले में आरडीआर के माध्यम से पारिश्रमिक देकर अपने ऊर्ध्वाधर संवर्ग को सशक्त बनाने के लिए लिखित में घोषणा करता है;
5.1.9 अपने ऊर्ध्वाधर संवर्ग को सशक्त बनाने के लिए गठबंधन की ऊर्ध्वाधर कार्यकारी समितियों के चुनावों में अपने ऊर्ध्वाधर संवर्ग को मतदान का अधिकार दिलाने के लिए लिखित रूप में घोषणा करता है;
5.1.10 किसी ऐसे गठबंधन का सदस्य नहीं है; जो गैप गठबंधन का सहयोगी न हो.
5.1.11 गठबंधन के सामाजिक विंग की सदस्यता का लाभ उठाने के लिए तय किए गए फॉर्म-2 के अनुसार आवेदन करता हो;
5.1.12 गठबंधन के कार्यालय में सदस्यता का आवेदन पत्र जमा करता है या आन लाइन आवेदन करता है और इस तरह की सदस्यता को नियमानुसार गठबंधन द्वारा पंजीकरण और स्वीकृति मिलती हो ;
5.1.13 गठबंधन की सदस्यता सबके लिए खोला जाएगा; जो उपरोक्त वर्गों में उल्लिखित पात्रता के अंतर्गत आएगा;
5.1.14 गठबंधन के फार्म-1 के अनुसार गठबंधन की सदस्यता के लिए नियमानुसार आवेदन किया हो, वह आवेदन स्वीकार किया गया हो और सदस्यता मंजूर की गयी हो।
5.1.15 कोई भी सामाजिक, राजनीतिक या वाणिज्यिक संगठन जो कम से कम एक सामाजिक, राजनीतिक या वाणिज्यिक संगठन के लिए गैप गठबंधन में शामिल होने के लिए प्रेरित करेगा और गठबंधन की बैठकों, घटनाओं और सार्वजनिक कार्यक्रमों में लगातार भाग लेगा; गठबंधन के सक्रिय सदस्य संगठन के रूप में माना जाएगा।
5.1.16 इस आशय की घोषणा करता हो कि सदस्यों के लिए गठबंधन के संविधान की अनुसूची-3 में दिए गए नियमों के अनुरूप गठबंधन को नियमित सदस्यता शुल्क जमा करेगा।
5.1.17 इसआशय की घोषणा करता हो कि “फूट डालो, शोषण करो” की कारपोरेट शाजिस में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सहयोग नहीं करेगा.
5.2. सदस्यता का वर्गीकरण
5.2.1 सामाजिक सदस्यता – गठबंधन का किसी भी सक्रिय या प्राथमिक सदस्य को सामाजिक सदस्यता डी जायेगी, जो:
5.2.1.1. जो अपने आप को सामाजिक समूह कहता हो या आंदोलन कहता हो या सामाजिक मीडिया ग्रुप कहता हो, जो जनता को अपने मुद्दों पर ध्रुवीकरण कराने का कार्य करता हो और संबंधित देश की पंजीकरण एजेंसी में विधिवत पंजीकृत हो;
5.2.1.2. गठबंधन के फार्म-2 के अनुरूप गठबंधन की सामाजिक सदस्यता के लिए आवेदन कर्ता हो;
5.2.2 राजनीतिक सदस्यता उन संगठनों को दिया जायेगा; जो–
5.2.2.1. जो निर्वाचकों के ध्रुवीकरण और संबंधित देश की सरकार के विधायी कार्यों में भाग लेने के लिए काम करने के लिए काम करने वाला एक राजनीतिक दल होने का दावा करता है और यदि उक्त देश में ऐसा प्राधिकार मौजूद है तो संबंधित देश के चुनाव संचालन अधिकरण में पंजीकृत है;
5.2.2.2. कोई भी राजनीतिक दल, जो गैप गठबंधन का प्राथमिक सदस्य हो या सक्रिय सदस्य हो;
5.2.2.3. फार्म-3 के अनुरूप नियमानुसार गठबंधन की राजनीतिक सदस्यता के लिए आवेदन करता हो;
5.2.2.4. कम से कम 5 विधान सभाओं सीटों पर चुनाव लड़ चुकी हो।
5.2.2.5. गठबंधन के उर्ध्वाधर साधारण सभाओं के चुनावों में वोट देकर अपने उर्ध्वाधर कैडर को समर्थ बनाने के लिए लिखित में घोषणा करे।
5.2.2.6. अपने उर्ध्वाधर कैडर द्वारा सामाजिक क्षेत्र में किए गए कार्य के बदले में आरडीआर देने के लिए लिखित में घोषणा करे।
5.2.2.7. जिन कंपनियों ने गठबंधन की सदस्यता ली हुई है उन कंपनियों के सामान को खरीदने और बेचने के काम पर अपने कैडर को लगाना।
5.2.2.8. जो गठबंधन के संविधान में विश्वास की लिखित में घोषणा करे।
5.2.2.9. जो गठबंधन से असम्बद्ध किसी अन्य राजनीतिक गठबंधन का सदस्य न हो।
5.2.3 व्यवसायिक सदस्यता
5.2.3.1. कोई भी व्यावसायिक संस्थान जैसे फर्म या कंपनी, जो गैप गठबंधन का प्राथमिक या सक्रिय सदस्य हो;
5.2.3.2. गठबंधन से जुड़ने पर अपनी कंपनी के उत्पादों और सेवाओं की बिक्री की वृद्धि को सैद्धांतिक रूप में स्वीकार करता हो।
5.2.3.3. जो इस आशय की घोषणा करेगा कि उसके निदेशकों व शेयरधारकों के धन को गठबंधन विरोधी कामों में इस्तेमाल नहीं करेगा;
5.2.3.4. जो इस आशय की घोषणा करेगा कि गठबंधन संविधान की अनुसूची 4 के अनुसार अपनी फर्म या कंपनी के लाभों का कुछ प्रतिशत विश्व शांति व वैश्विक भागीदारी के लिए अंतरराष्ट्रीय गैप संधि संपन्न कराने के लिए किए जा रहे कार्यक्रमों के लिए देगा।
5.2.3.5. जो गठबंधन के फार्म-4 के अनुरूप गठबंधन की व्यवसायिक सदस्यता के लिए आवेदन करता हो।
5.3. सदस्यता का श्रेणीकरण
सदस्य संगठनों की सदस्यता पांच ग्रेड में वर्गीकृत की जाएगी । सदस्य संगठनों की ग्रेडिंग के संबंध में विस्तृत नियम, विनियम शर्तें गठबंधन के संविधान की अनुसूची-9 में संकलित किया जाएगा । केंद्रीय कार्यकारी समिति को समय-समय पर ग्रेडिंग के नियम और शर्तों में संशोधन करने का अधिकार होगा। सदस्य संगठनों की मदद करने, पदाधिकारियों की ऊर्जा का पर्याप्त उपयोग करने के लिए, गठबंधन सदस्य संगठनों के पदाधिकारियों को शिक्षा, प्रशिक्षण, मूल्यांकन और प्राप्त धनराशि के आधार पर ग्रेडिंग प्रमाण पत्र जारी करेगा। केंद्रीय कार्यकारी समिति को इस संबंध में नियम बनाने का अधिकार होगा।
5.3.1 सामाजिक और राजनीतिक सदस्यता का श्रेणीकरण
5.3.1.1 सदस्य संगठनों की सदस्यता पांच श्रेणियों में श्रेणीबद्ध होगी।
5.3.1.2 इस विषय में विस्तृत नियम व शर्तें गठबंधन के संविधान की अनुसूची 9 में अंकित होंगे। इन नियम व शर्तों को संशोधित करने का अधिकार गठबंधन की केंद्रीय कमेटी को होगा।
5.3.1.3 सदस्य संगठनों के श्रेणीकरण के मापदंड निम्नलिखित होंगे-
- जनभागीदारी की क्षमता
- आर्थिक योगदान की क्षमता
- सदस्य संगठनों के बीच लोकप्रियता की क्षमता
- गठबंधन के प्रति समर्पण की क्षमता
- सेवा के लिए लक्षित जनसंख्या की क्षमता
- आरडीआर धारण करने की क्षमता
5.3.1.4 उक्त सभी मानकों में प्रत्येक मानक के लिए 100 अंक निर्धारित होंगे. सभी 6 मानकों के लिए कुल अंक 600 होंगे. किसी भी राजनीतिक दल की क्षमता का प्रतिशत निर्धारित करने के लिए उक्त सभी मानकों पर अलग अलग मूल्यांकन किया जायेगा और अंत में सभी 6 मानकों पर प्राप्त अंकों को जोड़कर दल की क्षमता के कुल प्राप्तांक प्रतिशत की गणना किया जायेगा.
5.3.1.5 उक्त प्रत्येक 6 मापदंडों पर पहली श्रेणी के राजनीतिक दल को 81-100%, दूसरी श्रेणी के राजनीतिक दलों को 61- 80%, तीसरी श्रेणी के राजनीतिक दल को 41-60%, चौथी श्रेणी के राजनीतिक दल को 21-40% और पांचवीं श्रेणी के राजनीतिक दलों को 0- 20% अंक प्राप्त करना अपेक्षित होगा।
5.3.1.6 जनभागीदारी की क्षमता के आधार पर सदस्य दलों का श्रेणीकरण – 5वीं श्रेणी में वह राजनीतिक दल माने जाएंगे, गठबंधन के कार्यक्रमों में जहां जनभागीदारी अपेक्षित हो; वहां 01 से लेकर 10 तक की संख्या में अपने राजनीतिक दल से कार्यकर्ताओं की उपस्थिति सुनिश्चित करता है। जो दल 11-50 की संख्या में उपस्थिति सुनिश्चित करेगा, उसको चौथी श्रेणी का राजनीतिक दल माना जाएगा। तीसरी श्रेणी का राजनीतिक दल उसको माना जाएगा, जो 51 से लेकर 500 कार्यकर्ताओं की उपस्थिति सुनिश्चित करता है। जो दल 501-5000 की संख्या में कार्यकर्ताओं की उपस्थिति सुनिश्चित करेगा, उसको दूसरी श्रेणी का राजनीतिक दल माना जाएगा. पहली श्रेणी में वह राजनीतिक दल माने जाएंगे, जो गठबंधन के कार्यक्रमों में 5000 से अधिक संख्या में अपने राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं की उपस्थिति सुनिश्चित करता हो।
5.3.1.7 गठबंधन को आर्थिक योगदान क्षमता के मापदंड पर सदस्य संगठनों का श्रेणीकरण– पांचवीं श्रेणी में वे राजनीतिक दल माने जाएंगे, जिनका कोई भी नकद आर्थिक सहयोग गठबंधन को प्राप्त नहीं होता। चौथी श्रेणी के राजनीतिक दल उनको कहा जाएगा, जो गठबंधन को प्रतिमाह ₹100 से लेकर ₹1000 तक का आर्थिक सहयोग नकद रूप में करते हैं। जो राजनीतिक दल गठबंधन को प्रतिमाह ₹1000 से लेकर ₹5000 तक का आर्थिक सहयोग करते हैं, उनको तीसरी श्रेणी के राजनीतिक दल का दर्जा दिया जाएगा। प्रतिमाह ₹5000 से ₹20000 का आर्थिक सहयोग करने वाले राजनीतिक दलों को दूसरी श्रेणी का राजनीतिक दल माना जाएगा। पहली श्रेणी के राजनीतिक दल उनको माना जाएगा, जो गठबंधन को प्रतिमाह ₹20000 से अधिक नकद रकम का योगदान करते हैं।
5.3.1.8 गठबंधन के सदस्य संगठनों के बीच लोकप्रियता की क्षमता के मापदंड पर श्रेणीकरण– पांचवीं श्रेणी में उन राजनीतिक दलों को सूचीबद्ध किया जाएगा, जिनके प्रतिनिधि या प्रमुख को गठबंधन के अधिक से अधिक 5% राजनीति दल पसंद करते हैं। जो राजनीतिक दल से 6% से लेकर 10% तक के राजनीतिक दलों द्वारा पसंद किए जाएंगे, उनको चौथी श्रेणी का राजनीतिक दल माना जाएगा। तीसरी श्रेणी में उन राजनीतिक दलों को गिना जाएगा, जिनको कम से कम 11% से 20% सदस्य संगठन पसंद करते हैं। 21% से 40% सदस्य संगठनों द्वारा पसंद किए जाने वाले राजनीतिक दलों को दूसरी श्रेणी का राजनीतिक दल कहा जाएगा। गठबंधन के 40% से अधिक सदस्य संगठन जिस राजनीतिक दल के प्रमुख या उसके प्रतिनिधि के पक्ष में वोट देंगे, उस राजनीतिक दल को प्रथम श्रेणी के राजनीतिक दल का दर्जा प्राप्त होगा।
5.3.1.9 आरडीआर धारण करने की क्षमता के मापदंड पर सदस्य संगठनों का श्रेणीकरण– पांचवी श्रेणी में उन राजनीतिक दलों को माना जाएगा, जो 1 लाख रुपए से कम के आर डी आर के धारक होंगे। 1 लाख एक रुपए से लेकर 10,00,000 रुपए तक के आरडीआर धारकों को चौथी श्रेणी का राजनीतिक दल माना जाएगा। रुपए 10,00,001 से लेकर 1करोड़ रुपए तक के धारक राजनीतिक दलों को तीसरी श्रेणी के राजनीतिक दल के रूप में मान्यता दी जाएगी। एक करोड़ से अधिक और ₹100 करोड़ तक के आरडीआर धारक राजनीतिक दलों को दूसरी श्रेणी के राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत किया जाएगा। 100 करोड़ से अधिक रकम के आरडीआर धारक राजनीतिक दलों को प्रथम श्रेणी के राजनीतिक दल के रूप में मान्यता दी जाएगी।
5.3.1.10 गठबंधन के प्रति समर्पण की क्षमता के मापदंड पर सदस्य संगठनों का श्रेणीकरण–
- अपने दल का आय और व्यय का और अपनी पार्टी के सदस्यों और पदाधिकारियों का रिकॉर्ड रखने के लिये,
- अपने सदस्यों तथा पदाधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिये,
- अपने पार्टी के पदाधिकारियों द्वारा किए गए कार्यों का मौद्रिक मूल्यांकन करने के लिये,
- अपनी पार्टी को चंदा देने वाले व्यक्तियों और संस्थानों का मौद्रिक रिकॉर्ड रखने के लिये,
- अपनी पार्टी के सदस्य और पदाधिकारियों को रोजगार देने के लिये,
(1) जो दल गठबंधन की विधानसभा की बैठकों में नियमित भाग लेते हैं और गठबंधन की सदस्यता लेने के लिए गठबंधन के प्रोफार्मा के अनुसार शपथपत्र प्रस्तुत करते है.
(2) जो दल आर डी आर के नाम से गठबंधन द्वारा जारी मौद्रिक मूल्यांकन प्रमाण पत्रों को अपने पार्टी के सदस्यों, पदाधिकारियों और चंदा दाताओं में लोकप्रिय बनाते हैं और उनको आरडीआर धारक बनाते हैं;
(3) जो दल कैडर प्रशिक्षण के लिए मान्यता प्राप्त विशेषज्ञों की सेवाओं को प्राप्त करते हैं;
(4) जो दल गठबंधन द्वारा मान्यता प्राप्त वस्तुओं और सेवाओं खरीद व बिक्री के कार्य में अपनी पार्टी के सदस्यों और पदाधिकारियों को लगाते हैं;
(5) जो दल गठबंधन द्वारा मान्यता प्राप्त चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, रिकॉर्ड का रखरखाव करने वाले संस्थानों को अधिकृत करते हैं.
जो सदस्य राजनीतिक दल उक्त पांचो प्रावधानों में से किसी भी प्रावधान को नहीं मानते, उन्हें पांचवी श्रेणी का राजनीतिक दल कहा जाएगा। जो दल केवल प्रावधान संख्या (1) मानते हैं, उन राजनीतिक दलों को चौथी श्रेणी का राजनीतिक दल माना जाएगा। उक्त प्रावधान संख्या (1) (2) को मानाने वाले सदस्य संगठनों को तीसरी श्रेणी का दल कहा जायेगा. दूसरी श्रेणी का दल उन सदस्य संगठनों को माना जायेगा, जो प्रावधान संख्या (1) (2) (3) को स्वीकार करते है. उक्त पांचो प्रावधानों को स्वीकार करने वाले दलों को प्रथम श्रेणी के दल के रूप में मान्यता दिया जायेगा.
5.3.1.11 जनसेवा के लिए लक्षित जनसंख्या की क्षमता के मापदंड पर सदस्य संगठनों का श्रेणीकरण– पांचवीं श्रेणी में उन राजनीतिक दलों को रखा जाएगा जो अपने कुल- खानदान या जाति या अपने सीमित भौगोलिक क्षेत्र के विकास के लिए कार्यरत हैं। चौथी श्रेणी में उन राजनीति दलों को रखा जाएगा जो अपने प्रदेश के विकास के लिए कार्यरत हैं। तीसरी श्रेणी में उन राजनीति दलों को रखा जाएगा, जो अपने देश से विकास के लिए कार्यरत हैं। दूसरी श्रेणी में उन राजनितिक दलों को रखा जाएगा जो पड़ोसी देशो के भी विकास और अंतर्राष्ट्रीय शांति के लिए कार्यरत हैं। पहली श्रेणी में उन राजनीतिक दलों को रखा जाएगा जो संपूर्ण विश्व के सभी व्यक्तियों के आर्थिक विकास, विश्वव्यापी शांति और विश्वव्यापी सुशासन के लिए कार्यरत हैं।
5.3.2 गठबंधन के व्यवसायिक सदस्यता की श्रेणी
5.3.2.1 जो व्यावसायिक सदस्य अपनी बिक्री से प्राप्त लाभ का 50% और अपने नेट लाभ का 10% गठबंधन के कोष में देने पर राजी होगा, उसे गठबंधन की पांचवीं श्रेणी का व्यवसायिक सदस्य संगठन कहा जाएगा।
5.3.2.2 जो व्यवसायिक संगठन सदस्य अपनी बिक्री से प्राप्त लाभ का 75% और नेट प्रॉफिट का 25% गठबंधन के कोष को देने पर राजी होगा, उसे गठबंधन का द्वितीय श्रेणी का व्यावसायिक संगठन सदस्य माना जाएगा।
5.3.2.3 जो व्यवसायिक सदस्य संगठन अपनी बिक्री से प्राप्त लाभ का 80% और अपने नेट लाभ का 50% गठबंधन के कोष को देने पर राजी होगा और अपने समस्त कर्मचारियों को राजनीति व राज व्यवस्था सुधारने के लिए होने वाले राजनीति सुधारकों के प्रशिक्षण का लाभ दिलाने पर राजी होगा, उसे गठबंधन की तृतीय श्रेणी की व्यवसायिक सदस्यता प्राप्त होगी।
5.3.2.4 जो व्यावसायिक सदस्य संगठन अपनी नेट प्रॉफिट का 75% गठबंधन को देने पर राजी होगा, अपने कर्मचारियों व निदेशकों के लिए आरडीआर का लाभ उठाने पर राजी होगा और राजनीति सुधारकों की ट्रेनिंग का लाभ अपने सभी कर्मचारियों को दिलाने पर राजी होगा, उसे गठबंधन की द्वितीय श्रेणी का व्यवसायिक सदस्य संगठन माना जाएगा।
5.3.2.5 जो व्यवसायिक सदस्य संगठन अपनी कुल लाभ का 90% गठबंधन कोष को देने को राजी होगा, अपने कर्मचारियों को आरडीआर का लाभ और राजनीति सुधारकों के प्रशिक्षण शिविर का लाभ उठाने के लिए राजी होगा तथा आरडीआर के बदले अपनी कंपनी के उत्पादों व सेवाओं की बिक्री करने को राजी होगा, उसे प्रथम श्रेणी का व्यवसायिक संगठन कहा जाएगा।
5.4. सदस्यता कार्यकाल और सदस्यों की शपथ
5.4.1 प्राथमिक सदस्यता का कार्यकाल 4 वर्ष होगा। 4 वर्ष के अंदर सदस्यता का नवीनीकरण कराना आवश्यक है। कोई भी सदस्य अपने स्थाई या पंजीकृत पते पर ही सदस्य बन सकता है। पता परिवर्तन करने की स्थिति में सदस्य संगठन तत्काल गठबंधन कार्यालय को सूचना देना अनिवार्य है।
5.4.2 आवेदन पत्र के साथ सदस्य संगठनों को शपथ पूर्वक निम्नलिखित घोषणा करनी अनिवार्य है-
5.4.2.1. गठबंधन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए गठबंधन द्वारा निर्धारित तरीकों का ही प्रयोग किया जाएगा;
5.4.2.2. कार्य करने के तरीके को गठबंधन के संविधान के अनुरूप बनाने के लिए मेरा संगठन प्रयास करेगा;
5.4.2.3. संगठन के सदस्यों में उच्च स्तरीय समदर्शिता का भाव पैदा करने के लिए काम करेंगे;
5.5. सदस्यता का पंजीकरण और नवीनीकरण
5.5.1 किसी भी संगठन को गठबंधन की सक्रिय सदस्यता प्राप्त करने के लिए गठबंधन के फार्म-3 के माध्यम से आवेदन करना होगा। सक्रिय सदस्य बनने के लिए आवेदक संगठन को आवेदन पत्र में दिए गए पांच शासकीय स्तरों में से किसी एक स्तर को चुनना होगा। सदस्य संगठन को गठबंधन के जिस कार्य में रुचि होगी, उस कार्य के लिए उसे फार्म के माध्यम से घोषणा करनी होगी। यह घोषणा करने के लिए उसे संगठन के प्रकोष्ठ, मोर्चा एवं ऑपरेशनों में से किसी एक को चुनना होगा।
5.5.2 गठबंधन की भर्ती परिषद को यह अधिकार होगा कि वह किसी संगठन को सदस्यता देते समय गठबंधन की कार्यसमिति के किसी सदस्य की सिफारिश मांगे या आवेदक को गठबंधन की उचित इकाई में और उचित स्तर पर नियुक्त कर दे।
5.5.3 भारतीय परिषद अपने निर्णय के अनुसार किसी संगठन को अंतरिम या अंतिम सदस्यता दे सकती है।
5.5.4 सदस्यता की अंतिम मंजूरी संबंधित इकाई की कार्यसमिति करेगी।
5.5.5 प्राथमिक सदस्यता का नवीनीकरण गठबंधन के फार्म 7 पर होगा।
5.6. सदस्यता का रिकॉर्ड और उसका सत्यापन
5.6.1 पार्टी की क्षेत्रीय कमेटी प्राथमिक और सक्रिय सदस्य संगठनों की सूची प्रत्येक 3 वर्ष पर 31 मार्च तक प्रकाशित करेगी। जांच पुनरीक्षण के बाद अंतिम सूची प्रत्येक 3 वर्ष में 31 अगस्त से पूर्व प्रकाशित की जाएगी।
5.6.2 एक बार सदस्य संगठनों की सूची प्रकाशित हो जाने के बाद तब तक बनी रहेगी, जब तक अगली अंतिम सूची प्रकाशित नहीं होगी। संबंधित शासकीय इकाई के प्रमाणीकृत किए जाने के बाद स्थाई सदस्यों की सूची और रजिस्टर गठबंधन की क्षेत्रीय समिति द्वारा बनाया जाएगा।
5.6.3 सदस्यता के सत्यापन के विषय में नियम बनाने का अधिकार गठबंधन की केंद्रीय कमेटी को होगा।
5.7. सदस्यता के त्यागपत्र और स्थानांतरण के विषय में आवेदन
5.7.1 गठबंधन से त्यागपत्र देने या गठबंधन की एक इकाई से दूसरी इकाई में या एक स्तर से दूसरे स्तर में स्थानांतरण संबंधी आवेदन सदस्य की अपनी इकाई की कार्यसमिति के प्रमुख को दिया जाएगा। कार्यसमिति का प्रमुख आवेदन पर अंतिम फैसला लेने के लिए अपनी उच्चस्थ समिति को अपनी संस्तुति के साथ प्रेषित करेगा। इस संस्तुति में आवेदन में की गई प्रार्थना की स्वीकृति हो सकती है, निरस्तीकरण या स्थगन हो सकता है। यदि आवेदक को उच्च स्तर कमेटी का फैसला स्वीकार्य नहीं है, तो वह गठबंधन की संबंधित न्यायिक प्रकोष्ठ में याचिका प्रस्तुत कर सकता है।
5.7.2 गठबंधन की पांचों शासकीय स्तर की कमेटियों को अपने-अपने स्तरों से संबंधित सदस्यों की सदस्यता के त्यागपत्र या स्थानांतरण संबंधी विधियां बनाने का अधिकार होगा।
5.8. सदस्य संगठनों के अधिकार
5.8.1 सदस्य संगठनों के मूल व व्युत्पन्न अधिकारों के विषय में नियम बनाने का अधिकार संगठन की केंद्रीय कमेटी को होगा।
5.8.2 गठबंधन के प्राथमिक सदस्यों को गठबंधन की केंद्रीय कमेटी के अध्यक्ष के चुनाव में वोट देने का अधिकार होगा।
5.8.3 गठबंधन के सक्रिय सदस्यों को वोट देने का अधिकार व उस शासकीय स्तर के प्रतिनिधियों के चुनाव में भाग लेने का अधिकार होगा, जिस स्तर से वह संबंधित है। उदाहरण के लिए प्रादेशिक स्तर के सक्रिय सदस्य को गठबंधन की प्रादेशिक साधारण सभा के गठन के लिए होने वाले निर्वाचन में प्रादेशिक प्रतिनिधि भेजने के लिए होने वाले चुनाव में वोट देने का अधिकार होगा।
5.9. सदस्य संगठनों के कर्तव्य
गठबंधन के सदस्य संगठनों के कर्तव्य निम्नलिखित होंगे-
5.9.1 गठबंधन के संविधान में निष्ठा रखना, संविधान के अनुच्छेद 5.3 के प्रावधानों के अनुसार यथासंभव प्रथम श्रेणी का सदस्य संगठन का दर्जा प्राप्त करने के लिए सतत प्रयत्नशील रहना और गठबंधन की नीतियों का प्रचार-प्रसार करना;
5.9.2 गठबंधन के शक्ति प्रदर्शनों में अपने संगठन की यथाशक्य संपूर्ण शक्ति लगाकर अपनी व गठबंधन की ताकत दिखाना;
5.9.3 गठबंधन कोष में अधिक से अधिक आर्थिक सहयोग करना और अपने हिस्से की रकम को निर्धारित तिथि तक निर्धारित खाते में जमा करना;
5.9.4 गठबंधन के घटकों के पदाधिकारियों द्वारा आपस में मित्रवत संबंध बनाना तथा गुटबाजी पर अंकुश लगाने के लिए सतत चौकन्ना रहना और कार्य करते रहना।
5.9.5 गठबंधन की नीतियों व कार्यक्रमों के प्रति सजग रहने के लिए गठबंधन की पत्र-पत्रिकाओं का नियमित अध्ययन करना और अपने संगठन के लोगों को करवाना;
5.9.6 कारपोरेट और सरकारी मीडिया संस्थानों के झूठे समाचारों और जनता में आत्मघाती दृष्टिकोण विकसित करने की शाजिस का सतत पर्दाफास करते रहना और जनता की शंकाओं का सतत समाधान करते रहना;
5.9.7 अन्य संगठनों को गठबंधन से जुड़ने के लिए समझाना;
5.9.8 जनता की मनोकामनाओं, अपेक्षाओं और आवश्यकताओं को गठबंधन की केंद्रीय समिति तक सतत पहुंचाते रहना;
5.9.9 गठबंधन के संविधान और विविध नियमों के अनुसार अनुशासन का पालन करना।
5.9.10 गठबंधन के कामों को संपादित करने के लिए समय दान व श्रमदान करना;
5.9.11 किसी भी घटक द्वारा आयोजित कार्यक्रम में यथासंभव सभी घटको के संयोजकों, राष्ट्रीय अध्यक्षों और स्थाई प्रतिनिधियों को अपने खर्चे से पहुंचना। कार्यक्रम में पहुंचने की सूचना स्थाई प्रतिनिधि के माध्यम से सम्बंधित आयोजक को और महागठबंधन कार्यालय को कम से कम 4 दिन पूर्व उपलब्ध कराना।
5.9.12 किसी भी घटक दल या उसके पदाधिकारियों द्वारा किसी के अन्य दल के पदाधिकारी के विरुद्ध किसी तरह की अशोभनीय टिप्पणी न करना, जिससे लक्षित व्यक्ति का अपमान होता हो।
5.9.13 गठबंधन की विधान सभा द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार प्रदत्त दायित्वों को समय से सभी घटकों द्वारा पूरा किया जाना।
5.9.14 गठबंधन से जुडे़ अन्य गठबन्धनों का यह कर्तव्य होगा कि वह अपने अपने गठबंधन से जुड़े राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों को गठबंधन की सूचनाएं पंहुचाते रहें, गठबंधन की विधान सभा की बैठकों में व गठबंधन के जनजागरण तथा शक्ति प्रदर्शन कार्यक्रमों में उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करें, अपने सदस्य दलों व सामाजिक संगठनों के हिस्से में समय समय पर आने वाले आर्थिक योगदान को गठबंधन के पास जमा कराना सुनिश्चित करें।
5.10. सदस्य संगठनों की आय का जरिया
5.10.1 सदस्य संगठन की अस्तित्वगत सुरक्षा के लिए आय का स्रोत
5.10.1.1. सदस्य संगठन गठबंधन की जिस इकाई में काम करता है, उस इकाई द्वारा जिन लोगों की जरूरतें पूरी होती हैं, उनसे प्राप्त सेवा शुल्क और चंदा;
5.10.1.2. सदस्य संगठन को प्राप्त आरडीआर यानी भविष्य में संसद द्वारा वित्त विधेयकों को पारित करने से प्राप्त होने वाली वह रकम, जो सदस्य संगठन को उसके कार्यों का मूल्यांकन के आधार पर जारी किया जाता है
5.10.2 गठबंधन के कार्यों को करने के बदले प्राप्त आय
5.10.2.1. सदस्य संगठन द्वारा जिस समुदाय की जरूरतों को पूरा किया जाता है, उससे प्राप्त आर्थिक सहयोग;
5.10.2.2. गठबंधन द्वारा सदस्य संगठन के नाम जारी धनराशि;
5.10.2.3. आरडीआर;
5.11. सदस्य संगठन के कार्य की प्रेरणा का स्रोत
प्रादेशिक और राष्ट्रीय स्तर के सदस्य संगठनों के मूल्य व विचारधारा परस्पर विरोधी किंतु पूरक होंगे।
5.11.1 गठबंधन की विश्व/राष्ट्र स्तरीय इकाइयों के कार्य का प्रेरणा स्रोत
5.11.1.1. विश्व भर के नागरिकों की साझी आर्थिक विरासत की मान्यता, सुरक्षा और विकास के लिए कार्य;
5.11.1.2. विश्व भर के समस्त नागरिक, अर्थव्यवस्था की अध:संरचना-सड़क, यातायात, संचार साधनों, उपभोग वस्तुओं का उपयोग कर सकें, इसके लिए लोगों के व्यक्तिगत विकास सूचकांक को बढ़ाने के लिए कार्य;
5.11.1.3. व्यक्ति की मानसिक क्षमता और उसकी आर्थिक क्षमता के स्थिरांक को मान्यता देते हुए को नजरअंदाज करते हुए वितरण का न्याय सुलभ करते हुए विश्व के सभी नागरिकों तक उपभोग वस्तुएं व सेवाएं पहुंचाने के लिए कार्य;
5.11.1.4. राष्ट्रीय साधारण सभा के लिए आरक्षित सभी कार्य;
5.11.1.5. राष्ट्रीय विकासक सभा के सदस्य संगठनों के लिए आर्थिक अध: संरचना विकसित करने का कार्य।
5.11.2 प्रादेशिक स्तर के सदस्य संगठनों के कार्य की प्रेरणा स्रोत
5.11.2.1. प्रादेशिक व राष्ट्रीय स्तर के गठबंधन की इकाइयों की कार्यसूची मध्यवर्ती अन्य तीन स्तर के सदस्य संगठनों के कार्य का प्रेरणास्रोत होगा। अंतर गुणों में नहीं, मात्रा में होगा।
5.11.2.2. प्रादेशिक क्षेत्र के सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा और विकास के कार्य।
5.11.2.3. क्षेत्रीय अध: संरचना के विकास विश्व विकास सूचकांक में वृद्धि के कार्य और रोजगार के परंपरागत साधनों का विकास।
5.11.2.4. उपभोक्ता वस्तुओं के अधिक से अधिक उत्पादन का कार्य।
5.11.2.5. गठबंधन संविधान में प्रादेशिक साधारण सभा के लिए आरक्षित कार्य।
5.11.3 देश, वतन और प्रराष्ट्र स्तरीय सदस्य संगठनों के कार्य का प्रेरणा स्रोत
5.11.3.1.
5.11.3.2. देशों के स्तर के सदस्य संगठनों को कार्य की प्रेरणा प्रादेशिक साधारण सभा के लिए आरक्षित कार्य होंगे।
5.11.3.3. प्रराष्ट्रीय स्तर के सदस्य संगठनों के कार्यों की प्रेरणा राष्ट्रीय साधारण सभा के लिए आरक्षित कार्य होंगे।
5.11.3.4. वतन स्तर के सदस्य संगठनों के कार्य की प्रेरणा स्रोत होगी राष्ट्रीय और प्रादेशिक साधारण सभा के लिए आरक्षित कार्यों में समन्वय करना।
5.12. गठबंधन के आय–व्यय और सदस्यता शुल्क की प्रकृति
5.12.1 गठबंधन के प्राथमिक सदस्यों के सदस्यता शुल्क का निर्धारण
5.12.1.1. प्राथमिक सदस्यों की सदस्यता शुल्क गठबंधन का केंद्रीय समिति द्वारा तय किया जाएगा।
5.12.1.2. प्राथमिक सदस्यों की सदस्यता शुल्क का निर्धारण करते समय केंद्रीय कमेटी क्षेत्रीय कमेटी की सिफारिश मांगेगी।
5.12.2 विविध प्रावधान–
5.12.2.1. कोई भी सदस्य संगठन गठबंधन को अल्पकालिक या दीर्घकालिक ऋण दे सकता है। वह किसी अन्य संगठन को ऋण वापसी के लिए अधिकृत कर सकता है। ऋण प्राप्ति के बदले गठबंधन आरडीआर यानी रिफंडेबल डोनेशन रसीद, प्रोमीजरी नोट, गारंटी नोट इत्यादि जारी कर सकता है।
5.12.2.2. केंद्रीय कमेटी अपनी क्षेत्रीय समितियों द्वारा गठबंधन की सदस्यता का सत्यापन करेगी। क्षेत्रीय कमेटियां इस आशय की अपनी संस्तुति करेंगी कि किन-किन सदस्य संगठनों ने सदस्यता संबंधी नियमों का अनुपालन नहीं किया है। ऐसे संगठनों की सदस्यता रद्द की जा सकती है। किंतु सदस्य संगठन को इस तरह के फैसले के विरुद्ध संबंधित न्यायिक परिषद में याचिका प्रस्तुत करने का अधिकार होगा। न्यायिक परिषद का निर्णय अंतिम होगा।
5.12.2.3. पाँच एक्शन और निर्वाचन क्षेत्रीय ऊर्ध्वाधर स्तरों की कमेटियां अपने से संबंधित स्तर के सदस्यों की सदस्यता का सत्यापन नियमित करती रहेंगी और अंतिम निर्णय के लिए संबंधित शासकीय समिति को अपनी संस्तुति भेजती रहेंगी।
5.12.2.4. गठबंधन की केंद्रीय समिति समय-समय पर प्राथमिक और सक्रिय सदस्यों की सदस्यता शुल्क का निर्धारण करेंगी।
5.12.2.5. गठबंधन समय-समय पर अपनी प्रबंधकीय इकाइयों द्वारा सदस्यता अभियान चलाएगा। क्षेत्रीय कमेटी अपने कार्यों का संपादन जनपद कमेटियों द्वारा करेंगे। जनपद और ब्लॉक स्तर की कमेटियां गांव/वार्ड स्तर की कमेटियों को गठबंधन द्वारा अधिकृत प्रत्याशी को चुनाव जिताने के अभियान के कार्य में लगाएंगी।
5.12.2.6. गठबंधन को प्राप्त सदस्यता शुल्क और आर्थिक सहयोग राशि गठबंधन की विविध ऊर्ध्वाधर इकाइयों में संविधान की अनुसूची 3 में दिए गए नियमों के अनुसार वितरित होगी।
5.12.2.7. गठबंधन की केंद्रीय कमेटी को सदस्यता शुल्क के नियमों में और अनुदान में प्राप्त राशि का विविध ऊर्ध्वाधर इकाइयों में वितरित करने के नियमों को संशोधित करने का अधिकार होगा।
5.12.2.8. यदि गठबंधन की किसी इकाई को सदस्यता शुल्क या अनुदान राशि में हिस्सा प्राप्त करने का अधिकार तो है, किंतु वह इकाई अस्तित्व में नहीं है या स्थगित है या भंग हो गई है, तो उसके हिस्से की राशि गठबंधन के केंद्रीय कमेटी के खाते में जमा रहेगी।
5.13. सदस्यता का निरस्तीकरण स्थगन और स्थानांतरण –
जिन आधारों पर सदस्य संगठन की सदस्यता का स्थगन, निरस्तीकरण या स्थानांतरण हो सकता है वे आधार इस प्रकार हैं-
5.13.1 सदस्यता शुल्क का न दिया जाना;
5.13.2 सदस्य संगठन का त्यागपत्र;
5.13.3 सदस्य संगठन का भंग हो जाना;
5.13.4 सदस्य संगठन की निष्क्रियता
5.13.5 न्यायिक परिषद द्वारा दोषी पाए जाने पर सदस्यता का स्थगन या निरस्तीकरण
5.14. सदस्य संगठनों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही
5.14.1 अनुशासनात्मक कार्यवाही के आधार
1 किसी घटक दल द्वारा गुटबाजी पैदा करने की जानकारी सही साबित होने पर घटक दल विशेष को गठबंधन से बाहर कर दिया जाएगा।
2 अश्लील, हिंसक और असंसदीय भाषा का प्रयोग और व्यवहार।
3 सार्वजनिक बयान संबंधी नियमों का उल्लंघन।
4 महागठबंधन के नियमों का उल्लंघन।
5 प्रकाशन संबंधी नियमों का उल्लंघन।
6 फूट डालो शोषण करो की शाजिस में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सहयोग करना
5.14.2 दण्ड विधान
- दोषी दल को ब्लैक लिस्ट किया जायेगा और दल के प्रमुख के विरुद्ध सामूहिक निंदा प्रस्ताव पारित करके मीडिया के माध्यम से प्रसारित किया जायेगा।
2 मेमोरंेडम आॅफ अंडरस्टैंडिंग के आधार पर न्यायिक परिषद द्वारा अर्थ दंड वसूला जायेगा।
3 अनुशासनात्मक कार्यवाही करते हुए गठबंधन की संबंधित कमेटी को यह अधिकार होगा कि वह सदस्य की सदस्यता कुछ वर्षों के लिए स्थगित कर दे या निरस्त कर दे या गठबंधन की किसी दूसरी श्रेणी में स्थानांतरण कर दें।
4 केंद्रीय कमेटी के पास अनुशासनात्मक कार्यवाही के तहत किसी सदस्य संगठन को गठबंधन की किसी क्षैतिज या ऊर्ध्वाधर कमेटी में स्थानांतरित करने का अधिकार सुरक्षित होगा।
5.14.3 आत्म रक्षा के प्रावधान
5.14.1 अनुशासनात्मक कार्यवाही के तहत दंडित किसी सदस्य संगठन को संबंधित न्यायिक परिषद में याचिका पेश करने और परिषद के फैसले के विरुद्ध उच्चस्थ न्यायिक परिषद में अपील करने का अधिकार होगा।
5.14.2 आरोपी या दोषी करार दिये गया दल आरोप या दण्ड के विरुद्ध आत्म रक्षा में अपनी याचिका न्यायिक परिषद की उच्चस्थ इकाई के समक्ष प्रस्तुत करेगा। न्यायिक परिषद का निर्णय अंतिम होगा।
अध्याय 6
अनुच्छेद 6
गठबंधन की विभिन्न इकाइयों के अधिकारों और कर्तव्यों से संबंधित प्रावधान
……………………………………….
अध्याय 7
अनुच्छेद -7
साधारण सभा
गठबंधन के सभी स्तरों पर प्रत्येक कार्यसमिति के कार्यक्रमों को, योजनाओं को, बजट को मंजूर करने के लिए संबंधित इकाई का एक घटक होगा, जिसे संबंधित इकाई की साधारण सभा कहा जाएगा। संबंधित इकाई की कार्यसमिति का अध्यक्ष साधारण सभा की बैठकों की अध्यक्षता करेगा। शुरुआत में केवल एक ही स्तर की साधारण सभा होगी, जिसे केंद्रीय स्तर कहा जाएगा। गठबंधन के संस्थापक सदस्य संगठन गठबंधन की संस्थापक केंद्रीय कार्यसमिति का गठन करेंगे। समय बीतने के साथ जैसे-जैसे सदस्य संगठनों की संख्या बढ़ती जाएगी, गठबंधन की केंद्रीय कार्यसमिति और केंद्रीय साधारण सभा का गठन गठबंधन के नियमों के अनुसार होने लगेगा। इसके अलावा गठबंधन की साधारण सभा के संबंधित नियम निम्नलिखित होंगे-
7.1. साधारण सभा का गठन
7.1.1. केंद्रीय साधारण सभा का गठन –
केंद्रीय साधारण सभा का गठन करने के लिए गठबंधन की पांचो शासकीय स्तरों की कार्यसमितियां अपने-अपने डेलीगेट (प्रतिनिधि) केंद्रीय साधारण सभा को चुनकर भेजेंगे। प्रत्येक इकाई उतने प्रतिनिधि भेजेगी, जितने कि उस इकाई के कार्यक्षेत्र में प्रादेशिक इकाईयां होंगी। प्रादेशिक इकाइयों को केवल 1 डेलीगेट भेजने का अधिकार होगा। केंद्रीय सभा में प्रतिनिधित्व को तार्किक व न्यायिक बनाने के लिए केंद्रीय कमेटी क्षेत्रीय कमेटियों की रिपोर्ट के आधार पर समय-समय पर सदस्य संगठनों की न्यूनतम व अधिकतम संख्या तय कर सकती है, जिनको केंद्रीय साधारण सभा को एक प्रतिनिधि भेजने का अधिकार होगा।
7.1.2. विधायक साधारण सभा का गठन –
गठबंधन की गतिविधियों को अधिकतम कार्यकर्ता सुलभ कराने वाले सदस्य संगठनों को विधायक साधारण सभा की सदस्यता देने में प्राथमिकता दी जाएगी।
7.2. विकासक साधारण सभा का गठन
7.2.1. साधारण सभा के दो घटक होंगे। एक को विधायक साधारण सभा कहा जाएगा और उसके समानांतर दूसरे घटक को विकासक साधारण सभा कहा जाएगा। विकासक साधारण सभा सदस्य उन सदस्य संगठनों की सभा होगी, जो गठबंधन को अधिकतम आर्थिक सहयोग करेंगे। विकासक साधारण सभा की सीटों पर भर्ती मेरिट के आधार पर होगी। यह मेरिट आर्थिक सहयोग करने वाले सदस्य संगठनों की आर्थिक सहयोग की मात्रा के आधार पर बनाई जाएगी।
7.2.2. विकासक साधारण सभा के सदस्यों की संख्या विधायक साधारण सभा के सदस्यों की संख्या के बराबर होगी। सीटों के क्षेत्रों की सीमा भी वही होगी। गठबंधन कि संबंधित इकाई की कार्यसमिति का अध्यक्ष नियमों के अनुरूप विकासक साधारण सभा के सदस्यों का मनोनयन करेगी।
7.2.3. आगामी वित्तीय वर्ष के लिए अपनी क्षमता के अनुसार गठबंधन को दी जा सकने वाली अधिकतम राशि की घोषणा करते हुए कोई भी सदस्य संगठन नामांकन कर सकता है। अपने नामांकन पत्र में नामांकनकर्ता उल्लेख करेगा कि वह किस स्तर पर किस क्षेत्र और किस सीट के लिए नामांकित कर रहा है।
7.2.4. नामांकन पत्रों को प्राप्त करने वाला गठबंधन का कार्यालय सभी नामांकन पत्रों को टेंडर की तरह गोपनीय रखेगा। सभी नामांकन पत्रों को संबंधित न्यायिक परिषद की निगरानी में एक खुले समारोह में खोला जाएगा और जांच की जाएगी, जहां सभी नामांकनकर्ता सदस्य संगठन या उनके प्रतिनिधि मौजूद होंगे। संबंधित कमेटी की भर्ती परिषद उस नामांकनकर्ता के नाम की सिफारिश कमेटी को करेगी, जिसने अगले वित्तीय वर्ष के लिए संबंधित सीट पर अधिकतम धनराशि का अनुदान देने की इच्छा जाहिर की है। यह नामांकन अंतरिम होगा। यदि अपनी घोषणा पर वह सदस्य संगठन खरा उतरता है और घोषित राशि समय पर जमा कर देता है, तो वह आगामी एक वित्तीय वर्ष तक उस संबंधित सीट के लिए साधारण विकासक सभा के लिए प्रतिनिधित्व करेगा।
7.2.5. गठबंधन की विकासक साधारण सभा के गठन की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी होगी। यह प्रतियोगिता संबंधित इकाई के निर्वाचन प्राधिकरण द्वारा संचालित की जाएगी। गठबंधन के संविधान के प्रावधानों के अनुरूप गठबंधन का निर्वाचन प्राधिकरण विधायक और विकासक साधारण सभा का गठन करेगा।
7.3. MERIT LIST OF THE GENERAL ASSEMBLY.
there will be a transparent procedure for the composition of the Developmental General Assembly of the GAPP Alliance. This competition will be organized by the Election Authority of the Alliance. the same Election Authority will decide the process of election as per the rule of this constitution to compose the Legislative General Assembly, LGA and Developmental General Assembly, DGA.
7.4. साधारण सभा के सदस्य संगठनों के अधिकार
7.4.1. विधायक साधारण सभा का सदस्य विकासक साधारण सभा के किसी सदस्य के आदेश को रद्द कर सकता है। विधायक साधारण सभा के सदस्य के आदेश को रद्द करने का अधिकार विकासक साधारण सभा के सदस्य को भी होगा।
7.4.2. विधायक साधारण सभा द्वारा पारित किसी प्रस्ताव को विकासक साधारण सभा रद्द कर सकती है। विधायक साधारण सभा को भी विकासक साधारण सभा जैसा ही अधिकार होगा।
7.4.3. विधायक या विकासक साधारण सभा का कोई सदस्य कोई विधेयक अपनी ही सभा में विचारणार्थ प्रस्तुत कर सकता है। साधारण सभा के सदस्य अपनी सभा में प्रस्तुत किसी विधेयक के पक्ष या विपक्ष में वोट दे सकते हैं। साधारण सभा के सदस्यों को ऐसा कोई भी कार्य या व्यवहार करने का अधिकार होगा, जिसमें सदस्य संगठन को लाभ होता हो। बशर्ते उसके खिलाफ कोई वीटो का उपयोग करके अपने निषेधाधिकार का प्रयोग न करें।
7.5. साधारण सभा के सदस्य संगठनों के कर्तव्य
7.5.1. विधायक साधारण सभा का सदस्य अपने क्षेत्र के सदस्य संगठनों, लोगों और गठबंधन की संबंधित कार्यसमिति के बीच समन्वय स्थापित करेगा।
7.5.2. साधारण सभा के प्रत्येक भूतपूर्व और वर्तमान सदस्य का यह कर्तव्य होगा कि वह अपने क्षेत्र के संगठनों पर बारीक नजर रखें और गठबंधन के लिए उपयोगी संगठनों को गठबंधन से जुड़ने के लिए प्रेरित करते रहें। यद्यपि साधारण सभा का कोई भी सदस्य गठबंधन पर यह दबाव नहीं डालेगा कि उसके द्वारा जिस संगठन के नाम की सिफारिश की गई है, उसे केवल सिफारिश के आधार पर संगठन की किसी कमेटी का सदस्य बना लिया जाए या साधारण सभा का सदस्य बना लिया जाए।
अध्याय 8
अनुच्छेद 8
कार्यसमितियां
गठबंधन के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए केंद्रीय स्तर पर और गठबंधन के संगठनात्मक ढांचे के अन्य स्तरों पर कार्यसमितियां होंगी। कार्यसमितियां संबंधित साधारण सभा द्वारा अनुमोदित कार्यक्रमों और मंजूर किए गए बजट के अनुसार तथा गठबंधन संविधान के सिद्धांतों तथा नीति निर्देशों के अनुसार कार्य करेंगी-
8.1. कार्यसमितियों के प्रकार और उनका स्तर –
बहुत से कार्यकारी अधिकार गठबंधन की केंद्रीय कार्यसमिति में निहित होंगे। सभी कार्यसमितियों का मुख्य कार्यकारी अधिकार कार्यसमितियों के अध्यक्षों में निहित होगा, जो अपना कार्य कमेटी के तीन घटकों-ब्यूरो, बोर्ड और सचिवालय के माध्यम से संपादित करेगा।
8.2. केंद्रीय कार्यसमिति का गठन
8.2.1. केंद्रीय कार्यसमिति के पदाधिकारी 4 ऊर्ध्वाधर वर्गों में वर्गीकृत होंगे। नीति निर्देशक शून्य स्तर में होगा। अध्यक्ष प्रथम स्तर पर और उपाध्यक्ष द्वितीय स्तर में होंगे। बाकी सभी पदाधिकारी तृतीय स्तर में होंगे।
8.2.2. गैप गठबंधन की कार्यसमितियों के चार अंग होंगे। इन चारों अंगों को नीति निदेशालय, ब्यूरो, बोर्ड और सचिवालय कहा जाएगा। नीति निदेशालय का प्रमुख नीति निर्देशक होगा। ब्यूरो प्रमुख को प्रथम उपाध्यक्ष और बोर्ड प्रमुख को द्वितीय उपाध्यक्ष कहा जाएगा।
8.2.3. महासचिव के अधीन सचिवालय काम करेगा। महासचिव बोर्ड और ब्यूरो की अपेक्षाओं को ग्रहण करेगा और उचित भाषा में एक-दूसरे तक पहुंचाएगा तथा अध्यक्ष तक पहुंचाएगा।
8.2.4. प्रत्येक कार्यसमिति में गठबंधन कोष का एक अध्यक्ष होगा, जो गठबंधन के आय-व्यय का लेखा जोखा रखेगा।
8.2.5. द्वितीय उपाध्यक्ष की सिफारिश पर नियमानुसार अध्यक्ष साधारण विधायक सभा के किसी सदस्य संगठन के प्रतिनिधि को कमेटी का प्रथम उपाध्यक्ष नामित करेगा।
8.3. केंद्रीय कार्यसमिति के पदाधिकारियों का चुनाव
8.3.1. केंद्रीय कार्यसमिति के अध्यक्ष का चुनाव
8.3.1.1. केंद्रीय साधारण सभा के सदस्य अपनी सभा के किसी उस सदस्य संगठन को गठबंधन की केंद्रीय कमेटी का अध्यक्ष चुनेंगे, जो किसी भी समाज, धर्म, संस्कृति, भौगोलिक क्षेत्र और संगठन के कोष की मात्रा के प्रति पक्षपाती न हो। सब के प्रति समदर्शी और निष्पक्ष हो।
8.3.1.2. गठबंधन की केंद्रीय कमेटी का अध्यक्ष गठबंधन के नीति निर्देशक की सलाह पर काम करेगा। अध्यक्ष का मुख्य कार्य होगा – साधारण सभा के दो घटकों के बीच समन्वय स्थापित करना, गठबंधन के सदस्य संगठनों के बीच सद्भाव स्थापित करना, बोर्ड, ब्यूरो तथा प्रथम-द्वितीय उपाध्यक्ष के बीच समन्वय स्थापित करना, गतिरोध और सदस्य संगठनों के बीच अंतर्निहित संघर्षों के बीच फिलामेंट की तरह कार्य करते हुए गठबंधन के उद्देश्य को आगे बढ़ाना।
8.3.1.3. लगातार दो कार्यकालों से अधिक कोई भी व्यक्ति अध्यक्ष के पद पर नहीं रह सकता। जब तक संभव हो, अध्यक्ष तत्कालीन सबसे अधिक लोकप्रिय विचारधारा का गठबंधन में प्रतिनिधि होगा।
8.3.2. केंद्रीय समिति के प्रथम उपाध्यक्ष का चुनाव
केंद्रीय समिति का केंद्रीय विधायक साधारण सभा के किसी निर्वाचित सदस्य को केंद्रीय समिति के द्वितीय उपाध्यक्ष की सिफारिश पर नियमानुसार केंद्रीय कमेटी का प्रथम उपाध्यक्ष नामित करेगा। विधायक साधारण सभा का वही व्यक्ति प्रथम उपाध्यक्ष के रूप में नामित किया जाएगा, जिसको मानव व्यवहार के विज्ञान की, गठबंधन के संविधान की, गठबंधन की नीतियों और रणनीतियों की सबसे अच्छी जानकारी होगी।
8.3.3. द्वितीय उपाध्यक्ष का चुनाव
विकासक साधारण सभा के, जिस सदस्य ने गत वित्तीय वर्ष में गठबंधन को सर्वाधिक आर्थिक योगदान किया होगा, उसे वर्तमान वित्त वर्ष के लिए कार्यसमिति का द्वितीय उपाध्यक्ष चुना जाएगा। द्वितीय उपाध्यक्ष का नामांकन करने के लिए नियमानुसार कार्यसमिति का प्रथम उपाध्यक्ष विकासक साधारण सभा के किसी सदस्य के नाम की सिफारिश कार्यसमिति के अध्यक्ष को करेगा। जहां तक संभव होगा द्वितीय उपाध्यक्ष उस सदस्य संगठन को बनाया जाएगा, जो उस विचारधारा को प्रतिनिधित्व करेगा, जो तत्कालीन लोकप्रिय विचारधाराओं की सर्वोच्चता सूची में दूसरे क्रम की विचारधारा होगी।
8.3.4. सहायक उपाध्यक्षों का चुनाव
अध्यक्ष की मंजूरी के लिए दोनों उपाध्यक्षों को यह अधिकार होगा कि वह समकालीन सबसे ज्यादा लोकप्रिय विचारधाराओं का गठबंधन में समावेश करने के लिए और अपने कार्यों को संपादित करने के लिए अधिक से अधिक 8 सहायक उपाध्यक्षों की सिफारिश कर सूके। यह नामांकन साधारण सभा के निर्वाचित सदस्यों में से ही किसी का होगा। जहां तक संभव होगा, सभी आठ सहायक उपाध्यक्षों को अलग-अलग राजनीतिक विचारधाराओं के प्रतिनिधि के तौर पर नामांकित किया जाएगा। जिन राजनीतिक विचारधाराओं को प्रतिनिधित्व दिया जाएगा, वे इस प्रकार हैं – सांस्कृतिक वामपंथ, सांस्कृतिक दक्षिणपंथ, आर्थिक वामपंथ, आर्थिक दक्षिणपंथ, सांस्कृतिक केंद्रवाद, आर्थिक केंद्रवाद सांस्कृतिक विकेंद्रवाद आर्थिक विकेंद्रवाद। केंद्रीय कार्यसमिति उक्त अलग-अलग विचारधाराओं के सदस्य संगठनों को पहचानने के लिए नियम बनाएगी।
8.3.5. केंद्रीय कार्यसमिति के महासचिव का चुनाव
प्रथम और द्वितीय उपाध्यक्षों की संयुक्त सिफारिश पर विधायक साधारण सभा के किसी भी निर्वाचित सदस्य संगठन को गठबंधन की केंद्रीय कमेटी का महासचिव नियुक्त किया जाएगा। महासचिव के रूप में नियुक्त किए जाने की योग्यता के लिए यह आवश्यक होगा कि वह सदस्य संगठन गठबंधन द्वारा संचालित या मान्यता प्राप्त या अधिकृत किसी संस्थान के योग्यता प्रमाणपत्र का धारक हो।
8.3.6. संगठन कोष के अध्यक्ष या केंद्रीय कार्यसमिति के कोषाध्यक्ष का चुनाव
कार्यसमिति के प्रथम और द्वितीय उपाध्यक्ष की संयुक्त सिफारिश पर साधारण सभा के किसी निर्वाचित सदस्य को कार्यसमिति का अध्यक्ष कार्यसमिति के कोषाध्यक्ष/गठबंधन कोषाध्यक्ष नामित करेगा। गठबंधन का अध्यक्ष गठबंधन कोष संस्थान का कार्यकारी प्रमुख होगा।
8.3.7. गठबंधन की केंद्रीय कार्यसमिति के सदस्यों का चुनाव
अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव, सहायक उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष के अलावा केंद्रीय कार्यसमिति के अन्य सदस्यों का नामांकन प्रथम उपाध्यक्ष की सिफारिश पर किया जाएगा। ऐसी सिफारिश केंद्रीय साधारण सभा के निर्वाचित सदस्यों में से की जाएगी।
8.3.8. केंद्रीय कार्यसमिति के अन्य 10 सदस्य गठबंधन के विभिन्न अंगों के पदेन प्रमुख होंगे। उन अंगों की सूची और उनके प्रमुखों के पदनाम निम्न वत होंगे-
सदस्य अंग पदनाम
प्रथम सदस्य पदेन प्रमुख गठबंधन कोष महाप्रबंधक
द्वितीय सदस्य पदेन प्रमुख संसदीय परिषद अध्यक्ष
तृतीय सदस्य पदेन प्रमुख निर्वाचन प्राधिकरण अध्यक्ष
चतुर्थ सदस्य पदेन प्रमुख निर्वाचन प्रत्याशी चयन परिषद अध्यक्ष
पंचम सदस्य पदेन प्रमुख न्यायिक परिषद अध्यक्ष
षष्ठ अध्यक्ष पदेन प्रमुख लोक सेवा भर्ती परिषद महानिदेशक
सप्तम अध्यक्ष पदेन प्रमुख ऊर्ध्वाधर समन्वय परिषद फिलामेंट समन्वयक ऊर्ध्वाधर
अष्टम अध्यक्ष पदेन प्रमुख शैतिज समन्वय परिषद फिलामेंट समन्वयक क्षैतिज
नवम सदस्य पदेन प्रमुख सुरक्षा परिषद महानिदेशक
दशम सदस्य पदेन प्रमुख जनसंचार प्राधिकरण प्रवक्ता
जनादेश शोध परिषद पदेन प्रमुख शोध परिषद अध्यक्ष
8.3.9. केंद्रीय कार्यसमिति के नीति निर्देशक का चुनाव–
केंद्रीय समिति के सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से मान्यता प्राप्त शून्य संगठनों के रजिस्टर में दर्ज किसी सदस्य संगठन को गठबंधन का नीति निर्देशक चुना जाएगा। दो तिहाई बहुमत के अभाव में नीति निर्देशक का पद रिक्त रखा जाएगा। यथासंभव किसी ऐसे संगठन को ही नीति निर्देशक के रूप में चुना जाएगा, जो जाति, धर्म, संप्रदाय, नस्ल, देश, गठबंधन व निजी स्वार्थ के लिए पक्षपात न करता हो। नीति निर्देशक के माध्यम से गठबंधन मानव जाति की एकता सुनिश्चित करता है, मानवता को विभाजित होने से बचाता रहता है। वह तब तक अपने पद पर बना रहेगा, जब तक उसे केंद्रीय समिति के दो तिहाई सदस्यों का समर्थन प्राप्त रहेगा।
8.3.10. उक्त प्रावधानों के अनुसार केंद्रीय कार्यसमिति में पदाधिकारियों की संख्या निम्नलिखित होगी-
नीति निर्देशक – 01
अध्यक्ष – 01
उपाध्यक्ष – 02
सहायक उपाध्यक्ष – 1- 16
महासचिव – 01
सचिव – 1 – 16
सदस्य – 10
8.3.11. केंद्रीय कार्यसमिति के पदाधिकारियों का कार्यकाल
द्वितीय उपाध्यक्ष के अलावा केंद्रीय कार्यसमिति के सभी पदाधिकारियों का कार्यकाल 4 वर्ष होगा। द्वितीय उपाध्यक्ष का कार्यकाल 1 वर्ष होगा।
8.4. गठबंधन के शासकीय स्तर की ऊर्ध्वाधर कार्यसमितियां
8.4.1. गठबंधन की सभी ऊर्ध्वाधर कार्यसमितियों की कार्यसूची और अधिकतर क्षेत्र अलग-अलग होंगे। गठबंधन के संविधान की अनुसूची-2 में ऊर्ध्वाधर कार्यसमितियों की कार्यसूची को सूचीबद्ध किया जाएगा।
8.4.2. शासकीय स्तरों में कुल 5 ऊर्ध्वाधर कमेटियां होंगी। इन कार्यसमितियों का गठन संबंधित साधारण सभा करेगी। केंद्रीय कमेटी की मंजूरी से सभी शासकीय ऊर्ध्वाधर इकाइयों की अपनी-अपनी नियमावली होगी, जो संबंधित इकाई की साधारण सभा द्वारा बनाई जाएगी।
8.4.3. प्रत्येक शासकीय ऊर्ध्वाधर इकाई का अपना-अपना
8.4.3.1. संविधान और झंडा होगा
8.4.3.2. संविधान केंद्रीय कमेटी में पंजीकरण कराया जाएगा। ऊर्ध्वाधर इकाइयों के संविधान के वे प्रावधान शून्य माने जाएंगे, जो केंद्रीय कमेटी के संविधान को लागू करने में बाधक बनेंगे।
8.4.3.3. किसी भी सदस्य संगठन की सक्रिय सदस्यता किसी एक ऊर्ध्वाधर शासकीय इकाई में ही पंजीकृत हो सकती है। निर्धारित कार्य के प्रारूप के माध्यम से आवेदन करने पर किसी भी सदस्य संगठन की सक्रिय सदस्यता एक शासकीय ऊर्ध्वाधर स्तर से दूसरे वृहदतर ऊर्ध्वाधर स्तर में स्थानांतरित हो सकती है।
8.4.3.4. गठबंधन की पांच शासकीय ऊर्ध्वाधर कार्यसमितियों को क्रमशः प्रांतीय कार्यसमिति, देशिक कार्यसमिति, वतनी या होमलैंड कार्यसमिति, प्रराष्ट्रीय या हेमी नेशनल कार्यसमिति और राष्ट्रीय या नेशनल कार्यसमिति कहा जाएगा।
8.4.3.5. देश के सभी प्रांतों के अपने-अपने सीमा क्षेत्र के लिए एक-एक प्रांतीय कार्यसमिति होगी।
8.4.3.6. भारत के वर्तमान राज्य क्षेत्र के लिए गठबंधन की एक देशिक कार्यसमिति होगी।
8.4.3.7. संसार के प्रत्येक राष्ट्र राज्य की उसी के नाम से एक एक देश स्तरीय कार्यसमिति होगी।
8.4.3.8. गठबंधन की केंद्रीय कार्यसमिति द्वारा पूरे विश्व के पड़ोसी देशों को चार अलग-अलग समूहों में वर्गीकृत करके इतनी ही संख्या में नए राज्य क्षेत्रों का गठन किया जाएगा। इन सभी राज्य क्षेत्रों को वतनी या होमलैंड राज्य क्षेत्र कहा जाएगा। सभी वतनों की अपनी-अपनी कार्यसमिति होगी।
8.4.3.9. गठबंधन की केंद्रीय कमेटी पूरे विश्व के देशों को यानी चार वतनी राज्य क्षेत्रों को दो समूहों में विभाजित करके दो प्रराष्ट्रीय राज्य क्षेत्रों का गठन करेगी। इन दो राज्य क्षेत्रों को प्रराष्ट्रीय या हेमी नेशनल राज्य क्षेत्र कहा जाएगा। दोनों प्रराष्ट्रों की अपनी-अपनी कार्यसमिति होगी।
8.4.3.10. विश्व के सभी राष्ट्र राज्यों के सामूहिक राज्य क्षेत्र को संयुक्त रूप से राष्ट्रीय या नेशनल राज्य क्षेत्र कहा जाएगा, जिसकी अपनी एक कार्यसमिति होगी। इसको राष्ट्रीय या नेशनल कार्यसमिति कहा जाएगा।
8.5. देशों के घरेलू नागरिकों के विदेशी हितों के बारे में गठबंधन की ऊर्ध्वाधर कार्यकारी समितियां
देश के घरेलू नागरिकों की विदेशी जरूरतें पूरी करने के लिए सभी देशों में कुछ कार्यसमितियां होंगी। ये कार्यसमितियां तीन प्रकार की होंगी। पहले स्तर की समिति को वतन स्तरीय मामलों की कार्यसमिति कहा जाएगा। ये हर देश में 4 होंगी। सभी देशों में दूसरे स्तर की दो कार्यसमितियां होंगी, जिनको प्रराष्ट्र या हेमी नेशनल स्तर की कार्यसमिति कहा जाएगा। सभी देशों में तीसरे स्तर की एक कमेटी होगी, जिसको राष्ट्रीय या नेशनल मामलों की कार्यसमिति कहा जाएगा। भविष्य में संबंधित वतन, प्रराष्ट्र या राष्ट्र के सभी संगठन गठबंधन की सदस्यता ले सकें, इसके लिए जरूरी अंतर्राष्ट्रीय संधियों का प्रारूप बनाने व उनको संबंधित राष्ट्र राज्यों की सरकारों से मंजूरी दिलाने का कार्य सभी देशों की उक्त परादेशिक कार्यसमिति मिलकर करेंगी।
8.6. देशों की उक्त परादेशिक ऊर्ध्वाधर कार्यसमितियों को देश की वतन मामलों की कार्यसमिति, देश की प्रराष्ट्रीय मामलों की कार्यसमिति और देश की राष्ट्रीय मामलों की कार्यसमिति कहा जाएगा।
8.7. जब तक उपरोक्त अंतरराष्ट्रीय संधि/संधियों को मंजूरी प्राप्त नहीं हो जाती, तब तक सभी देशों में काम करने वाली गठबंधन की परादेशिक कार्यसमितियों से केवल संबंधित देश के संगठन ही सदस्य बन सकते हैं। किंतु गैट संधि लागू हो जाने के कारण यह बाध्यता केवल राजनीतिक दलों और गैर सरकारी संगठनों पर ही लागू होगी। गठबंधन के व्यावसायिक संगठन इस बाध्यता से मुक्त रहेंगे।
8.8. सभी देशों में कार्यरत गठबंधन के परादेशिक इकाइयों के संविधान के प्रावधान गठबंधन के संविधान की अनुसूची 4.1 में अंकित किए जाएंगे। सभी देशों में काम करने वाली परादेशिक मामलों की कमेटियों के संविधान इसी अनुसूची के अलावा अलग-अलग अनुच्छेदों, धाराओं और उप धाराओं के रूप में संलग्न की जाएगी। त्रिस्तरीय परादेशिक मामलों को देखने वाली भारत देश में काम करने वाली इकाइयों के संविधान संबंधी प्रावधान संदर्भ के लिए निम्नांकित हैं.
8.9. ऊर्ध्वाधर कार्यसमितियों के अध्यक्षों का चुनाव
8.9.1. एक्शन लेवल की कार्यसमितियों के पदाधिकारियों के पद नाम और उनकी संख्या
8.9.1.1. पाँच एक्शन स्तर की कार्यसमितियों के पदाधिकारियों और उनकी संख्या न्यूनतम 5 और अधिकतम 17 होगी। विस्तृत विवरण इस प्रकार है
- अध्यक्ष – 01
- प्रथम उपाध्यक्ष – 01
- द्वितीय उपाध्यक्ष – 01
- कोषाध्यक्ष – 01
- महासचिव – 01
- सचिव – 01
- सूचनाधिकारी – 01
- सदस्यता प्रभारी – 01
- पंच – 01
- स्टोर प्रभारी
- प्रचार प्रभारी – 01
- सुरक्षा प्रभारी – 01
- आरडीआर प्रभारी – 01
8.9.1.2. एक्शन स्तर की कमेटियां कुल 5 स्तरों पर गठित की जाएंगी। ये स्तर होंगे बूथ, गांव/वार्ड, सेक्टर, सर्किल और ब्लॉक। चार या अधिक गांवों वालों के क्षेत्रों का या जैसा संबंधित ब्लाक कमेटी तय करें, एक सेक्टर क्षेत्र बनाया जाएगा। चार या अधिक सेक्टरों के क्षेत्रों को, जो ब्लॉक के क्षेत्रफल व जनसंख्या के एक चौथाई से अधिक न हो, एक सर्किल क्षेत्र कहा जाएगा। एक ब्लॉक में कुल 4 सर्किल होंगे, जिनको पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी और दक्षिणी सर्किल कहा जाएगा।
8.9.1.3. जिला कार्यसमिति के पास अधिकार होगा कि एक्शन स्तर की कार्यसमितियों में अधिक पदों को शामिल कर ले।
8.9.2. बूथ स्तर की कार्यसमितियों का गठन
8.9.2.1. गठबंधन की प्राथमिक इकाई का गठन बूथ स्तर पर किया जाएगा, जहां गठबंधन के सभी संगठनों को मिला कर कम से कम 11 सक्रिय सदस्य मौजूद हों। बूथ स्तर की साधारण सभा में आने वाले प्रत्येक डेलीगेट गठबंधन के सभी सदस्य संगठनों के 10 प्राथमिक सदस्यों द्वारा चुने जायेंगे।
8.9.2.2. बूथ की साधारण सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से गाँव की कार्यसमिति के लिए एक अध्यक्ष का चुनाव करेगी। कार्यसमिति में कम से कम 5 और अधिक से अधिक 17 सदस्य होंगे। अंतरिम रूप में बूथ अध्यक्ष साधारण सभा के चुने हुए सदस्यों में से बूथ कार्यसमिति के सदस्यों का नामांकन करेगा।
8.9.2.3. बूथ की साधारण सभा गाँव की साधारण सभा के बूथ सदन में अपना प्रतिनिधि भेजने के लिए कम से कम उतने प्रतिनिधि चुनेगी, गठबंधन के जितने संगठनों, जितनी जातियों और संप्रदायों के लोग संबंधित बूथ के निवासी होंगे।
8.9.2.4. बूथ का अध्यक्ष यथासंभव गठबंधन के सभी संगठनों के बूथ की साधारण सभा में चुने हुए डेलीगेट को वोटर लिस्ट का पन्ना प्रभारी नियुक्त करेगा।
8.9.2.5. बूथ की साधारण सभा जनसभा निर्वाचन क्षेत्र (चार पड़ोसी लोकसभा के संयुक्त क्षेत्र) की साधारण सभा में भेजने के लिए एक अन्य डेलीगेट का भी चुनाव करेगी।
8.9.2.6. बूथ कार्यसमिति का अंतरिम रूप से गठन यथाशक्य उन्हीं नियमों पर होगा, जिन नियमों से केंद्रीय कार्यसमिति का गठन होता है।
8.9.3. गांव/वार्ड की कार्यसमिति का गठन
8.9.3.1. साधारण सभा के दो सदन होंगे. एक को ग्राम सदन और दूसरे को बूथ सदन कहा जायेगा. साधारण सभा के इन्हीं दोनों सदनों के चुने हुए प्रतिनिधि गांव/ वार्ड की कार्यसमिति के अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों का चुनाव करेंगे।
8.9.3.2. गाँव/वार्ड कार्यसमिति का गठन उन गांवों या वार्डों में किया जाएगा, जहां गठबंधन के सभी सदस्य संगठनों को जोड़कर कम से कम 20 सदस्य मौजूद हों।
8.9.3.3. गठबंधन के सभी संगठनों के सदस्यों गांव/ वार्ड में निवास करने वाले सभी जातियों के वयस्क नागरिकों और सभी संप्रदायों के वयस्क नागरिकों को मिलाकर एक मतदाता मंडल बनाया जाएगा। यह मतदाता मंडल प्रत्येक 10 नागरिकों पर अपना एक प्रतिनिधि चुनेगा। इस प्रतिनिधि को गांव/ वार्ड की साधारण सभा के ग्राम सदन का सदस्य कहा जाएगा।
8.9.3.4. गाँव/वार्ड की साधारण सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से गाँव की कार्यसमिति के लिए एक अध्यक्ष का चुनाव करेगी। कार्यसमिति में कम से कम 5 और अधिक से अधिक 17 सदस्य होंगे। गाँव/वार्ड अध्यक्ष साधारण सभा के चुने हुए सदस्यों में से गाँव/वार्ड कार्यसमितियों के सदस्यों का अंतरिम तौर पर नामांकन करेगा। अंतिम तौर पर गांव या वार्ड के कार्य समिति के पदाधिकारियों का चुनाव साधारण सभा द्वारा किया जायेगा। यथाशक्य गांव की कार्यसमिति में गठबंधन के सभी संगठनों, सभी जातियों, और सभी संप्रदायों से कम से कम एक प्रतिनिधि चुना जाएगा।
8.9.3.5. गाँव/वार्ड की साधारण सभा सेक्टर की साधारण सभा में दो और सर्किल सर्किल की साधारण सभा में एक प्रतिनिधि भेजेगी. ये प्रतिनिधि गांव में निवास करने वाले गठबंधन के सभी संगठनों और समस्त जातियों और संप्रदायों से कम से कम एक एक चुने जायेंगे।
8.9.3.6. गाँव/वार्ड की साधारण सभा परिवार सभा निर्वाचन क्षेत्र (तीन पड़ोसी लोकसभा के संयुक्त क्षेत्र) की साधारण सभा में भेजने के लिए दो तिहाई बहुमत से एक अन्य डेलीगेट का भी चुनाव करेगी।
8.9.4. सेक्टर की कार्यसमिति का गठन
8.9.4.1. सेक्टर में साधारण सभा के दो सदन होंगे. एक को सेक्टर सदन और दूसरे को ग्राम सदन कहा जायेगा. गठबंधन के सभी संगठनों के सदस्य सेक्टर में निवास करने वाले सभी जातियों और सम्प्रदायों के वयस्क नागरिकों को मिलाकर एक मतदाता मंडल बनाया जाएगा। यह मतदाता मंडल प्रत्येक 200 नागरिकों पर अपना एक प्रतिनिधि चुनेगा। इन प्रतिनिधियों को सेक्टर सदन का सदस्य कहा जाएगा। सेक्टर के सभी गाँव की साधारण सभाओं से चुने हुए प्रतिनिधि / डेलीगेट सेक्टर इकाई के ग्राम सदन का गठन करेगे.
8.9.4.2. सेक्टर की साधारण सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से गाँव की कार्यसमिति के लिए एक अध्यक्ष का चुनाव करेगी। कार्यसमिति में कम से कम 5 और अधिक से अधिक 17 सदस्य होंगे। सेक्टर अध्यक्ष साधारण सभा के चुने हुए सदस्यों में से सेक्टर कार्यसमितियों के सदस्यों का अंतरिम तौर पर नामांकन करेगा। अंतिम तौर पर सेक्टर के कार्य समिति के पदाधिकारियों का चुनाव साधारण सभा द्वारा किया जायेगा। यथाशक्य सेक्टर की कार्यसमिति में गठबंधन के सभी संगठनों, सभी जातियों, और सभी संप्रदायों से कम से कम एक प्रतिनिधि चुना जाएगा।
8.9.4.3. सेक्टर की साधारण सभा सर्किल की साधारण सभा में अपने दो और ब्लॉक की साधारण सभा में भेजने के लिए एक प्रतिनिधि चुनेगी. ये प्रतिनिधि यथाशक्य सेक्टर क्षेत्र में निवास करने वाले गठबंधन के सभी संगठनों, समस्त जातियों और संप्रदायों से चुने जायेंगे।
8.9.4.4. सेक्टर की साधारण सभा परिवार सभा निर्वाचन क्षेत्र (तीन पड़ोसी लोकसभा के संयुक्त क्षेत्र) की साधारण सभा में भेजने के लिए दो तिहाई बहुमत से एक अन्य डेलीगेट का भी चुनाव करेगी।
8.9.5. सर्किल कार्यसमिति का गठन
8.9.5.1. सर्किल में साधारण सभा के दो सदन होंगे. एक को ग्राम सदन और दूसरे को सेक्टर सदन कहा जायेगा. ग्राम सदन में सर्किल क्षेत्र के सभी गाँवों से एक एक डेलीगेट आयेंगे और सेक्टर सदन में सभी सेक्टरों से दो दो डेलिगेट आयेंगे. इन प्रतिनिधियों को सामूहिक रूप से सर्किल सदन का सदस्य कहा जाएगा।
8.9.5.2. सर्किल की साधारण सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से सर्किल की कार्यसमिति के लिए एक अध्यक्ष का चुनाव करेगी। कार्यसमिति में कम से कम 5 और अधिक से अधिक 17 सदस्य होंगे। सर्किल अध्यक्ष साधारण सभा के चुने हुए सदस्यों में से सर्किल कार्यसमिति के सदस्यों का अंतरिम तौर पर नामांकन करेगा। अंतिम तौर पर सेक्टर के कार्य समिति के पदाधिकारियों का चुनाव साधारण सभा द्वारा किया जायेगा। यथाशक्य सर्किल की कार्यसमिति में सर्किल क्षेत्र में निवास करने वाले गठबंधन के सभी संगठनों, सभी जातियों और सभी संप्रदायों से कम से कम एक प्रतिनिधि चुना जाएगा।
8.9.5.3. सर्किल की साधारण सभा ब्लॉक की साधारण सभा में भेजने के लिए अपने दो प्रतिनिधि चुनेगी.
8.9.5.4. सर्किल की साधारण सभा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र की साधारण सभा में भेजने के लिए दो तिहाई बहुमत से एक अन्य डेलीगेट का भी चुनाव करेगी।
8.9.6. ब्लॉक कार्यसमिति का गठन
8.9.6.1. ब्लॉक इकाई में साधारण सभा के तीन सदन होंगे. एक को सर्किल सदन, दूसरे को सेक्टर सदन और तीसरे को ग्राम सदन कहा जायेगा. सर्किल सदन में सभी चारों सर्किलों से तीन तीन, सभी सेक्टरों से दो दो और सभी गाँव से एक एक प्रतिनिधि होंगे.
8.9.6.2. सर्किल की साधारण सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से सर्किल की कार्यसमिति के लिए एक अध्यक्ष का चुनाव करेगी। कार्यसमिति में कम से कम 5 और अधिक से अधिक 17 सदस्य होंगे। सर्किल अध्यक्ष साधारण सभा के चुने हुए सदस्यों में से सर्किल कार्यसमिति के सदस्यों का अंतरिम तौर पर नामांकन करेगा। अंतिम तौर पर सेक्टर के कार्य समिति के पदाधिकारियों का चुनाव साधारण सभा द्वारा किया जायेगा। यथाशक्य सर्किल की कार्यसमिति में गठबंधन के सभी संगठनों, सभी जातियों, और सभी संप्रदायों से कम से कम एक प्रतिनिधि चुना जाएगा।
8.9.6.3. ब्लॉक की साधारण सभा विधान सभा की साधारण सभा में अपने प्रतिनिधि भेजने के लिए ब्लॉक क्षेत्र में निवास करने वाले गठबंधन के सभी संगठनों और सर्किल में निवास करने वाले समस्त जातियों और संप्रदायों से दो-दो प्रतिनिधि चुनेगी।
8.9.6.4. ब्लॉक की साधारण सभा जिले की साधारण सभा में भेजने के लिए दो तिहाई बहुमत से दो डेलीगेट का चुनाव करेगी।
8.9.7. निर्वाचन क्षेत्रीय स्तर की इकाइयों के पद और पद संख्या
8.9.7.1. सभी पांच ऊर्ध्वाधर निर्वाचन क्षेत्रों की कार्यसमितियों में पदाधिकारियों की संख्या कम से कम 5 और अधिक से अधिक 17 होगी। पदाधिकारियों के पद नाम और उनकी संख्या निम्नवत होगी-
- अध्यक्ष – 01
- प्रथम उपाध्यक्ष – 01
- द्वितीय उपाध्यक्ष – 01
- कोषाध्यक्ष – 01
- महासचिव – 01
- सचिव – 01
- अध्यक्ष – निर्वाचन प्राधिकरण – 01
- चेयरमैन ग्रेडिंग परिषद
- अध्यक्ष – सीट आवंटन परिषद – 01
- अध्यक्ष – न्यायिक परिषद – 01
- चेयरमैन- जनादेश शोध परिषद्
- नागरिकता रजिस्ट्रार – 01
- वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी – 01
- मीडिया प्रभारी – 01
- विविध मामलों के प्रभारी – 01
- आरडीआर प्रभारी – 01
8.9.7.2. निर्वाचन क्षेत्र कार्यसमितियां लिखित पांच स्तरों पर गठित की जाएगी
प्रथम ‘सी’ लेवल प्रदेश विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र
द्वितीय ‘सी’ लेवल लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र
तृतीय ‘सी’ लेवल ग्राम संसदीय निर्वाचन क्षेत्र
चतुर्थ ‘सी’ लेवल परिवार संसद निर्वाचन क्षेत्र
पंचम ‘सी’ लेवल मानव संसद निर्वाचन
8.9.7.3. ग्राम संसद निर्वाचन क्षेत्र दो लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों का साझा क्षेत्र होगा। तीन लोकसभा क्षेत्रों के सामूहिक क्षेत्र को परिवार संसद निर्वाचन क्षेत्र कहा जाएगा। चार लोकसभा क्षेत्रों के सामूहिक नाम को मानव संसद निर्वाचन क्षेत्र कहा जाएगा। उक्त तीनों निर्वाचन क्षेत्रों का सीमांकन समय-समय पर गठबंधन की क्षेत्रीय कार्यसमिति की सिफारिश पर केंद्रीय कार्य समिति द्वारा किया जाएगा।
8.9.7.4. निर्वाचन क्षेत्रों की 5 ऊर्ध्वाधर कार्यसमितियों में नए पदों का सृजन करने का अधिकार क्षेत्रीय कार्यसमितियों को होगा।
8.9.8. प्रदेश विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की कार्यसमिति का गठन
8.9.8.1. विधान सभा इकाई में साधारण सभा के चार सदन होंगे. पहले को ब्लॉक सदन, दूसरे को सर्किल सदन, तीसरे को सेक्टर सदन और चौथे को ग्राम सदन कहा जायेगा. ब्लॉक सदन में सभी ब्लाकों से चार चार, सर्किल सदन में सभी चारों सर्किलों से तीन तीन, सेक्टर सदन में सभी सेक्टरों से दो दो और ग्राम सदन में सभी गाँव से एक एक प्रतिनिधि होंगे. सभी सदनों के सभी प्रतिनिधियों का कुल मत मूल्य एक बराबर होगा.
8.9.8.2. विधान सभा की साधारण सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से विधान सभा की कार्यसमिति के लिए एक अध्यक्ष का चुनाव करेगी। कार्यसमिति में कम से कम 5 और अधिक से अधिक 17 सदस्य होंगे। विधान सभा अध्यक्ष साधारण सभा के चुने हुए सदस्यों में से विधान सभा कार्यसमिति के सदस्यों का अंतरिम तौर पर नामांकन करेगा। अंतिम तौर पर सेक्टर के कार्य समिति के पदाधिकारियों का चुनाव साधारण सभा द्वारा किया जायेगा। यथाशक्य विधान सभा की कार्यसमिति में गठबंधन के सभी संगठनों, सभी जातियों, और सभी संप्रदायों से कम से कम एक प्रतिनिधि चुना जाएगा।
8.9.8.3. विधान सभा की साधारण सभा लोक सभा की साधारण सभा में अपने प्रतिनिधि भेजने के लिए विधान सभा क्षेत्र में निवास करने वाले गठबंधन के सभी संगठनों, समस्त जातियों और संप्रदायों से दो-दो प्रतिनिधि चुनेगी।
8.9.8.4. राज्य विधानसभा क्षेत्र की आम सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से गठबंधन की संबंधित राज्य इकाई की आम सभा के लिए 01 प्रतिनिधि का चुनाव करेगी ।
8.9.9. लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र की कार्यसमिति का गठन
8.9.9.1. लोकसभा इकाई में साधारण सभा के दो सदन होंगे. पहले को विधान सभा सदन, दूसरे को सर्किल सदन कहा जायेगा. विधान सभा सदन में सभी विधान सभाओं से दो-दो और सर्किल सदन में सभी सर्किलों से एक एक प्रतिनिधि होंगे. जहां तक संभव होगा, सभी राजनीतिक विचारधाराओं से कम से कम एक प्रतिनिधि का चुनाव होगा। सभी सदनों के सभी प्रतिनिधियों का कुल मत मूल्य एक बराबर होगा.
8.9.9.2. लोकसभा की साधारण सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से लोकसभा की कार्यसमिति के लिए एक अध्यक्ष का चुनाव करेगी। कार्यसमिति में कम से कम 5 और अधिक से अधिक 17 सदस्य होंगे। लोकसभा अध्यक्ष साधारण सभा के चुने हुए सदस्यों में से लोकसभा कार्यसमिति के सदस्यों का अंतरिम तौर पर नामांकन करेगा। अंतिम तौर पर लोकसभा के कार्य समिति के पदाधिकारियों का चुनाव साधारण सभा द्वारा किया जायेगा।
8.9.9.3. लोकसभा की साधारण सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से अखिल भारतीय इकाई की साधारण सभा में अपने प्रतिनिधि भेजने के लिए एक प्रतिनिधि चुनेगी।
8.9.9.4. लोकसभा क्षेत्र की आम सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से ग्राम संसद निर्वाचन क्षेत्र की इकाई की साधारण सभा के लिए 02-02 प्रतिनिधि का चुनाव करेगी। एक को विधायक साधारण सभा से और दूसरे को विकासक साधारण सभा से चुना जाएगा।
8.9.10. ग्राम संसद निर्वाचन क्षेत्र कार्यसमिति का गठन
8.9.10.1. ग्राम संसद निर्वाचन क्षेत्र की इकाई में साधारण सभा के दो सदन होंगे. पहले को लोकसभा सदन, दूसरे को सेक्टर सदन कहा जायेगा. लोक सभा सदन में सभी लोक सभाओं से दो-दो और सेक्टर सदन में सभी सेक्टरों से एक एक प्रतिनिधि होंगे. जहां तक संभव होगा, सभी राजनीतिक विचारधाराओं से कम से कम एक प्रतिनिधि का चुनाव होगा। सभी सदनों के सभी प्रतिनिधियों का कुल मत मूल्य एक बराबर होगा.
8.9.10.2. ग्राम संसद निर्वाचन क्षेत्र की साधारण सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से अपनी कार्यसमिति के लिए एक अध्यक्ष का चुनाव करेगी। कार्यसमिति में कम से कम 5 और अधिक से अधिक 17 सदस्य होंगे। अध्यक्ष साधारण सभा के चुने हुए सदस्यों में से ग्राम संसद निर्वाचन क्षेत्र की कार्यसमिति के सदस्यों का अंतरिम तौर पर नामांकन करेगा। अंतिम तौर कार्य समिति के पदाधिकारियों का चुनाव साधारण सभा द्वारा किया जायेगा।
8.9.10.3. ग्राम संसदीय क्षेत्र इकाई की साधारण सभा परिवार संसदीय निर्वाचन क्षेत्र इकाई की संबंधित साधारण सभा के लिए 02 प्रतिनिधियों का चुनाव करेगी।
8.9.10.4. ग्राम संसद निर्वाचन क्षेत्र की साधारण सभा वतन की साधारण सभा में अपने प्रतिनिधि भेजने के लिए एक प्रतिनिधि चुनेगी।
8.9.11. परिवार संसद निर्वाचन क्षेत्र की कार्यसमिति का गठन
8.9.11.1. परिवार संसद निर्वाचन क्षेत्र की इकाई की साधारण सभा के दो सदन होंगे. पहले को ग्राम संसद निर्वाचन क्षेत्र सदन, दूसरे को ग्राम सदन कहा जायेगा. ग्राम संसद निर्वाचन क्षेत्र सदन में सभी ग्राम संसद निर्वाचन क्षेत्र से दो-दो और ग्राम सदन में सभी गांवों/वार्डों से एक एक प्रतिनिधि होंगे. जहां तक संभव होगा, सभी राजनीतिक विचारधाराओं से कम से कम एक प्रतिनिधि का चुनाव होगा। सभी सदनों के सभी प्रतिनिधियों का कुल मत मूल्य एक बराबर होगा.
8.9.11.2. परिवार संसद निर्वाचन क्षेत्र की साधारण सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से अपनी कार्यसमिति के लिए एक अध्यक्ष का चुनाव करेगी। कार्यसमिति में कम से कम 5 और अधिक से अधिक 17 सदस्य होंगे। अध्यक्ष साधारण सभा के चुने हुए सदस्यों में से परिवार संसद निर्वाचन क्षेत्र की कार्यसमिति के सदस्यों का अंतरिम तौर पर नामांकन करेगा। अंतिम तौर कार्य समिति के पदाधिकारियों का चुनाव साधारण सभा द्वारा किया जायेगा।
8.9.11.3. परिवार संसदीय क्षेत्र इकाई की आम सभा मानव संसदीय निर्वाचन क्षेत्र इकाई की संबंधित आम सभा के लिए 02 प्रतिनिधियों का चुनाव करेगी।
8.9.11.4. परिवार संसद निर्वाचन क्षेत्र की साधारण सभा प्रराष्ट्र की साधारण सभा में अपने प्रतिनिधि भेजने के लिए एक प्रतिनिधि चुनेगी।
8.9.12. मानव संसद निर्वाचन क्षेत्र की कार्यसमिति का गठन
8.9.12.1. मानव संसद निर्वाचन क्षेत्र की इकाई की साधारण सभा के दो सदन होंगे. पहले को परिवार संसद निर्वाचन क्षेत्र सदन, दूसरे को बूथ सदन कहा जायेगा. परिवार संसद निर्वाचन क्षेत्र सदन में सभी परिवार संसद निर्वाचन क्षेत्र से दो-दो और बूथ सदन में सभी बूथों से एक एक प्रतिनिधि होंगे. जहां तक संभव होगा, सभी राजनीतिक विचारधाराओं से कम से कम एक प्रतिनिधि का चुनाव होगा। सभी सदनों के सभी प्रतिनिधियों का कुल मत मूल्य एक बराबर होगा.
8.9.12.2. मानव संसद निर्वाचन क्षेत्र की साधारण सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से अपनी कार्यसमिति के लिए एक अध्यक्ष का चुनाव करेगी। कार्यसमिति में कम से कम 5 और अधिक से अधिक 17 सदस्य होंगे। अध्यक्ष साधारण सभा के चुने हुए सदस्यों में से मानव संसद निर्वाचन क्षेत्र की कार्यसमिति के सदस्यों का अंतरिम तौर पर नामांकन करेगा। अंतिम तौर कार्य समिति के पदाधिकारियों का चुनाव साधारण सभा द्वारा किया जायेगा।
8.9.12.3. मानव संसद निर्वाचन क्षेत्र की साधारण सभा राष्ट्र की साधारण सभा में अपने प्रतिनिधि भेजने के लिए एक प्रतिनिधि चुनेगी।
8.9.13. शासकीय स्तर की ऊर्ध्वाधर कार्यसमिति का गठन
8.9.13.1. पाँच शासकीय स्तर की कार्यसमितियों के पदाधिकारियों और उनकी संख्या न्यूनतम 5 और अधिकतम 17 होगी, या उतनी होगी जितनी अखिल भारतीय कार्यसमिति तय करें। विस्तृत विवरण इस प्रकार है-
- अध्यक्ष – 01
- प्रथम उपाध्यक्ष – 01
- द्वितीय उपाध्यक्ष – 01
- कोषाध्यक्ष – 01
- महासचिव – 01
- सचिव – 01
- अध्यक्ष – निर्वाचन प्राधिकरण – 01
- सदस्यता रजिस्ट्रार – 01
- अध्यक्ष – सीट आवंटन और ग्रेडिंग परिषद – 01
- अध्यक्ष – न्यायिक परिषद – 01
- निदेशक – लोक सेवा भर्ती परिषद – 01
- नागरिकता रजिस्ट्रार – 01
- वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी – 01
- मीडिया प्रभारी – 01
- विविध मामलों के प्रभारी – 01
- आरडीआर प्रभारी – 01
8.9.13.2. शासकीय स्तरों की कार्यसमितियां निम्नलिखित पांच स्तरों पर गठित की जाएंगी।
- प्रथम ‘जी’ लेवल प्रादेशिक स्तर
- द्वितीय ‘जी’ लेवल देश स्तर
- तृतीय ‘जी’ लेवल वतन या होमलैंड स्तर
- चतुर्थ ‘जी’ लेवल परराष्ट्र या हेमीनेशनल स्तर
- पंचम ‘जी’ लेवल राष्ट्र या ग्लोबल स्तर
8.9.13.3. भारत और उसके पड़ोसी देशों के साझा राज्य क्षेत्र को वतन या होमलैंड कहा जाएगा। दोनों प्रराष्ट्रों के सारे राज्य क्षेत्र संपूर्ण पृथ्वी को राष्ट्रीय राज्य क्षेत्र कहा जाएगा। अतः गठबंधन की राष्ट्रीय इकाई संख्या में केवल एक होगी। प्रराष्ट्रीय इकाई संख्या में दो होंगी तथा वतनी या होमलैंड इकाइयां संख्या में चार होंगी।
8.9.13.4. ऊर्ध्वाधर शासकीय स्तरों की कार्यसमितियों में अतिरिक्त पदों के सृजन का अधिकार केंद्रीय कमेटी को होगा।
8.9.13.5. यह आवश्यक होगा कि ऊर्ध्वाधर शासकीय कार्यसमितियों के अध्यक्षों की व्यक्तिगत आर्थिक हैसियत उसी अनुपात में कम होती जानी चाहिए, जिस अनुपात में ऊर्ध्वाधर शासकीय इकाई का क्षेत्रफल बढ़ता जाता है। इस प्रावधान का यही आशय है कि राष्ट्रीय कार्यसमिति के अध्यक्ष की व्यक्तिगत आर्थिक हैसियत सबसे कम और प्रादेशिक कार्यसमितियों के अध्यक्षों की व्यक्तिगत आर्थिक हैसियत सबसे अधिक होगी। इस प्रावधान को लागू करने के लिए केंद्रीय कमेटी 5 ऊर्ध्वाधर इकाइयों के आय व संपत्ति के 5 स्लैब की घोषणा समय-समय पर करेगी। कोई भी व्यक्ति, जो किसी भी स्तर की कार्यसमिति में भर्ती होने के लिए नामांकन करेगा, उसे इस योग्यता का सबूत देना होगा कि क्या उसकी व्यक्तिगत आर्थिक हैसियत इस ऊर्ध्वाधर कार्यसमिति के योग्य है?
8.9.14. प्रादेशिक कार्यसमिति का गठन
8.9.14.1. प्रादेशिक इकाई में साधारण सभा के दो सदन होंगे. पहले को विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र सदन, दूसरे को जनपद सदन कहा जायेगा. विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र सदन में सभी विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों से दो दो, जनपद सदन में सभी जनपदों से एक-एक प्रतिनिधि होंगे. सभी सदनों के सभी प्रतिनिधियों का कुल मत मूल्य एक बराबर होगा.
8.9.14.2. प्रादेशिक साधारण सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से अपनी कार्यसमिति के लिए एक अध्यक्ष का चुनाव करेगी। कार्यसमिति में कम से कम 5 और अधिक से अधिक 17 सदस्य होंगे। प्रादेशिक अध्यक्ष साधारण सभा के चुने हुए सदस्यों में से प्रादेशिक कार्यसमिति के सदस्यों का अंतरिम तौर पर नामांकन करेगा। अंतिम तौर पर प्रादेशिक कार्य समिति के पदाधिकारियों का चुनाव साधारण सभा द्वारा किया जायेगा। यथाशक्य प्रादेशिक कार्यसमिति में गठबंधन के सभी प्रादेशिक संगठनों, सभी जातियों और सभी संप्रदायों से कम से कम एक प्रतिनिधि चुना जाएगा।
8.9.14.3. प्रादेशिक साधारण सभा अखिल भारतीय साधारण सभा में अपने प्रतिनिधि भेजने के लिए दो-दो प्रतिनिधि चुनेगी।
8.9.14.4. प्रादेशिक विधानसभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से गठबंधन की संबंधित केन्द्रीय इकाई की साधारण सभा के लिए 01 प्रतिनिधि का चुनाव करेगी।
8.9.15. देश स्तरीय कार्यसमिति का गठन
8.9.15.1. अखिल भारतीय इकाई में साधारण सभा के दो सदन होंगे. पहले को प्रादेशिक सदन, दूसरे लोकसभा सदन कहा जायेगा. प्रादेशिक सदन में सभी प्रदेशों से दो दो, लोक सभा सदन में सभी लोक सभाओं से एक-एक प्रतिनिधि होंगे. सभी सदनों के सभी प्रतिनिधियों का कुल मत मूल्य एक बराबर होगा.
8.9.15.2. अखिल भारतीय साधारण सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से अपनी कार्यसमिति के लिए एक अध्यक्ष का चुनाव करेगी। कार्यसमिति में कम से कम 5 और अधिक से अधिक 17 सदस्य होंगे। अखिल भारतीय अध्यक्ष साधारण सभा के चुने हुए सदस्यों में से अखिल भारतीय कार्यसमिति के सदस्यों का अंतरिम तौर पर नामांकन करेगा। अंतिम तौर पर प्रादेशिक कार्य समिति के पदाधिकारियों का चुनाव साधारण सभा द्वारा किया जायेगा। जहां तक संभव होगा, सभी राजनीतिक विचारधाराओं से कम से कम एक प्रतिनिधि का चुनाव होगा।
8.9.15.3. अखिल भारतीय साधारण सभा वतन की साधारण सभा में अपने प्रतिनिधि भेजने के लिए दो-दो प्रतिनिधि चुनेगी।
8.9.15.4. अखिल भारतीय साधारण सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से गठबंधन की संबंधित केन्द्रीय इकाई की साधारण सभा के लिए 01 प्रतिनिधि का चुनाव करेगी ।
8.9.16. वतनी मामलों की भारतीय कार्यसमिति का गठन
8.9.16.1. वतन की इकाई में साधारण सभा के दो सदन होंगे. पहले को अखिल भारतीय सदन, दूसरे ग्राम संसद निर्वाचन क्षेत्र सदन कहा जायेगा. अखिल भारतीय सदन में सभी देशों से दो दो, ग्राम निर्वाचन क्षेत्र सदन में सभी ग्राम निर्वाचन क्षेत्रों से एक-एक प्रतिनिधि होंगे. सभी सदनों के सभी प्रतिनिधियों का कुल मत मूल्य एक बराबर होगा.
8.9.16.2. वतन की साधारण सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से अपनी कार्यसमिति के लिए एक अध्यक्ष का चुनाव करेगी। कार्यसमिति में कम से कम 5 और अधिक से अधिक 17 सदस्य होंगे। वतन का अध्यक्ष साधारण सभा के चुने हुए सदस्यों में से वतन की कार्यसमिति के सदस्यों का अंतरिम तौर पर नामांकन करेगा। अंतिम तौर पर वतन की कार्य समिति के पदाधिकारियों का चुनाव साधारण सभा द्वारा किया जायेगा। जहां तक संभव होगा, सभी राजनीतिक विचारधाराओं से कम से कम एक प्रतिनिधि का चुनाव होगा।
8.9.16.3. वतन की साधारण सभा प्रराष्ट्र की साधारण सभा में अपने प्रतिनिधि भेजने के लिए दो-दो प्रतिनिधि चुनेगी।
8.9.16.4. वतन की साधारण सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से गठबंधन की संबंधित केन्द्रीय इकाई की साधारण सभा के लिए 01 प्रतिनिधि का चुनाव करेगी ।
8.9.17. प्रराष्ट्रीय मामलों की भारतीय इकाई या पारिवारिक मामलों की कार्यसमिति का गठन
8.9.17.1. प्रराष्ट्रीय मामलों की इकाई में साधारण सभा के दो सदन होंगे. पहले को देशिक सदन, दूसरे परिवार संसद निर्वाचन क्षेत्र सदन कहा जायेगा. देशिक सदन में सभी देशों से दो दो, परिवार निर्वाचन क्षेत्र सदन में सभी परिवार निर्वाचन क्षेत्रों से एक-एक प्रतिनिधि होंगे. सभी सदनों के सभी प्रतिनिधियों का कुल मत मूल्य एक बराबर होगा.
8.9.17.2. प्रराष्ट्रीय मामलों की साधारण सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से अपनी कार्यसमिति के लिए एक अध्यक्ष का चुनाव करेगी। कार्यसमिति में कम से कम 5 और अधिक से अधिक 17 सदस्य होंगे। प्रराष्ट्रीय मामलों का अध्यक्ष साधारण सभा के चुने हुए सदस्यों में से प्रराष्ट्रीय मामलों की कार्यसमिति के सदस्यों का अंतरिम तौर पर नामांकन करेगा। अंतिम तौर पर प्रराष्ट्रीय मामलों की कार्य समिति के पदाधिकारियों का चुनाव साधारण सभा द्वारा किया जायेगा। जहां तक संभव होगा, सभी राजनीतिक विचारधाराओं से कम से कम एक प्रतिनिधि का चुनाव होगा।
8.9.17.3. प्रराष्ट्रीय मामलों की साधारण सभा राष्ट्र की साधारण सभा में अपने प्रतिनिधि भेजने के लिए दो-दो प्रतिनिधि चुनेगी।
8.9.17.4. प्रराष्ट्रीय मामलों की साधारण सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से गठबंधन की संबंधित केन्द्रीय इकाई की साधारण सभा के लिए 01 प्रतिनिधि का चुनाव करेगी ।
8.9.18. राष्ट्रीय कार्यसमिति / मानवीय मामलों की वैश्विक कार्यसमिति का गठन
8.9.18.1. राष्ट्रीय इकाई में साधारण सभा के दो सदन होंगे. पहले को प्रराष्ट्रीय सदन, दूसरे मानव संसद निर्वाचन क्षेत्र सदन कहा जायेगा. प्रराष्ट्रीय सदन में सभी दोनों प्रराष्ट्रों से दो दो, मानव निर्वाचन क्षेत्र सदन में सभी मानव निर्वाचन क्षेत्रों से एक-एक प्रतिनिधि होंगे. सभी सदनों के सभी प्रतिनिधियों का कुल मत मूल्य एक बराबर होगा.
8.9.18.2. राष्ट्रीय मामलों की साधारण सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से अपनी कार्यसमिति के लिए एक अध्यक्ष का चुनाव करेगी। कार्यसमिति में कम से कम 5 और अधिक से अधिक 17 सदस्य होंगे। राष्ट्रीय अध्यक्ष साधारण सभा के चुने हुए सदस्यों में से राष्ट्रीय मामलों की कार्यसमिति के सदस्यों का अंतरिम तौर पर नामांकन करेगा। अंतिम तौर पर राष्ट्रीय मामलों की कार्य समिति के पदाधिकारियों का चुनाव साधारण सभा द्वारा किया जायेगा। जहां तक संभव होगा, सभी राजनीतिक विचारधाराओं से कम से कम एक प्रतिनिधि का चुनाव होगा।
8.9.18.3. राष्ट्रीय मामलों की साधारण सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से गठबंधन की संबंधित केन्द्रीय इकाई की साधारण सभा के लिए 02 प्रतिनिधि का चुनाव करेगी ।
8.9.19. प्रबंधकीय स्तर की कार्यसमितियों का गठन
8.9.19.1. दो प्रबंधकीय स्तरों पर कार्य करने वाली कार्यसमितियों में पदाधिकारियों की संख्या कम से कम 5 और अधिक से अधिक 17 होगी। पदों और उनकी संख्या निम्नवत होगी
- अध्यक्ष – 01
- प्रथम उपाध्यक्ष – 01
- द्वितीय उपाध्यक्ष – 01
- महाप्रबंधक गठबंधन कोष – 01
- महासचिव – 01
- सचिव – 01
- सदस्यता रजिस्ट्रार – 01
- अध्यक्ष निर्वाचन प्राधिकरण – 01
- नागरिकता रजिस्ट्रार – 01
- अध्यक्ष न्यायिक परिषद – 01
- महानिदेशक लोकसेवा भर्ती परिषद – 01
- फिलामेंट समन्वयक क्षैतिज समन्वय परिषद – 01
- फिलामेंट समन्वयक ऊर्ध्वाधर समन्वय परिषद – 01
- महानिदेशक सुरक्षा परिषद – 01
- प्रवक्ता जनसंचार प्राधिकरण – 01
- आरडीआर प्रभारी – 01
8.9.19.2. प्रबंधकीय स्तर की कमेटियां निम्नलिखित दो स्तरों पर काम करेंगी
- प्रथम ‘एम’ स्तर – क्षेत्रीय स्तर
- द्वितीय ‘एम’ स्तर – जनपद स्तर
8.9.19.3. न्यूनतम 5 लोकसभा चुनाव क्षेत्रों के सारे क्षेत्र को सामूहिक रूप से या केंद्रीय कमेटी द्वारा सीमाकित परिक्षेत्र को क्षेत्रीय इकाई का परिक्षेत्र कहा जाएगा।
8.9.19.4. प्रबंधकीय कार्यसमितियों में अतिरिक्त पदों के सृजन का अधिकार केंद्रीय कमेटी को होगा।
8.9.19.5. अपने कार्यों को सुचारु ढंग से चलाने के लिए क्षेत्रीय कार्यसमिति को जोनल कार्यसमितियां गठित करने का अधिकार होगा। जोनल कार्यसमितियों में पदाधिकारियों का नामांकन क्षेत्रीय कार्यसमिति का अध्यक्ष करेगा। ऐसा नामांकन केवल क्षेत्रीय साधारण सभा के चुने हुए प्रतिनिधियों में से ही किया जाएगा। जोनल कमेटियों के और उनके पदाधिकारियों के अधिकारों व कर्तव्य का निर्धारण संबंधित क्षेत्रीय कार्यसमिति द्वारा किया जाएगा।
8.9.20. जिला स्तरीय कार्यसमिति का गठन
8.9.20.1. जनपद सभा इकाई में साधारण सभा के 4 सदन होंगे. पहले को विधान सभा सदन, दूसरे को ब्लॉक सदन, तीसरे को सर्किल सदन, चौथे को सेक्टर सदन कहा जायेगा. ब्लॉक सदन में सभी ब्लाकों से तीन तीन, सर्किल सदन में सभी चारों सर्किलों से दो-दो, सेक्टर सदन में सभी सेक्टरों से एक एक प्रतिनिधि होंगे. सभी सदनों के सभी प्रतिनिधियों का कुल मत मूल्य एक बराबर होगा.
8.9.20.2. जनपद सभा की साधारण सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से जनपद सभा की कार्यसमिति के लिए एक अध्यक्ष का चुनाव करेगी। कार्यसमिति में कम से कम 5 और अधिक से अधिक 17 सदस्य होंगे। जनपद सभा अध्यक्ष साधारण सभा के चुने हुए सदस्यों में से जनपद सभा कार्यसमिति के सदस्यों का अंतरिम तौर पर नामांकन करेगा। अंतिम तौर पर जनपद सभा के कार्य समिति के पदाधिकारियों का चुनाव साधारण सभा द्वारा किया जायेगा। यथाशक्य जनपद सभा की कार्यसमिति में गठबंधन के सभी संगठनों से कम से कम एक प्रतिनिधि चुना जाएगा।
8.9.20.3. जनपद सभा की साधारण सभा क्षेत्रीय साधारण सभा में अपने प्रतिनिधि भेजने के लिए जनपद सभा क्षेत्र में निवास करने वाले गठबंधन के सभी संगठनों से दो-दो प्रतिनिधि चुनेगी।
8.9.20.4. जनपद क्षेत्र की आम सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से गठबंधन की संबंधित राज्य इकाई की आम सभा के लिए 01 प्रतिनिधि का चुनाव करेगी ।
8.9.21. क्षेत्रीय कार्यसमिति का गठन
8.9.21.1. क्षेत्रीय सभा इकाई में साधारण सभा के 2 सदन होंगे. पहले को जनपद सदन, दूसरे को प्रादेशिक सदन कहा जायेगा. यदि किसी क्षेत्र में एक या एक से भी अधिक प्रदेश होंगे तो जनपद सदन में सभी जनपदों से एक, प्रादेशिक सदन में सभी प्रदेशों से दो-दो प्रतिनिधि होंगे. यदि किसी क्षेत्र में एक भी प्रादेशिक इकाई नहीं है तो वहां के क्षेत्र में केवल जनपद सदन ही होगा, प्रादेशिक सदन नहीं होगा.
8.9.21.2. क्षेत्रीय इकाई की साधारण सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से क्षेत्रीय सभा की कार्यसमिति के लिए एक अध्यक्ष का चुनाव करेगी। कार्यसमिति में कम से कम 5 और अधिक से अधिक 17 सदस्य होंगे। क्षेत्रीय सभा का अध्यक्ष साधारण सभा के चुने हुए सदस्यों में से क्षेत्रीय सभा कार्यसमिति के सदस्यों का अंतरिम तौर पर नामांकन करेगा। अंतिम तौर पर क्षेत्रीय सभा के कार्य समिति के पदाधिकारियों का चुनाव साधारण सभा द्वारा किया जायेगा। यथाशक्य क्षेत्रीय सभा की कार्यसमिति में गठबंधन के क्षेत्र स्तरीय सभी संगठनों से कम से कम एक प्रतिनिधि चुना जाएगा।
8.9.21.3. क्षेत्रीय इकाई की साधारण सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से अखिल भारतीय साधारण सभा में अपने प्रतिनिधि भेजने के लिए दो प्रतिनिधि चुनेगी।
8.9.21.4. क्षेत्रीय सभा सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से गठबंधन की संबंधित केन्द्रीय साधारण सभा के लिए 01 प्रतिनिधि का चुनाव करेगी ।
8.9.22. केंद्रीय कार्यसमिति का गठन
8.9.22.1. प्रदेश को छोड़कर सभी शासकीय ऊर्ध्वाधर इकाइयां और क्षेत्रीय इकाईयां केंद्रीय साधारण सभा में भेजने के लिए डेलीगेट निर्वाचित करेंगी। सभी ऊर्ध्वाधर इकाइयों के डेलिगेट की कुल संख्या बराबर होगी। क्षेत्रीय इकाई केंद्र में एक से अधिक डेलीगेट नहीं भेजेगी। देश, अखिल भारतीय, वतनी, प्रराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर की इकाइयों को उतनी संख्या में डेलीगेट भेजने का अधिकार होगा, जितनी संख्या में संगठन की क्षेत्रीय इकाईयां होगी। किस इकाई से कितने डेलीगेट केंद्रीय कमेटी में भेजे जाएंगे, यह तय करने का अधिकार केंद्रीय कमेटी को होगा।
8.9.22.2. केंद्रीय साधारण सभा केंद्रीय कार्यसमिति का चुनाव करेगी। इसके लिए साधारण सभा अपने चुने हुए प्रतिनिधियों में से किसी एक को कार्यसमिति के अध्यक्ष के रूप में चुनेगी। कार्यसमिति का अध्यक्ष साधारण सभा के चुने हुए प्रतिनिधियों में से कम से कम 5 और अधिक से अधिक 17 लोगों को कार्यसमिति का सदस्य बनाएगा।
8.10. शासकीय स्तर की ऊर्ध्वाधर कमेटियों के कार्य
8.10.1. अपने साझा आर्थिक और राजनीतिक हितों और अपनी आर्थिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए राष्ट्रीय इकाई पूरे विश्व के सभी लोगों को उनके वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक अधिकारों को मान्यता दिलाने के लिए और उन अधिकारों में वृद्धि करने के लिए जागरूक करने, संगठित करने, कानून बनाने और आवश्यक अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ संपन्न करवाने का कार्य करेगी।
8.10.2. अपने पारिवार की आर्थिक प्रगति और परिवारों के साझे आर्थिक हितों के प्रति जागरूक करने, कानून बनाने और आवश्यक अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ संपन्न करवाने और पूरे प्रराष्ट्र के परिवारों को आपस में संगठित करने के लिए प्रराष्ट्रीय इकाई काम करेगी।
8.10.3. वतन के सभी गांवों/वार्डों को अपने साझा आर्थिक हितों और अपने गांव/वार्ड के विकास के लिए पूरे वतन के गांव/वार्ड आपस में संगठित करने, कानून बनाने और आवश्यक अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ संपन्न करवाने के लिए वतनी कार्यसमिति काम करेगी।
8.10.4. देश की कार्यसमिति देश भर की सर्किल कमेटियों को उनके क्षेत्र के आर्थिक विकास व राजनीतिक अधिकारों में अभिवृद्धि के लिए संघर्ष करने के लिए संगठित करने और कानून बनाने के लिए कार्य करेगी.
8.10.5. प्रदेश की कार्यसमितियां अपने-अपने प्रदेश की विधानसभाओं के आर्थिक विकास के लिए विधानसभा कमेटियों को संगठित व जागरूक करने के लिए काम करेंगी।
8.10.6. क्षेत्रीय कमेटियां अपने-अपने क्षेत्र के जनपदों की कमेटियों के संगठन के संविधान को और केंद्रीय कमेटी के आदेशों को अपने-अपने जनपद में मजबूती से लागू करवाने के लिए काम करेंगी।
8.10.7. गठबंधन का संगठन एकता में अखंडता यानी द्वैताद्वैत की नीति का अनुपालन करेगा। शासकीय स्तरों की ऊर्ध्वाधर कमेटियां परादेशिक साझा हितों, परादेशिक समस्याओं के परादेशिक समाधान के लिए काम करेंगे। यह समस्याएं साझी संस्कृति, साझी सभ्यता, साझी राष्ट्रीयता, साझी अर्थव्यवस्था व राजव्यवस्था, साझा शासन-प्रशासन, साझी संसद और साझा न्यायालय से संबंधित हो सकती है।
8.10.8. आंतरिक लोकतंत्र संबंधी नियम बनाना, विविध प्रकार की सदस्यता के नियम बनाना, संगठनात्मक चुनावों संबंधी नियम बनाना, पदाधिकारियों और सदस्यों के लिए नियम बनाना, पदाधिकारियों और सदस्यो पर अनुशासनात्मक कार्यवाही संबंधी नियम बनाना, गठबंधन के संविधान में संशोधन करना, संगठन के विविध अंगों को भंग करना या उनका विभाजन करना, गठबंधन को भंग करना या उसका विभाजन करना।
8.10.9. अपनी-अपनी साधारण सभा में विधायकों को प्रस्तुत करना, संबंधित साधारण सभा द्वारा निर्धारित बजट की सीमा में अपने-अपने कार्यालय सचिवालय संचालित करना, वेतन, पेंशन, यात्रा-भत्ता, सम्मान-पुरस्कार की सुविधाओं का लाभ उठाना, अपनी संस्था, संगठन और उद्यम को साधारण सभा द्वारा तय की गई आचार संहिता के अधीन रहते हुए लाभान्वित करना।
8.10.10. सभी कार्यसमितियों के सदस्य अपनी-अपनी साधारण सभा द्वारा तय की गयी पद्धतियों को ईमानदारी के साथ लागू करेंगी।
8.10.11. सभी कार्यसमितियों के सदस्य यथासंभव वही कार्य व आचरण करेंगे, जो न्यायिक परिषद की दृष्टि में गठबंधन के नियम विरुद्ध और अनुचित न हो।
8.10.12. सभी कार्यसमितियों के बोर्ड और ब्यूरो के सदस्य आपस में सीधे संपर्क न रखकर अपनी कार्यसमिति के क्षेत्रीय समन्वयक या अध्यक्ष या महासचिव के माध्यम से ही संपर्क रखेंगे।
8.10.13. गठबंधन की पांच ऊर्ध्वाधर शासकीय कार्यसमितियों को अपने कार्यों को संपादित करने के लिए राजनीतिक या अराजनीतिक तरीके अपनाने का अधिकार होगा तथा संगठन के प्रकोष्ठों, मोर्चों, ऑपरेशनों, अभियानों तथा संगठन द्वारा संचालित व अधिकृत संगठन से संबद्ध संगठनों द्वारा अपने कार्य संपादित करवाने का अधिकार होगा।
8.10.14. केंद्रीय कार्यकारी समिति की भर्ती परिषद के महानिदेशक गठबंधन की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए गठबंधन के किसी भी अंग या उप-अंग में किसी भी स्तर पर गठबंधन के किसी भी पदाधिकारी की भर्ती करने के हकदार होंगे, जहां गठबंधन के गठन के प्रावधानों के अनुसार फंड और मैन पावर की कमी के कारण भर्ती परिषद का गठन नहीं किया जाता है।
8.10.15. केंद्रीय कार्यकारी समिति को गठबंधन संगठन में नए पदों को सृजित करने या गठबंधन संगठन से वर्तमान पदों को निरस्त करने का अधिकार होगा।
8.11. विविध स्तरों की कार्यसमितियों के अध्यक्षों और प्रथम उपाध्यक्षों के अधिकार व कर्तव्य
8.11.1. सभी कार्यसमितियों के अध्यक्षों और प्रथम उपाध्यक्षों को अपनी-अपनी राजनीतिक विचारधारा के प्रचार-प्रसार का उस सीमा तक अधिकार होगा, जिस सीमा तक न्यायिक परिषद को आपत्ति न हो।
8.11.2. सभी कार्यसमितियों के अध्यक्षों और प्रथम उपाध्यक्षों को अपने अधिकार क्षेत्र की सीमा में पार्टी कोष का उपयोग करने का अधिकार होगा।
8.11.3. सभी कार्यसमितियों के अध्यक्षों और प्रथम उपाध्यक्षों को जन सेवा के बदले मिले पुरस्कारों द्वारा अपनी निजी आर्थिक हैसियत बढ़ाने का अधिकार होगा।
8.11.4. सभी अध्यक्षों और प्रथम उपाध्यक्षों को अपने निजी उपयोग में अपनी इकाई की विकासक साधारण सभा की अपेक्षाओं को ध्यान में रखना होगा और अपनी निजी राजनीतिक विचारधारा के प्रचार प्रसार में अपनी इकाई की विधायक साधारण सभा तथा न्यायिक परिषद की अपेक्षाओं को ध्यान में रखना होगा।
8.11.5. प्रथम उपराष्ट्रपति के अधिकार और कर्तव्य राष्ट्रपति के अधिकार और कर्तव्य समान होंगे ।
8.12. कार्यसमितियों के द्वितीय उपाध्यक्ष के अधिकार व कर्तव्य
8.12.1. गठबंधन के सदस्यों का उचित उपयोग करके सभी कार्यसमितियों के द्वितीय उपाध्यक्षों को अपनी निजी आर्थिक हैसियत में उन्नति करने का अधिकार होगा। जहां तक न्यायिक परिषद को आपत्ति न हो, वहां तक द्वितीय उपाध्यक्ष सदस्यों का उपयोग करके अपना उद्यम आगे बढ़ा सकता है।
8.12.2. विधायक साधारण सभा की मंजूरी के दायरे में द्वितीय उपाध्यक्ष को अपनी शक्तियों व अधिकारों के उपयोग का अधिकार होगा।
8.12.3. द्वितीय उपाध्यक्ष को अपनी इकाई की विधायक साधारण सभा की अपेक्षाओं के दायरे में रहकर निजी उपभोग का अधिकार होगा और विकासक साधारण सभा तथा न्यायिक परिषद की अपेक्षाओं के दायरे में रहकर अपने उद्यम की वृद्धि करने का अधिकार होगा।
8.12.4. द्वितीय उपाध्यक्ष गठबंधन के कामों को संपादित करने के लिए अपेक्षित आर्थिक संसाधनों को जुटाने के लिए जिम्मेदार होगा।
अध्याय 9
अनुच्छेद – 9
संसदीय परिषदें
गठबंधन के जनप्रतिनिधियों द्वारा संबंधित विधायिका में संपादित किए जाने वाले कार्यों को निर्देशित करने के लिए गठबंधन की एक
संसदीय परिषद होगी।
9.1. संसदीय परिषदों के उद्देश्य और कार्य
गठबंधन की एक केंद्रीय संसदीय परिषद होगी और इसका गठन पार्टी की केंद्रीय कमेटी करेगी। देश और तमाम प्रदेशों में मौजूद
गठबंधन के विधायकों और सांसदों के कार्यों आचरण तथा उनके द्वारा संसद में संपादित किए जाने वाले विधाई कार्यों को विनियमित
करने तथा समन्वय स्थापित करने का कार्य संसदीय परिषद करेगी।
9.2. संसदीय परिषद का संगठन और प्रक्रिया
9.2.1. संसदीय परिषदों का गठन हर उस स्तर पर होगा जहां भी निर्वाचन प्रक्रिया द्वारा किसी कानून बनाने
वाले राज्य की संस्था की मौजूदगी है। इन इकाइयों को ऊर्ध्वाधर संसदीय परिषदें कहा जाएगा।
9.2.2. सभी संसदीय परिषदें अपने से उच्चस्थ परिषद द्वारा निर्देशित होंगी। जनप्रतिनिधियों के मार्गदर्शन
के मामले में सभी ऊर्ध्वाधर संसदीय परिषदें केंद्रीय इकाई पर निर्भर करेंगी।
9.2.3. किसी भी ऊर्ध्वाधर संसदीय परिषद के नियम, नीति और आदेश उस हद तक शून्य होंगे, जिस हद तक वह अपनी
उच्चस्थ संसदीय परिषद या केंद्रीय संसदीय परिषद के किसी नियम, नीति या आदेश का उल्लंघन करेंगे।
9.3. संसदीय परिषदों का संविधान
9.3.1. केंद्रीय संसदीय परिषद में केंद्रीय कार्यसमिति के प्रथम उपाध्यक्ष को लेकर कम से कम तीन और अधिक से अधिक 11 सदस्य होंगे। नीचे की सभी ऊर्ध्वाधर संसदीय परिषदों में उच्च परिषद का एक प्रतिनिधि पदेन सदस्य होगा, जो उच्च परिषद के निर्देशों को अधीनस्थ परिषद तक संप्रेषित करेगा।
9.3.2. एक प्रदेश में या एक देश में केवल एक ही संसदीय परिषद संबंधित स्तर पर काम करेगी। सभी प्रदेशों के और सभी देशों की सभी संसदीय परिषदें केंद्रीय संसदीय परिषद में भेजने के लिए एक प्रतिनिधि देश स्तर की परिषदों की ओर से और एक प्रतिनिधि प्रदेश स्तर की संसदीय परिषदों की ओर से निर्वाचित करेंगी। निर्वाचित किए जाने वाले प्रतिनिधि के लिए आवश्यक होगा कि वह अपने कार्यसमिति के अध्यक्ष के साथ सकारात्मक कार्य का अनुभव रखता हो व उस कार्यसमिति का सदस्य हो।
9.3.3. उक्त प्रावधान के तहत प्रदेशों से और देशों की कमेटियों से जो प्रतिनिधि केंद्रीय संसदीय परिषद में चुनकर आएंगे, वे केंद्रीय संसदीय परिषद के प्रथम उपाध्यक्ष का निर्वाचन करेंगे।
9.3.4. देश स्तरीय संसदीय परिषद में न्यूनतम 3 सदस्य होंगे। संसदीय परिषद में अधिकतम संख्या वही होगी, जो संख्या प्रदेश इकाइयों की होगी।
9.3.5. प्रादेशिक संसदीय समितियों में सदस्यों की न्यूनतम संख्या 3 और अधिकतम संख्या 7 होगी।
9.3.6. विभिन्न ऊर्ध्वाधर स्तरों की संसदीय परिषदों में सदस्यों की संख्या केंद्रीय संसदीय परिषद के आदेश से घटाई या बढ़ाई जा सकती है।
9.3.7. किसी भी कार्यसमिति का अध्यक्ष अपनी इकाई की संसदीय परिषद का पदेन अध्यक्ष होगा।
9.3.8. संसदीय दल या गठबंधन का सदन में नेता संबंधित स्तर की संसदीय परिषद में पदेन सदस्य होगा।
9.3.9. संसदीय परिषद के बाकी सदस्यों की भर्ती संबंधित स्तर की कार्यसमिति के गठन के तुरंत बाद होने वाली पहली ही बैठक में किया जाएगा।
अध्याय 10
अनुच्छेद – 10
निर्वाचन प्राधिकरण
स्वतंत्र, निष्पक्ष और गोपनीय चुनाव संपादित करने के लिए गठबंधन का एक निर्वाचन प्राधिकरण होगा। निर्वाचन प्राधिकरण उन
पदाधिकारियों की भर्ती निर्वाचन प्रक्रिया द्वारा करेगा, जिन की भर्ती संगठन के विविध ऊर्ध्वाधर स्तरों पर निर्वाचन
प्रक्रिया द्वारा की जानी तय हो। संगठन की उच्चतम कमेटियां और साधारण सभा का गठन लोकतांत्रिक प्रक्रिया द्वारा ही होगा। यदि
इन इकाइयों में नामांकन प्रक्रिया से भर्ती होती है, तो वह कुल संख्या के मात्र एक तिहाई दायरे में सीमित होगी। पद न तो
अनुवांशिक होगा और न ही स्थाई रूप से किसी व्यक्ति को दिया जाएगा।
10.1. निर्वाचन प्राधिकरण का गठन
10.1.1. निर्वाचन प्राधिकरण अपनी शाखाएं गठबंधन के संगठन के प्रत्येक ऊर्ध्वाधर स्तर पर खोलेगा। प्राधिकरण
की शाखाएं अपने अपने स्तर पर निर्वाचन कार्य संपादित करके पदाधिकारियों की भर्ती करेंगी।
10.1.2. निर्वाचन प्राधिकरण का कोई भी सदस्य अपने निजी गांव/ वार्ड/ ब्लाक/जनपद/प्रदेश के निर्वाचन में
निर्वाचन अधिकारी नहीं बन सकता।
10.1.3. गठबंधन की राष्ट्रीय कमेटी/राष्ट्रीय/ राष्ट्रीय मामलों की भारतीय इकाई के निर्वाचन प्राधिकरण के
लिए अध्यक्ष और सदस्यों का नामांकन करेगी। इस स्तर पर प्राधिकरण में 15 सदस्य होंगे।
10.1.4. समय-समय पर राष्ट्रीय कमेटी/राष्ट्रीय मामलों की भारतीय कमेटी स्वतंत्र, निष्पक्ष और गोपनीय चुनाव
संपन्न कराने के लिए आचार संहिता और निर्देश जारी करेगी। निर्वाचन के मामलों में आचार संहिता और निर्देश जारी करने का अधिकार
संगठन की सभी ऊर्ध्वाधर कार्यसमितियों के पास होगा। किंतु किसी भी कार्यसमिति द्वारा जारी ऐसे निर्देश शून्य होंगे, जो किसी
भी उच्चस्थ कार्यसमिति के निर्देश में बाधक बनते हैं।
10.1.5. निर्वाचन प्राधिकरण के किसी सदस्य का कार्यकाल न्यूनतम 1 वर्ष और अधिकतम 4 वर्ष होगा। बेहतर
अनुभवों का लाभ उठाने के लिए प्राधिकरण के अध्यक्ष सहित किसी भी सदस्य को एक से अधिक कार्यकाल के लिए उसी पद पर नियुक्त किया
जा सकता है।
10.1.6. निर्वाचन प्राधिकरण के अध्यक्ष के अलावा प्राधिकरण का कोई भी सदस्य किसी कार्यसमिति का सदस्य नहीं
हो सकता। किसी कार्यसमिति का सदस्य बनने के लिए कम से कम 6 सप्ताह पूर्व प्राधिकरण के सदस्य को अपना पद छोड़ना होगा।
केंद्रीय कमेटी जितने पहले पद से अलग होने को कहेगी, उतने ही दिन पहले निर्वाचन प्राधिकरण के अध्यक्ष को अपनी उस कार्यसमिति
से अलग होना पड़ेगा।
10.1.7. ऊर्ध्वाधर इकाइयों में उच्च स्तरीय निर्वाचन प्राधिकरण अपने से निम्नस्थ निर्वाचन प्राधिकरण के
अध्यक्ष को उसके पद से मात्र नोटिस देकर हटा सकता है। जो प्राधिकरण इस प्रकार किसी प्राधिकरण के अध्यक्ष को हटाएगा, उसके
विरुद्ध हटाया गया अध्यक्ष/आरोपी हटाने वाले प्राधिकरण से उच्चस्थ प्राधिकरण में याचिका दायर करके न्याय मांग सकेगा। किंतु
आरोपी को किसी सूरत में अपील करने का अधिकार नहीं होगा।
10.1.8. निर्वाचन प्राधिकरण का अध्यक्ष या सदस्य अपना कार्य करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति का उपयोग नहीं
कर सकता। निर्वाचन प्राधिकरण सामूहिक रूप से कार्य करने के लिए कुछ कर्मचारियों और अधिकारियों की नियुक्ति कर सकता है।
10.2. निर्वाचन के चरण
10.2.1. मतदान की प्रक्रिया प्राथमिक सदस्यों/निर्वाचक मंडल की सूची तैयार करने के साथ शुरू होगी। यह
कार्य संबंधित स्तर का निर्वाचन प्राधिकरण संपन्न करेगा।
10.2.2. निर्वाचन मंडल की प्राथमिक सदस्यों की सूची में नए नामों को शामिल करना या नामों को जारी करना
संबन्धित निर्वाचन प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र का कार्य है। बशर्ते उसकी मंजूरी उच्चस्थ निर्वाचन प्राधिकरण से ली गई हो।
10.2.3. निर्वाचन प्रक्रिया का दूसरा चरण है-निर्वाचन का नोटिफिकेशन। नोटिफिकेशन कोई भी निर्वाचन
प्राधिकरण की इकाई अपने से उच्चस्थ अधिकरण की मंजूरी से जारी करेगी। नोटिफिकेशन निर्वाचन का विस्तृत कार्यक्रम होगा।
10.2.4. तीसरे चरण में नामांकन पत्र भरे जाएंगे, उनका सत्यापन होगा और प्रत्याशियों की अंतिम सूची जारी की
जाएगी।
10.2.5. चौथे चरण में घोषित प्रक्रिया के अनुरूप चुनाव संपन्न कराए जाएंगे।
10.2.6. अंतिम चरण में वोटों की गिनती होगी और निर्वाचन परिणामों की घोषणा होगी।
10.3. निर्वाचन की प्रक्रिया
10.3.1. सक्षम निर्वाचन प्राधिकरण निर्वाचन तिथि से कम से कम 16 दिन पूर्व निर्वाचन की तिथि, स्थान, समय
और प्रक्रिया की घोषणा करेगा।
10.3.2. सभी निर्वाचन प्राधिकरण अपने अधीनस्थ निर्वाचन प्राधिकरण के लिए नामांकन पत्रों का प्रारूप तैयार
करेंगे। नामांकन के दिन कोई भी प्रत्याशी या उसकी तरफ से कोई प्रतिनिधि निर्धारित प्रोफार्मा के अनुसार ही निर्वाचन अधिकारी
के समक्ष अपना नामांकन प्रस्तुत करेगा। अगले दिन नामांकनकर्ताओं या उनके प्रतिनिधियों के समक्ष नामांकन पत्रों की जांच की
जाएगी।
10.3.3. उसके अगले दिन निर्धारित प्रक्रिया के तहत नामांकन पत्रों की वापसी होगी।
10.3.4. जब निर्वाचन के लिए प्रत्याशियों की अंतिम सूची तैयार हो जाएगी, तब उसका प्रकाशन बैलट के प्रारूप
के अनुसार होगा। बैलट पेपर निर्वाचन केंद्र के दरवाजे पर चिपकाया जाएगा।
10.3.5. संबंधित निर्वाचन प्राधिकरण मतकार्य की गोपनीयता मतकर्ताओं की सुरक्षा मत कर्म की निष्पक्षता के
लिए निर्वाचन केंद्रों पर वोटरों को नियोजित करने, प्रत्याशियों के समर्थकों को निर्वाचन केंद्रों से एक सीमा से दूर बनाए
रखने, प्रत्याशियों के निर्वाचन एजेंट नियुक्त करने के लिए उचित कदम उठाएगा।
10.3.6. निर्वाचन बैलट पेपर की बजाय इलेक्ट्रॉनिक मशीन से भी हो सकता है। बशर्ते ऐसी प्रक्रिया को अपनाने
वाला प्राधिकरण वोटों की गोपनीयता तथा निष्पक्षता सुनिश्चित करने संबंधी प्रश्नों पर अपनी उच्चस्थ प्राधिकरण को संतुष्ट
करेगा और मंजूरी प्राप्त करेगा।
10.3.7. उच्चस्थ निर्वाचन प्राधिकरण द्वारा निर्दिष्ट स्थान पर निर्वाचन समाप्त होने के बाद बैलट बक्सों
को सील करके निर्वाचन संपन्न करने वाला प्राधिकरण सुरक्षित भेजने का प्रबंध करेगा।
10.4. वोटों की गिनती की प्रक्रिया
10.4.1. वोटिंग बॉक्स को प्रत्याशियों द्वारा अधिकृत एजेंटों के समक्ष खोला जाएगा। वोटों की गिनती
निर्धारित प्रक्रिया के तहत होगी। प्रत्याशियों द्वारा प्राप्त वोटों का आंकड़ा संबंधित निर्वाचन प्राधिकरण द्वारा घोषित व
प्रकाशित किया जाएगा।
10.4.2. चुनाव जीतने के लिए अर्हताओं को पूरी करने वाला प्रत्याशी चुनाव में निर्वाचित घोषित किया जाएगा
और सक्षम निर्वाचन अधिकारी द्वारा उसको निर्वाचित होने का प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।
10.4.3. यदि हाथ उठाकर वोट डालने की प्रक्रिया अपनाई जाती है या फिर किसी इलेक्ट्रॉनिक तकनीक को अपनाया
जाता है, तो इस निर्वाचन में निर्वाचन की निष्पक्षता तथा वोटर की गोपनीयता से संबंधित घोषणा निर्वाचन के नोटिफिकेशन में ही
दी जाएगी।
10.5. निर्वाचन विवादों के निपटारे संबंधी उपबंध
10.5.1. निर्वाचन संबंधी विवादों का निपटारा या तो संबंधित न्यायिक परिषद द्वारा किया जाएगा या
विश्वविद्यालयों या कानूनी प्रशिक्षण केंद्रों के उन विधि विशेषज्ञों द्वारा किया जाएगा, जो गठबंधन द्वारा मान्यता प्राप्त
होंगे।
10.5.2. याचिकाकर्ता चुनाव परिणाम की घोषणा के 15 दिन के अंदर संबंधित स्तर के न्यायिक परिषद के समक्ष
स्वयं या अपने प्रतिनिधि या अपने ऐसे अधिवक्ता के माध्यम से प्रस्तुत करेगा या डाक द्वारा भेजेगा, जिसको गठबंधन की मान्यता
हो।
10.5.3. कानूनी मामलों का विशेषज्ञ चुनाव याचिका का निस्तारण लगातार सुनवाई करके केवल 5 दिन के करेगा।
10.5.4. कानूनी याचिकाओं के निस्तारण में विशेषज्ञ यथाशक्य उसी प्रक्रिया का अनुपालन करेगा, जो प्रक्रिया
अनुशासन के उल्लंघन के मामलों में अपनाए जाने का प्रावधान है।
10.5.5. न्यायिक परिषद के विशेषज्ञों द्वारा जिन याचिकाकर्ताओं की याचिका खारिज कर दी जाती है, उन्हें
उच्चस्थ न्यायिक परिषद के विशेषज्ञों के समक्ष अपील करने का अधिकार होगा। अपील याचिका मात्र 1 सप्ताह के भीतर प्रस्तुत की
जाएगी। अपील की सुनवाई के समय निर्णयकर्ता के सम्मुख याचिकाकर्ता को व्यक्तिगत उपस्थित होने का आदेश दिया जा सकता है। किंतु
ऐसे समय पर याचिकाकर्ता के किसी अधिवक्ता को उपस्थित रहने का अधिकार नहीं होगा।
10.5.6. किसी भी याचिकाकर्ता को दूसरी अपील का अधिकार नहीं होगा।
10.5.7. जब तक देश के ऊपर के स्तरों की कार्यसमितियों, न्यायिक परिषदों और निर्वाचन प्राधिकरणों का गठन
नहीं होता, तब तक अखिल भारतीय कमेटी या अखिल भारतीय साधारण सभा के गठन के लिए संपन्न होने वाले निर्वाचन परिणामों को
केंद्रीय न्यायिक परिषद में चुनौती दी जा सकती है। इस परिस्थिति में केंद्रीय न्यायिक परिषद का फैसला अंतिम होगा।
याचिकाकर्ता को किसी भी अपील का अधिकार नहीं होगा।
10.5.8. केंद्रीय कार्यसमिति और केंद्रीय साधारण सभा के गठन के लिए होने वाले निर्वाचन के परिणाम को
चुनौती केंद्रीय न्यायिक परिषद में ही दी जाएगी। न्यायिक परिषद के फैसले से संतुष्ट न होने की स्थिति में याचिकाकर्ता को एक
अपील केंद्रीय कार्यसमिति के अध्यक्ष के सम्मुख करने का अधिकार होगा। बशर्ते केंद्रीय कमेटी के 10% सदस्य याचिकाकर्ता के
समर्थन में याचिका को काउंटर साइन करें। ऐसी अपील याचिका पर फैसला केंद्रीय कमेटी के सभी सदस्य के दो-तिहाई बहुमत के आधार पर
होगा।
10.6. रिक्तियों को भरने संबंधी प्रावधान
10.6.1. मृत्यु या त्यागपत्र या हटाए जाने की परिस्थिति में कोई भी पद रिक्त माना जाएगा।
10.6.2. किसी भी रिक्त पद पर उच्चस्थ कार्यसमिति के अध्यक्ष द्वारा नामांकन के माध्यम से वह पद भरा जाएगा,
किंतु ऐसा नामांकन मात्र 6 महीनों के लिए वैध होगा। इसके उस पद को उसी प्रक्रिया से भरा जाएगा, जो संविधान में प्रदत्त है।
अध्याय 11
अनुच्छेद 11
चुनाव प्रत्याशी चयन परिषद
चुनावों में गठबंधन की ओर से चुनाव लड़ने के लिए अधिकृत प्रत्याशियों का चयन करने के लिए एक निर्वाचन प्रत्याशी चयन परिषद
होगी। यह परिषद गठबंधन के सदस्य दल के चुनाव चिन्ह पर विविध स्तरों पर होने वाले चुनावों के लिए प्रत्याशियों का चयन करेगी।
11.1. चुनाव प्रत्याशी चयन परिषद (ईसीएससी) का गठन
11.1.1. केंद्रीय कमेटी का प्रथम उपाध्यक्ष केंद्रीय परिषद का पदेन प्रभारी होगा।
11.1.2. सभी ऊर्ध्वाधर संसदीय परिषदों के अध्यक्ष अपने-अपने अधीनस्थ प्रत्याशी चयन परिषद के पदेन अध्यक्ष
होंगे।
11.1.3. गठबंधन के प्रत्याशी चयन परिषद की इकाइयों का गठन समस्त संगठनों के संबंधित स्तर की सभी इकाइयां
सामूहिक रूप से करेंगी। इसके अलावा कुछ क्षेत्र विशेषज्ञ संगठनों (एरिया एक्सपर्ट) को भी इसमें शामिल किया जाएगा।
11.1.4. प्रत्याशी चयन परिषदों की इकाइयों में एरिया एक्सपर्ट की भर्ती संबंधित साधारण सभा के सदस्यों में
से की जाएगी। क्षेत्रीय विशेषज्ञ यानी एरिया एक्सपर्ट की न्यूनतम संख्या दो और अधिकतम संख्या 10 होगी।
11.1.5. प्रत्याशी चयन परिषद में सदस्यों की भर्ती करते समय यह बात ध्यान में रखना आवश्यक होगा कि भर्ती
किए जाने वाले व्यक्ति को संगठनिक समझ व अनुभव हो तथा समाज के मन के तात्कालिक रुझान की समझ हो।
11.1.6. प्रत्याशी चयन परिषद में एरिया एक्सपर्ट का चयन चुनाव के आधार पर होगा। इस निर्वाचन में संबंधित
साधारण सभा के सदस्य/गठबंधन के राजनीतिक सदस्य अपना नामांकन दाखिल करेंगे। निर्वाचन का कार्य संबंधित इकाई के निर्वाचन
प्राधिकरण द्वारा संपन्न कराया जाएगा।
11.1.7. यदि गठबंधन की किसी इकाई या स्तर पर प्रत्याशी चयन परिषद का गठन नहीं हुआ है या परिषद सक्रिय नहीं
है, तो ठीक उच्चस्थ प्रत्याशी चयन परिषद किसी तदर्थ कमेटी द्वारा कार्य संपादन सुनिश्चित करेगी।
11.2. प्रत्याशी चयन परिषद का संगठन और कार्यप्रणाली
11.2.1. परिषद की शाखाएं यथाशक्ति संगठन के प्रत्येक ऊर्ध्वाधर स्तर पर होंगी। इनको परिषद की ऊर्ध्वाधर
शाखाएं कहा जाएगा।
11.2.2. सभी प्रत्याशी चयन परिषदें अपने-अपने स्तर पर अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों के लिए होने वाले चुनावों में सर्वश्रेष्ठ
प्रत्याशियों का सुझाव परिषद की उच्चस्थ इकाई के सम्मुख प्रस्तुत करेगा। चुनाव जीतने के उद्देश्य से या गठबंधन को सही नीतिगत
दिशा में ले जाने और उसको अधिक शक्तिशाली बनाने के आधार पर उच्चस्थ समिति अधीनस्थ समिति के द्वारा सुझाई गयी प्रत्याशियों की
सूची स्वीकार कर सकती है या कुछ अन्य नामों की सिफारिश कर सकती है। इस प्रकार उच्चस्थ इकाई प्रत्याशियों के नामों की अंतिम
सूची तैयार करके चयन परिषद की केंद्रीय इकाई को प्रेषित करेगी। प्रत्याशियों के नामों का अंतिम रूप से चयन केंद्रीय चयन
परिषद स्वयं करेगी या अपने द्वारा अधिकृत किसी उप समिति या किसी समूह से करवाएगी।
11.2.3. प्रत्याशी चयन परिषद में प्रत्याशियों के नामों के चयन की प्रक्रिया लगातार चलती रहेगी। किसी निर्वाचन क्षेत्र के
लिए उपयुक्त नामों की सिफारिश और नामों को स्वीकार करने की प्रक्रिया अधिकतम 3 वर्ष पहले से शुरू हो सकेगी।
11.2.4. किसी निर्वाचन क्षेत्र या किसी विधायी परिक्षेत्र को यदि किसी निर्दलीय प्रत्याशी या किसी राजनीतिक दल के लिए
गठबंधन के नियमों के तहत आरक्षित किया गया है, तो इस प्रकार आरक्षित निर्दलीय का नाम या राजनीतिक पार्टी द्वारा अधिकृत
प्रत्याशी का नाम प्रत्याशी चयन परिषद की संबंधित इकाई उसी प्रकार भेजेगी, जैसे वह प्रत्याशी अपनी ही गठबंधन का प्रत्याशी
हो।
11.2.5. प्रत्याशियों के चयन की अधिक पारदर्शी और वस्तुनिष्ठ प्रक्रिया का सुझाव परिषद की सभी इकाइयां अपने से उच्चस्थ इकाई
को देती रहेंगी, जो केंद्रीय इकाई से मंजूर होने पर प्रभावी होगी।
अनुच्छेद 12
न्यायिक परिषद
गठबंधन की एक न्यायिक परिषद होगी। न्यायिक परिषद का काम होगा यह देखना कि क्या संबंधित स्तर की कार्यसमिति संविधान सम्मत
कार्य कर रही है या नहीं? संबंधित स्तर की साधारण सभा के विरुद्ध या किसी कमेटी के विरुद्ध या साधारण सभा या कार्यसमिति के
किसी सदस्य के विरुद्ध न्यायिक परिषद के सम्मुख प्रस्तुत की गई याचिकाओं का निस्तारण करना। न्यायिक परिषद की केंद्रीय इकाई
के कार्यकारी प्रमुख को न्यायिक परिषद का केंद्रीय अध्यक्ष कहा जाएगा।
12.1. न्यायिक परिषद के सदस्यों और अधिवक्ताओं के अधिकार और कर्तव्य।
12.1.1. केंद्रीय न्यायिक परिषद का अध्यक्ष केंद्रीय कार्यसमिति का सदस्य होगा। केंद्रीय न्यायिक परिषद के अध्यक्ष का कार्य
होगा – गठबंधन के संविधान की भावना के अनुरूप न्यायिक परिषद के संविधान को विकसित करना, न्यायिक परिषद की कार्य प्रणाली को
विकसित करना, न्यायिक परिषद से जुड़े अधिवक्ताओं को प्रशिक्षित करना और मान्यता देना, याचिकाओं का पंजीकरण करना, याचिकाओं की
ट्रायल प्रक्रिया विकसित करना और न्यायिक परिषद के आदेशों को लागू करने के तरीके विकसित करना आदि।
12.1.2. किसी स्तर की कार्यसमिति का अध्यक्ष किसी व्यक्ति को संबंधित इकाई की न्यायिक परिषद का अध्यक्ष
मनोनीत करेगा। किसी व्यक्ति को न्यायिक परिषद का अध्यक्ष मनोनीत होने के लिए आवश्यक होगा कि वह व्यक्ति गठबंधन के संविधान का
जानकार हो। साथ ही उसने गठबंधन संविधान के विविध प्रावधानों की सामाजिक उपयोगिता का अध्ययन भी किया हो।
12.1.3. गठबंधन की न्यायिक परिषदों में एक अध्यक्ष होगा और दो सदस्य होंगे। याचिकाओं के मामलों पर या तो तीनों द्वारा बहुमत
के आधार पर फैसला लिया जाएगा या 2 सदस्यों द्वारा फैसला लेने के लिए अधिकृत होने पर परिषद का अध्यक्ष स्वयं अपनी चेतना से
फैसला लेगा। न्यायिक परिषद को अपना फैसला 6 महीने या इससे कम अवधि में देना होगा। परिषद सुनवाई के लिए केवल 2 तारीखें दे
सकती है। फैसले के विरुद्ध परिषद की उच्चस्थ इकाई से अपील की जा सकेगी। दूसरी अपील अपीलीय न्यायिक परिषद की राष्ट्रीय परिषद
में की जा सकेगी, जिसका फैसला अंतिम होगा।
12.1.4. न्यायिक परिषद द्वारा दिया गया फैसला केवल शिक्षण प्रशिक्षण के उद्देश्य से अधिवक्ता परिषद में आलोचना का विषय बन
सकता है। किंतु यदि अधिवक्ता परिषद फैसले को दो तिहाई बहुमत से बदल देती है, तब न्यायिक परिषद द्वारा दिया गया फैसला संशोधित
माना जाएगा।
12.1.5. अधिवक्ता परिषद में उतने ही सदस्य होंगे, जितने सदस्य संबंधित साधारण सभा में होंगे। अधिवक्ता
परिषद की सदस्यता की मंजूरी संबंधित स्तर की कार्यसमिति का अध्यक्ष देगा। अधिवक्ता परिषद के सदस्यों की मान्यता उनकी योग्यता
सूची के आधार पर दी जाएगी। जो व्यक्ति परिषद की जितनी अधिक याचिकाओं में अधिकृत किया गया होगा, वह मेरिट सूची में उतना ही
ऊपर माना जाएगा। अधिवक्ता परिषद के सदस्य का कार्यकाल 4 वर्ष होगा।
12.1.6. अधिवक्ता परिषदों का मुख्य कार्य होगा-गठबंधन के संविधान संशोधन प्रस्ताव तैयार करना, न्यायिक परिषद द्वारा याचिका
पर दिए गए फैसलों की आलोचना निजी स्तर पर और परिषद के स्तर पर करना, संबंधित साधारण सभा की अपेक्षाओं के अनुरूप कार्यसमिति
को न्यायिक परिषद के माध्यम से सलाह देना; न्यायिक परिषद में भर्ती होने के लिए आवेदक बनना; कार्यसमिति, विकासक और विधायक
साधारण सभा और साधारण सभा द्वारा विशेष कार्य के लिए नियुक्त किए जाने पर सेवा शुल्क के बदले सेवाएँ देना और साधारण सभा
द्वारा पारित विधेयकों की आलोचना निजी स्तर पर या अधिवक्ता परिषद के स्तर पर करना।
12.2. न्यायिक परिषद के कानूनी कार्य के विशेषज्ञ
12.2.1. पार्टी को गठबंधन द्वारा संचालित या अधिकृत कुछ विश्वविद्यालय या संस्थान होंगे, जो गठबंधन के सिद्धांतों, नीतियों
और नियमों का विधिवत शिक्षण प्रशिक्षण का कार्य करेंगे। इन विश्वविद्यालयों से प्रमाणपत्र प्राप्त और संबंधित ऊर्ध्वाधर
कार्यसमिति से मान्यता प्राप्त विधि विशेषज्ञ संबंधित न्यायिक परिषद में व्यावसायिक अधिवक्ता के रूप में कार्य करेंगे।
12.2.2. याचिकाकर्ताओं को यह अधिकार होगा कि वह केवल उन्हें विधि विशेषज्ञों को याचिका पर निर्णय देने के लिए अधिकृत करें,
जो स्वभाव से ही न्यायप्रिय हो, निर्णय शीघ्रातिशीघ्र देते हो और न्यूनतम व्यय में देने में सक्षम हो।
12.2.3. सभी मान्यता प्राप्त कानूनी विशेषज्ञों/मजिस्ट्रेट से अपेक्षा होगी कि वे याचिकाओं पर न्याय देने की प्रक्रिया इतनी
कम खर्चीली रखें, जिससे कि साधारण जीवन यापन करने वाले लोग भी याचिका दायर करने का साहस जुटा पाएं और उस की अदालत में अधिकतम
याचिकाएं दाखिल हो सकें। सभी कानूनी विशेषज्ञों के लिए अनिवार्य होगा कि वे न्यायिक फैसलों में फैसले की राशि का भी उल्लेख
करें तथा उस राशि का 10% संबंधित स्तर की कार्यसमिति के कोष में जमा कराएं। यह राशि जमा करने में विफल कानूनी विशेषज्ञों की
और, जो निजी स्वार्थ में या पक्षपात के आधार पर याचिका पर निर्णय देंगे, उनकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी।
12.2.4. देश, वतन, प्रराष्ट्र या राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त कानूनी विशेषज्ञ अपनी सेवाओं के बदले वादी या प्रतिवादी
से कोई फीस नहीं लेंगे। इन स्तरों की कार्यसमितियां कानूनी विशेषज्ञों/मजिस्ट्रेट को मानदेय देने का प्रबंध करेंगे।
12.3. न्यायिक परिषद के आदेशों का कार्यान्वयन
12.3.1. कानूनी विशेषज्ञ याचिकाओं पर दिए गए अपने आदेशों को कार्यान्वित करने के लिए उच्चस्थ न्यायिक परिषद को प्रेषित कर
देंगे। उच्चस्थ न्यायिक परिषद संबंधित स्तर की कार्यसमिति के आदेश को कार्यान्वित करेगी।
12.3.2. कोई निर्णय प्राप्त होने के बाद संबंधित न्यायिक परिषद अपने अधीनस्थ कार्यसमिति के आदेश को 15 दिन के अंदर लागू
करने का आदेश जारी करेगी।
12.4. न्यायिक परिषद के विषय में विशेष उपबंध
12.4.1. जब तक गठबंधन द्वारा संचालित या अधिकृत विश्वविद्यालयों या संस्थानों द्वारा प्रशिक्षित विशेषज्ञ
अस्तित्व में नहीं आते, तब तक ऊर्ध्वाधर कमेटियों के प्रथम उपाध्यक्ष कानूनी विशेषज्ञों/मजिस्ट्रेट के कार्यों को संपादित
करेंगे।
12.4.2. किसी कार्यसमिति के अध्यक्ष के विरुद्ध न्यायिक परिषद के फैसलों को लागू करने के लिए आवश्यक होगा
कि प्रथम व द्वितीय उपाध्यक्ष और महासचिव भी न्यायिक परिषद के फैसले से सहमत हों। आरोपी को केवल एक अपील का अधिकार होगा।
अनुच्छेद 13
लोक सेवा भर्ती परिषद
गठबंधन के उन कर्मचारियों के पदों पर, जहां चुनाव आवश्यक नहीं है, योग्य व्यक्तियों की भर्ती के लिए विविध स्तरों पर लोक
सेवा चयन परिषद होगी। इसको संक्षेप में ‘पीएमआरसी’ कहा जाएगा। इस परिषद का कार्यकारी प्रमुख परिषद का महानिदेशक कहा
जाएगा। केंद्रीय कार्यसमिति का एक सदस्य इस परिषद का पदेन महानिदेशक होगा।
13.1. लोक सेवा भर्ती परिषद का गठन
13.1.1. लोक सेवा भर्ती परिषद के संबंधित ऊर्ध्वाधर के कार्यकारी प्रमुख को संक्षेप में भर्ती निदेशक कहा जाएगा।
13.1.2. केंद्रीय कार्यसमिति किसी ऐसे व्यक्ति को राष्ट्रीय/राष्ट्रीय मामलों की भारतीय इकाई की भर्ती
परिषद का महानिदेशक मनोनीत करेगी, जिसको गठबंधन के संविधान, मिशन, दर्शन का ज्ञान और संगठन के विज्ञान का नैतिक तथा
व्यावहारिक अनुभव हो।
13.1.3. भर्ती परिषद की राष्ट्रीय/राष्ट्रीय मामलों की भारतीय समिति का निदेशक दो प्रराष्ट्रीय इकाईयों के
निदेशकों का मनोनयन अपनी कार्यसमिति के प्रथम उपाध्यक्ष की सलाह पर करेगा।
13.1.4. राष्ट्रीय भर्ती निदेशक वतन स्तर के भर्ती निदेशकों का मनोनयन प्रराष्ट्रीय स्तर की कार्यसमिति के
प्रथम उपाध्यक्ष की सलाह पर करेगा।
13.1.5. राष्ट्रीय/राष्ट्रीय मामलों की भारतीय इकाई का भर्ती निदेशक वतनी मामलों की भारतीय इकाई की
कार्यसमिति के प्रथम उपाध्यक्ष की सलाह पर अखिल भारतीय इकाई के भर्ती परिषद के निदेशक का मनोनयन करेगा।
13.1.6. अखिल भारतीय इकाई का भर्ती निदेशक अखिल भारतीय कार्यसमिति के प्रथम उपाध्यक्ष की सलाह पर प्रदेशों
के भर्ती निदेशकों का मनोनयन करेगा।
13.1.7. कोष या योग्य व्यक्तियों के अभाव में जिन स्तरों पर भर्ती निदेशकों का मनोनयन नहीं हुआ होगा,
केंद्रीय इकाई का भर्ती महानिदेशक गठबंधन को ऊर्ध्वाधर उन सभी स्तरों पर भर्ती निदेशकों का मनोनयन कर सकता है। यह अधिकार
केंद्रीय कार्यसमिति को अन्य सभी अंगों व इकाइयों के मामले में भी प्राप्त होगा।
13.2. लोक सेवा चयन परिषद के कार्य
13.2.1. भर्ती परिषद यह सुनिश्चित करेगा कि गठबंधन संविधान की भावना के अनुरूप जिस स्तर के जिस अंग में
जिस योग्यता और सज्जनता के व्यक्तियों की भर्ती होनी चाहिए, वैसे ही व्यक्तियों की भर्ती हो।
13.2.2. केंद्रीय भर्ती परिषद अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अपनी कार्यप्रणाली का उचित प्रस्ताव तैयार
करेगी, जो साधारण सभा की मंजूरी के बाद कार्यान्वित होगा।
13.2.3. गठबंधन के पदाधिकारियों की सिफारिश पर संगठन के किसी अंग में, किसी पद पर, किसी व्यक्ति की भर्ती हो सकती है किंतु
इस तरह की भर्ती तब तक अंतरिम होगी जब तक उसे संबंधित भर्ती परिषद की मंजूरी नहीं मिल जाती।
13.2.4. अपने कार्यों को संपादित करने के लिए भर्ती परिषद तकनीकी विशेषज्ञों, तकनीकी संगठनों, न्यासों,
फर्मों व कंपनियों का सहयोग ले सकती है या अपने कार्यों को संपादित करने के लिए कुछ तकनीकी व्यक्तियों और संस्थानों को
अधिकृत कर सकती है।
13.2.5. केंद्रीय कमेटी यह सुनिश्चित करेगी की भर्ती परिषद स्वायत्त संस्थान के रूप में कार्य करें।
13.2.6. भर्ती परिषद की शाखाएं ब्लॉक स्तर से विश्व स्तर की इकाइयों में खोली जाएंगी। संगठन के जिस स्तर
पर भी कोई कार्यसमिति कार्यरत है, हर उस स्तर पर भर्ती परिषद की एक शाखा खोली जाएगी।
13.2.7. भर्ती परिषद के पास विधिवत नियमों के तहत स्थापित समुचित कार्यालय होगा, जिसके लिए यथा संभव
वित्तीय प्रबंध भर्ती परिषद स्वयं करेगी। उच्चस्थ भर्ती परिषदें यह प्रयास करेंगी कि उनकी निम्नस्थ भर्ती परिषदें वित्तीय
संकट का सामना न करने पाएं।
13.2.8. जिन पदों पर भर्ती के लिए भर्ती परिषद विस्तृत प्रस्ताव तैयार करेंगी और संबंधित साधारण सभा से मंजूरी लेकर उनको
कार्यान्वित किया जाएगा, ऐसे पदों की सूची निम्न वत है-
- शून्य सदस्य/सदस्य संगठन
- प्राथमिक सदस्य/सदस्य संगठन
- सक्रिय सदस्य संगठन
- वोटर काउंसिलर संगठन
- साधारण सभा के सदस्य संगठन
- कार्यसमितियों के सदस्य संगठन
- अध्यक्ष
- प्रथम उपाध्यक्ष
- द्वितीय उपाध्यक्ष
- प्रथम उपाध्यक्ष के सहायक उपाध्यक्ष
- द्वितीय उपाध्यक्ष के सहायक उपाध्यक्ष
- महासचिव
- सचिव
- अधिवक्ता
- गठबंधन प्रवक्ता
- अधिकारी
- कर्मचारी
- सुरक्षा महानिदेशक
- भर्ती निदेशक
- चुनाव प्रत्याशी चयन परिषद के अध्यक्ष
- कोषाध्यक्ष
13.2.9. केंद्रीय कार्यसमिति को यह अधिकार होगा कि वह संगठन के किसी भी अंग या इकाई में या कार्यसमिति में नए पदों का सृजन
कर दे या वर्तमान कुछ पदों/पद को समाप्त कर दे।
13.2.10. केंद्रीय भर्ती परिषद को यह अधिकार होगा कि वह किसी भी स्तर पर संगठन में नए अंग, नई इकाई या नए उपांगों का सृजन
करने का प्रस्ताव बनाएं और उसे केंद्रीय साधारण सभा द्वारा मंजूर कराए। इसके विपरीत संगठन में मौजूद किसी भी स्तर पर किसी
अंग, इकाई या उपांग को भंग या निरस्त करने का प्रस्ताव बनाने, उसे केंद्रीय साधारण सभा द्वारा मंजूर करवा कर भंग करने का
अधिकार भी केंद्रीय भर्ती परिषद को प्राप्त होगा।
13.2.11. केंद्रीय भर्ती परिषद नए संगठनों, न्यासों, फर्म, कंपनियों को संचालित करने, संबद्ध करने या
अधिकृत करने संबंधी विस्तृत प्रक्रिया विकसित करके केंद्रीय साधारण सभा में मंजूर करवाएगी और लागू करेगी।
13.2.12. किसी भी स्तर की भर्ती परिषद को यह अधिकार होगा कि वह किसी भी संगठन, न्यास, फर्म या कंपनी से
संबद्ध होने या अधिकृत होने के लिए प्रपट आवेदन पर नियमानुसार विचार करें। परिषद का आवेदन प्राप्तकर्ता इकाई आवेदन को मंजूरी
के लिए या मंजूरी के लिए अधिकृत उपयुक्त स्तर की शाखा में प्रेषित करने के लिए अपने उच्चस्थ शाखा को भेज देगा।
अनुच्छेद – 14
समन्वय परिषदें
सभी कार्यसमितियों के प्रथम और द्वितीय उपाध्यक्षों और संगठन की विविध ऊर्ध्वाधर तथा क्षैतिज इकाइयों के बीच समन्वय स्थापित
करने के लिए गठबंधन की समन्वय परिषद होगी। समन्वय परिषद के 2 वर्ग होंगे। एक को ‘ऊर्ध्वाधर समन्वय परिषद’ (वीसीसी) कहा जाएगा
और दूसरे को ‘क्षैतिज समन्वय परिषद’ (एचसीसी) कहा जाएगा। वीसीसी के कार्यकारी प्रमुख को वर्टिकल फिलामेंट कोऑर्डिनेटर और
एचसीसी के कार्यकारी प्रमुख को होरिजेंटल फिलामेंट कोऑर्डिनेटर कहा जाएगा। गठबंधन दो परस्पर विरोधी प्रतिनिधि या राजनीतिक
विचारधाराओं में, दो परस्पर विरोधी संप्रदायों में तथा दो परस्पर संघर्षरत समुदायों में इन्हीं परिषदों के माध्यम से समन्वय
स्थापित करेगी। गठबंधन विश्व में दो या अधिक परस्पर संघर्षरत समुदायों में समन्वय स्थापित करने के लिए समय-समय पर द्विपक्षीय
या बहुपक्षीय समझौतों, संधियों, संविदाओं को इन्हीं समन्वय परिषदों द्वारा विकसित करेगी और उन पर संबंधित पक्षों से मंजूरी
प्राप्त करेगी।
14.1. ऊर्ध्वाधर समन्वय परिषदें (Verical Coordination Council)
14.1.1. ऊर्ध्वाधर समन्वय के लिए और संगठन की ऊर्ध्वाधर इकाइयों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए संगठन
की कुछ समन्वय परिषदों का गठन किया जाएगा, जिनको ऊर्ध्वाधर समन्वय परिषद कहा जाएगा।
14.1.2. प्रदेश और देश स्तर की संगठन की इकाइयों के बीच काम करने वाले समन्वय परिषदों के प्रमुखों को चतुर्थ मंजिलेंदार
फिलामेंट कोऑर्डिनेटर कहा जाएगा। देश और वतन की इकाई के बीच काम करने वाली समन्वय परिषदों के प्रमुखों को तृतीय मंजिलेंदार
या वर्टिकल फिलामेंट कोऑर्डिनेटर कहा जाएगा। वतन और प्रराष्ट्रीय मामलों की इकाइयों के बीच काम करने वाली समन्वय परिषदों के
प्रमुखों को द्वितीय वर्टिकल फिलामेंट कोऑर्डिनेटर्स कहा जाएगा। प्रराष्ट्रीय और राष्ट्रीय मामलों की इकाइयों के बीच काम
करने वाली दोनों समन्वय परिषदों को प्रथम वर्टिकल फिलामेंट कोऑर्डिनेटर कहा जाएगा।
14.2. क्षैतिज समन्वय परिषद ( Horizontal Coordination Council)
14.2.1. संगठन के दो अगल बगल यानी क्षैतिज इकाइयों और कार्यसमितियों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए गठित की जाने वाली
समन्वय परिषदों को होरिजेंटल कोऑर्डिनेशन काउंसिल या क्षैतिज समन्वय परिषद कहा जाएगा।
14.2.2. दो प्रादेशिक इकाइयों के बीच काम करने वाली समन्वय परिषद के प्रमुखों को प्रादेशिक फिलामेंट कोऑर्डिनेटर कहा जाएगा।
दो वतन स्तरीय इकाईयों के बीच काम करने वाली समन्वय परिषद के प्रमुखों को होमलैंड फिलामेंट कोऑर्डिनेटर या वतनी फिलामेंट
समन्वयक कहा जाएगा। पूर्व और पश्चिम इन दोनों प्रराष्ट्रीय इकाइयों के बीच काम करने वाली एकमात्र समन्वय परिषद के प्रमुख को
प्रराष्ट्रीय फिलामेंट समन्वयक या हेमीनेशन फिलामेंट कोऑर्डिनेटर कहा जाएगा। राष्ट्रीय और केंद्रीय इकाइयों के बीच काम करने
वाले एकमात्र समन्वय परिषद के प्रमुख को राष्ट्रीय फिलामेंट समन्वयक या नेशनल फिलामेंट कोऑर्डिनेटर कहा जाएगा।
14.3. समन्वयक परिषद का गठन
14.3.1. गठबंधन के विधिवत अस्तित्व में आने के बाद समन्वय परिषद की कार्यप्रणाली और परिषद की नियमावली को
केंद्रीय समिति गठबंधन के संविधान की भावना के अनुरूप निर्मित करेगी। नियमों के निर्माण के समय इस बात पर ध्यान दिया जाएगा
कि गठबंधन की विविध क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर इकाइयों के बीच मौजूद परस्पर संघर्षों का समन्वय और समापन हिंसक साधनों की बजाय
अहिंसक और शांतिपूर्ण ढंग से संभव हो।
14.3.2. समन्वय परिषदों का प्रमुख बनने के लिए यह आवश्यक होगा कि आवेदक अभिव्यक्ति और उसकी लिखित
प्रस्तुति में असाधारण क्षमता का व्यक्ति हो। आवेदक को अपेक्षित कार्य और उसके संबंध में अपनी योग्यता का विस्तृत ब्यौरा
देना होगा। आवेदक/सदस्य संगठन को यह बताना होगा कि किन दो संघर्षरत समुदायों की मानसिकता उसके अध्ययन और अनुभव के विषय हैं,
संघर्षरत समुदायों के बीच संघर्ष के मुख्य बिंदु क्या हैं, संघर्षरत समुदायों के बीच हिंसक संघर्ष को रोकने की कौन सी रणनीति
कारगर होगी?
14.3.3. संगठन की दो क्षैतिज इकाइयों के बीच समन्वय का कार्य करने के लिए क्षैतिज समन्वयकों या हॉरिजॉन्टल
कोऑर्डिनेटर की नियुक्ति या तो केंद्रीय कमेटी करेगी या समानांतर इकाइयों की द्विपक्षीय बहुपक्षीय सलाह पर केंद्रीय कमेटी
द्वारा अधिकृत संगठन का कोई निकाय करेगा।
14.3.4. गठबंधन द्वारा अधिकृत संस्थान के द्वारा योग्यता प्रमाणित करने के लिए जारी प्रमाण पत्र का, जो व्यक्ति धारक नहीं
होगा, उसे भी समन्वय परिषद के प्रमुख के रूप में नियुक्ति/मनोनयन पाने का अधिकार नहीं होगा।
14.4. समन्वय परिषद के समन्वयकों के अधिकार और कर्तव्य
14.4.1. कोई भी कार्यसमिति व इकाई अपनी पड़ोसी इकाई से संपर्क केवल मध्यस्थ समन्वय परिषदों के माध्यम से ही करेगी।
14.4.2. प्रादेशिक इकाइयों के बीच द्विपक्षीय व बहुपक्षीय संवाद का काम करने वाली क्षैतिज समन्वय परिषदें
प्रादेशिक और देशिक इकाई के बीच कार्यरत ऊर्ध्वाधर परिषद के अधीन कार्य करेंगी। देशिक इकाइयों के बीच द्विपक्षीय और
बहुपक्षीय संवाद का काम करने वाली सभी क्षेत्र समन्वय परिषदें देशों और वतन की इकाईयों के बीच कार्यरत ऊर्ध्वाधर समन्वय
परिषद के अधीन कार्य करेगी। वतन की इकाइयों के बीच द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संवाद का काम करने वाली सभी समन्वय परिषदें वतन
और राष्ट्र के बीच कार्यरत ऊर्ध्वाधर समन्वय परिषद के अधीन काम करेंगी।
अनुच्छेद 15
गठबंधन कोष
गठबंधन के आय-व्यय का ठीक-ठीक हिसाब रखने के लिए संगठन को मिले नकद, गैर-नकद अनुदान और कर्ज के बदले जारी प्रमाण पत्रों का
रिकॉर्ड रखने के लिए संगठन के एक निकाय का गठन करेगी, जिसे गठबंधन कोष कहा जाएगा।
15.1. गठबंधन कोष का गठन
15.1.1. कोष के कार्यकारी प्रमुख को महाप्रबंधक और कोष की शाखाओं के प्रमुखों को प्रबंधक कहा जाएगा।
15.1.2. जिस व्यक्ति को चंदा संग्रह, बैंकिंग, एकाउंटिंग और लेखा परीक्षाओं का सैद्धांतिक और व्यावहारिक अनुभव होगा, उसे
केंद्रीय कमेटी कोष की राष्ट्रीय मामलों की इकाई का महाप्रबंधक नियुक्त करेगी।
15.1.3. केंद्रीय कमेटी को या इसके द्वारा अधिकृत किसी अन्य इकाई को संगठन के कोष में संगठन के सभी पदाधिकारियों का खाता
खोलने की अनिवार्यता संबंधी नियमावली बनाने का अधिकार होगा।
15.2. गठबंधन कोष के कार्य
15.2.1. कोष संगठन के सदस्यों के बीच घरेलू विनिमय का माध्यम विकसित करेगा। इस विनिमय माध्यम से गठबंधन अपने ऊपर मौजूद
सशर्त वापसी वाले कार्यो का भुगतान करेगी। इसी विनिमय माध्यम से गठबंधन उन पदाधिकारियों, सदस्यों और कर्मचारियों को भुगतान
करेगी, जिनकी भर्ती काम के बदले सशर्त वेतन देने की शर्तों पर की गई होगी।
15.2.2. गठबंधन समाज के उन आर्थिक वर्ग के न्यायिक हितों को पूरा करने के लिए जरूरी धन का प्रबंध करेगा, जिस वर्ग के पास
अपने राजनीतिक हितों के लिए नियमित चंदा देने की क्षमता नहीं होती। गठबंधन चंदा या कर्ज देने वालों को उनके द्वारा गठबंधन को
दिए गए चंदे या कर्ज के बदले विनिमय माध्यम की एक तकनीक(डिवाइस) देगा।
15.2.3. देश/वतनी/प्रराष्ट्रीय या राष्ट्रीय मामलों की इकाइयों के स्तर पर काम करने वाले किसी भी न्यास, फोरम, गैर सरकारी
संगठन, परा-राजनीतिक संगठन, मोर्चा या परिसंघ द्वारा विकसित किसी विनिमय माध्यम को मान्यता देगा, जिससे गठबंधन के बाहर
गठबंधन से मिलते-जुलते उद्देश्यों पर काम करने वाले अधिकांश लोगों की सामूहिक शक्ति बन सके।
15.2.4. गठबंधन अपने संगठन द्वारा विकसित किए गए या गठबंधन द्वारा विकसित पार्टी द्वारा मान्य घरेलू
विनिमय माध्यम की सुलभता के लिए कोष की शाखाएं ब्लॉक से लेकर राष्ट्रीय मामलों की इकाई के स्तर तक खोलेगा। यह शाखाएं कोष की
शाखाएं कही जाएंगी।
15.2.5. गठबंधन पूरी शिद्दत से इस बात के लिए प्रयास करेगा कि गठबंधन को वित्तीय योगदान करने वालों को साधारण वित्त दाताओं
को मिलने वाले ब्याज की तुलना में कम से कम 2 गुना दर से सरकार धनराशि वापस करे। गठबंधन द्वारा विकसित विनिमय माध्यम द्वारा
पूरी पारदर्शिता के साथ उक्त वचन वित्त दाताओं को दिया जाएगा, जिससे कि गठबंधन का उद्देश्य पूरा होने से जिस वर्ग या जिन
लोगों के आर्थिक हितों की पूर्ति होगी, उन उद्देश्यों की पूर्ति करने में आने वाले खर्च का बोझ उन्हीं लोगों पर पड़े।
15.2.6. आय और व्यय का विधिवत और सरल तरीके से ब्यौरा रखना संभव बनाने के लिए गठबंधन अपनी आर्थिक गतिविधियां इस तरीके से
संचालित करेगा, जिससे कि वित्तीय लेनदेन यथाशक्य संगठन के कोष की शाखाओं के बीच ही हो। राजनीति के क्षेत्र में पारदर्शी
लेनदेन की व्यवस्था विकसित करने के उद्देश्य से गठबंधन का प्रयास होगा कि गठबंधन कोष से निकाली गई रकम और गठबंधन के लिए खर्च
की गई रकम की रसीद कोष की शाखाओं द्वारा ही जारी की जाए।
15.2.7. कोष अपनी कार्यप्रणाली को उपयोगी पद्धति से चलाने के प्रस्ताव तैयार कर के साधारण सभा की मंजूरी लेगा और उसे लागू
करेगा।
15.2.8. अपने कुछ विशेष कार्यों को संपादित करने के लिए कोष कुछ व्यक्तियों, संगठनों, न्यासों, फर्मों या
कंपनियों की मदद लेगा।
15.2.9. केंद्रीय कमेटी यह सुनिश्चित करेगी कि कोष यथाशक्य एक स्वायत्त संगठन की तरह कार्य करे।
15.2.10. संगठन की कोई भी शाखा जहां खोली जाएगी, कोष की शाखा वहां अनिवार्य रूप से खोली जाएगी।
15.2.11. कोष के प्रवेधको के पास समुचित कार्यालय होगा जिसके लिए वित्त का प्रवेध उच्चस्थ इकाई करेगी। यह
प्रयास किया जाएगा कि कोष को अपना कार्यालय चलाने में धन के अभाव का सामना न करना पड़े।
15.2.12. गठबंधन अपने कोष का उपयोग अपनी गतिविधियों के लिए ही करेगा और प्रत्येक वित्तीय वर्ष में अपने आय
और व्यय के खातों का लेखा परीक्षा किसी सक्षम लेखा परीक्षक से करवाएगा। इस लेखा परीक्षा की एक प्रति भारत सरकार के आयकर
विभाग को वित्तीय वर्ष के अंत में प्रस्तुत किया जाएगा।
अनुच्छेद 16
सुरक्षा परिषद
गठबंधन के सदस्यों व पदाधिकारियों के जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति की सुरक्षा के लिए गठबंधन का एक अंग होगा। इस अंग को
सुरक्षा परिषद कहा जाएगा। सुरक्षा परिषद के कार्यकारी प्रमुख को महानिदेशक कहा जाएगा।
16.1. सुरक्षा परिषद का गठन
16.1.1. साधारण सभा के सदस्यों में से केंद्रीय कमेटी किसी ऐसे व्यक्ति को केंद्रीय कमेटी में सुरक्षा
परिषद में महानिदेशक के रूप में मनोनीत करेगी, जिसको सुरक्षा संगठनों के संगठनात्मक ढांचे की जानकारी हो, खुफिया सूचनाओं,
आंतरिक और बाह्य सुरक्षा के विषय में सैद्धांतिक और व्यवहारिक ज्ञान और अनुभव हो।
16.1.2. केंद्रीय कमेटी का प्रथम उपाध्यक्ष राष्ट्रीय मामलों की कमेटी के प्रथम उपाध्यक्ष की सलाह पर राष्ट्रीय मामलों के
स्तर की कमेटी के सुरक्षा परिषद के निदेशक की नियुक्ति करेगा।
16.1.3. सभी ऊर्ध्वाधर स्तरों पर सुरक्षा परिषद के निदेशकों की नियुक्ति संबंधित स्तर के प्रथम उपाध्यक्ष की सलाह पर
उच्चस्थ कार्यसमिति के प्रथम उपाध्यक्ष द्वारा की जाएगी।
16.2. सुरक्षा परिषद के कार्य।
16.2.1. सुरक्षा परिषद अपनी शाखाओं को संगठन के सभी स्तरों पर खुलेगी, जिससे अपनी जिम्मेदारियों को निभा सके।
16.2.2. सुरक्षा परिषद निजी सुरक्षा गार्डों का एक व्यवस्थित संगठन बनाएगी और निजी सुरक्षा गार्ड की सेवाएं संचालित करने
वाली अन्य एजेंसियों संगठनों और कंपनियों के संपर्क में रहेगी।
16.2.3. सुरक्षा परिषद अपनी कार्यपद्धति इस प्रकार से बनाएगी, जिसमें, जो सुरक्षाकर्मी परिषद में काम करें वे राष्ट्रीय
भावना और बहादुरी से ओतप्रोत हों।
16.2.4. न्यायिक विशेषज्ञ के न्यायिक फैसले संबंधित पक्षों तक संबंधित स्थलों की सुरक्षा परिषद के माध्यम से ही पहुंचाए
जाएंगे।
16.2.5. सुरक्षा परिषद अपराधों को रोकने और संगठनों के सदस्यों और पदाधिकारियों की सुरक्षा के लिए स्थानीय शासन-प्रशासन और
पुलिस के साथ सूचनाओं का आदान-प्रदान करेगी व समन्वय स्थापित करेगी।
अनुच्छेद 17
जन संचार परिषद
गठबंधन की नीतियों, नियमों, कार्यक्रमों, उद्देश्यों, निर्णयों आदि को समुचित तरीके से उचित शब्दों में जनता तक
प्रचारित-प्रसारित करने के लिए एक संगठन की इकाई होगी, जिसे जन संचार परिषद कहा जाएगा। इस परिषद के कार्यकारी प्रमुख को
प्रवक्ता कहा जाएगा। केंद्रीय कार्यसमिति का एक सदस्य जन संचार परिषद का पदेन प्रवक्ता होगा।
17.1. जन संचार परिषद का गठन
17.1.1. केंद्रीय कमेटी राष्ट्रीय मामलों की इकाई के प्रवक्ता के पद पर किसी ऐसे व्यक्ति को नियुक्त करेगी, जिसको गठबंधन के
संविधान, नीतियों और दर्शन की अच्छी जानकारी होगी। उसके पास प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया में काम करने
का अनुभव होना चाहिए। उसको सूचना तकनीक की सैद्धांतिक और व्यवहारिक ज्ञान और अनुभव होना चाहिए। उसे अपनी बातों को तर्कपूर्ण
तरीके से संक्षेप में कहने की कला आनी चाहिए।
17.1.2. सभी ऊर्ध्वाधर स्तरों के जनसंचार परिषदों के प्रवक्ताओं का मनोनयन संबंधित स्तर की कार्यसमिति के प्रथम उपाध्यक्ष
की सलाह पर उच्चस्थ कार्यसमिति का प्रवक्ता करेगा।
17.2. जन संचार परिषद के कार्य।
17.2.1. जन संचार परिषद अपने कार्यों को संपादित करने के लिए संचार के आधुनिक साधनों जैसे मल्टीमीडिया, प्रिंट मीडिया,
ऑडियो-वीडियो मीडिया, सोशल मीडिया आदि का प्रयोग करेगी। अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए जन संचार परिषद कुछ समाचार
पत्रों पत्रिकाओं का प्रकाशन करेगी, रेडियो स्टेशन चलाएगी, टीवी चैनल चलाएगी और कुछ मीडिया संस्थानों के साथ सहयोग करेगी और
कुछ मीडिया संस्थानों को कुछ विशेष कार्य करने के लिए अधिकृत करेगी।
17.2.2. जिन मीडिया संस्थानों के स्वामी, जो पत्रकार, स्तंभकार समाज में संपूर्ण विश्व के समस्त लोगों के लिए उपयोगी
विचारधारा और सोच विकसित करने के कार्य में लगे हैं, उनके साथ परिषद सहयोग का हाथ बढ़ाएगा।
17.2.3. जन संचार परिषद का यह भी कार्य है कि वह आम जनभावनाओं को गठबंधन के पदाधिकारियों व कमेटियों तक पहुंचाएं और
कार्यसमितियों के फैसलों को उस स्तर तक प्रभावित करें जिस स्तर तक अनुशासन का उल्लंघन न होता हो और गठबंधन का संविधान अनुमति
देता हो।
17.2.4. गठबंधन की भावनाओं के अनुरूप संगठन के किसी स्तर की संबंधित इकाई की अपेक्षाओं के अनुरूप संगठन की कार्यसमितियों के
कार्यों की संतुलित आलोचना करने का अधिकार होगा।
17.2.5. जनसंचार माध्यम को आत्मनिर्भर व स्वायत्त बनाने के लिए सदस्यगण परिषद द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का क्रय और
उपयोग करेंगे। संबंधित स्तर की कार्यसमिति का यह प्रयास होगा कि परिषद को अपना कार्य संपादित करने में संसाधनों का अभाव न
पड़ने पाए।
17.2.6. जन संचार परिषद की ऊर्ध्वाधर इकाइयां ब्लॉक स्तर से शुरू होकर केंद्रीय स्तर तक होंगी।
अध्याय 12
अनुच्छेद 18
गठबंधन के उपांग
गठबंधन के कुछ निकाय होंगे, जो इस उद्देश्य से काम करेंगे कि समाज में तात्कालिक तौर पर पैदा हुई समस्याओं को रोका जा सके
तथा लंबे समय से मौजूद राजनीतिक आर्थिक समस्याओं को कम किया जा सके और अंततः समाप्त किया जा सके। ये निकाय इस उद्देश्य से भी
कार्य करेंगे कि समाज के विभिन्न समुदायों के न्यायिक हितों की सुरक्षा हो सके और प्रतिनिधि विचारधाराओं के आधार पर समाज में
मौजूद विभिन्न समुदायों का सशक्तिकरण हो सके। इन निकायों को गठबंधन का उपांग कहा जाएगा। केंद्रीय कार्यसमिति को यह अधिकार
होगा कि इन निकायों और गठबंधन के विविध ऊर्ध्वाधर स्तरों की इकाइयों के बीच संबंधों को परिभाषित तथा विनियमित करने वाले नियम
व पद्धति विकसित करें। गठबंधन संगठन में कार्यकारी और विधाई कार्यों में प्रकोष्ठों और मोर्चों यानी उपांगों की भागीदारी के
लिए नियम बनाएगा।
18.1. गठबंधन प्रकोष्ठ , मोर्चा और ऑपरेशन
18.1.1. लंबे समय से मौजूद समस्याओं को रोकने, कम करने और समाप्त करने के उद्देश्य से गठबंधन के कुछ उपांग
निकाय होंगे, जो सभी कार्यसमितियों के साथ कार्य करेंगे, उनको गठबंधन का प्रकोष्ठ कहा जाएगा। इन प्रकोष्ठों का नाम संबंधित
समस्या को प्रकोष्ठ शब्द के साथ जोड़ कर रखा जाएगा। जैसे विषमता नियंत्रण प्रकोष्ठ, पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्रकोष्ठ,
सदस्यता प्रकोष्ठ इत्यादि। प्रकोष्ठ गठबंधन के द्वारा संचालित इकाइयां होंगे, जो समाज की स्थाई समस्याओं के समाधान के लिए और
गठबन्धन की गतिधियों को आगे बढ़ाने के लिए काम करेंगे।
18.1.2. समाज के विभिन्न घटकों के न्यायिक हितों की सुरक्षा व अभिवृद्धि के लिए संगठित संघर्ष करने के लिए
गठबंधन के कुछ मोर्चे होंगे। इनको गठबंधन का मोर्चा कहा जाएगा। संबंधित सामाजिक घटक के विशेषण को मोर्चे के नाम में जोड़कर
मोर्चे का नामकरण किया जाएगा। मोर्चा के संगठन गठबंधन के समानांतर होंगे, जो गठबंधन द्वारा ही बनाए जाएंगे।
18.1.3. गठबंधन की कुछ आपात चुनौतियों से निपटने के लिए या समाज के सामने अचानक पैदा हो गई किसी समस्या पर नियंत्रण करने के
लिए या समाप्त करने के लिए गठबंधन के कुछ उपांग होंगे जिनको ऑपरेशन कहा जाएगा। ऑपरेशनों का नामकरण आपात समस्या के साथ ऑपरेशन
शब्द जोड़कर किया जाएगा। यह ऑपरेशन या तो प्राकृतिक आपदाओं के समय शुरू किया जाएगा या फिर गठबंधन पर अचानक हुए किसी तरह के
हमले व आघात के समय शुरू किया जाएगा।
18.2. प्रकोष्ठ का गठन
18.2.1. किसी ऊर्ध्वाधर कार्यसमिति की सिफारिश पर गठबंधन की केंद्रीय कार्यसमिति का प्रथम उपाध्यक्ष किसी प्रकोष्ठ का गठन
करेगा। भर्ती परिषद की सिफारिश पर संबंधित ऊर्ध्वाधर स्तर की साधारण सभा के उपयुक्त सदस्यों को प्रकोष्ठ की कार्यसमिति का
पदाधिकारी बनाया जाएगा।
18.2.2. प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय, प्रराष्ट्रीय और वतनी मामलों के स्तर पर तथा देश, प्रदेश, जिला, ब्लॉक,
सर्किल, सेक्टर व गांव/वार्ड के स्तर पर क्रमशः 10,9,8,7,6,5,4 तथा 3 की संख्या में पदाधिकारियों का मनोनयन किया जाएगा।
18.2.3. प्रत्येक स्तर की साधारण सभा का कोई सदस्य संबंधित स्तर के प्रकोष्ठ की इकाई का प्रभारी होगा। प्रकोष्ठ की
कार्यसमिति अपने कार्याधिकार क्षेत्र के अधीन अपनी कार्यपद्धति और कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाएंगे। इस मामले में प्रकोष्ठ
संबंधित स्तर की कार्यसमिति का सहयोग ले सकती है।
18.2.4. प्रकोष्ठ की ऊर्ध्वाधर कार्यसमितियों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए किसी भी स्तर पर प्रकोष्ठ के अध्यक्ष की
नियुक्ति से पूर्व प्रकोष्ठ की उच्चस्थ कार्यसमिति से सलाह ली जाएगी।
18.2.5. कोई नया प्रकोष्ठ शुरू करने के लिए कम से कम क्षेत्रीय स्तर की कार्यसमिति के एक सदस्य की सिफारिश
आवश्यक होगी। अधीनस्थ कार्यसमिति से प्राप्त सिफारिश पर उच्चस्थ समिति विचार करेगी और अपनी आख्या के साथ गठबंधन की केंद्रीय
कार्यसमिति को नया प्रकोष्ठ शुरू करने के प्रस्ताव पर फैसला लेने के लिए अग्रसारित करेगी। केंद्रीय समिति का प्रथम उपाध्यक्ष
यह फैसला करेगा कि प्रस्तावित प्रकोष्ठ शुरू किया जाएगा या नहीं। इस विषय में फैसला लेने के लिए गठबंधन की ऊर्ध्वाधर
कमेटियों में से किसी भी कमेटी के अध्यक्ष को निर्णय लेने के लिए अधिकृत कर सकता है।
18.2.6. प्रकोष्ठों की सूची गठबंधन के संविधान की अनुसूची 4 में प्रकाशित की जाएगी।
18.3. प्रकोष्ठों के लिए वित्तीय प्रबंधन
18.3.1. प्रकोष्ठों के सदस्य अपना मिशन चलाने के लिए सदस्यता अभियान चलाकर या चंदा संग्रह अभियान चलाकर अपने मिशन के लिए धन
का प्रबंध कर सकते हैं। किंतु इस प्रकार के अभियान गठबंधन की रसीदों द्वारा ही चलाया जाएगा और धनराशि पहले गठबंधन के खाते
में जाएगी।
18.3.2. प्रकोष्ठों को प्राप्त चंदे की राशि का 75% हिस्सा प्रकोष्ठों की केंद्रीय कमेटी द्वारा और शेष 25% हिस्सा चंदा
संग्रह करने वाली इकाई द्वारा खर्च किया जाएगा।
18.3.3. प्रकोष्ठ की केंद्रीय कार्यसमिति अपने प्रकोष्ठ को प्राप्त चंदे की राशि का 25% गठबंधन के खाते
में सहयोग स्वरूप देगा।
18.4. मोर्चों का गठन
18.4.1. मोर्चा के गठन की प्रक्रिया वही होगी, जो प्रकोष्ठ के गठन की होगी। पहले से काम कर रहे कुछ संगठनों को एक लिखित
संविदा के आधार पर गठबंधन का मोर्चा घोषित किया जाएगा।
18.4.2. किसी भी स्तर की कार्यसमिति का प्रथम उपाध्यक्ष केंद्रीय समिति के प्रथम उपाध्यक्ष की अनुमति लेकर
मोर्चे के गठन की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। केंद्रीय कमेटी का प्रथम उपाध्यक्ष नए मोर्चे के गठन संबंधी प्रस्ताव आने पर
प्रस्तावित मोर्चे के गठन के लिए संगठन की ऊर्ध्वाधर कमेटियों में से किसी भी कमेटी के प्रथम उपाध्यक्ष को मोर्चे के गठन के
लिए अधिकृत कर सकता है। यह निर्णय प्रस्तावित मोर्चे की भौगोलिक सफलता को देखते हुए किया जाएगा।
18.4.3. केंद्रीय कमेटी के प्रथम उपाध्यक्ष से अधिकृत होने के बाद संबंधित ऊर्ध्वाधर स्तर का प्रथम उपाध्यक्ष अपने स्तर की
साधारण सभा के किसी सदस्य को प्रस्तावित मोर्चे के संबंधित स्तर की इकाई का अध्यक्ष नियुक्त करेगा।
18.4.4. मोर्चे की संबंधित स्तर का अध्यक्ष अपनी कार्यसमिति के पदाधिकारियों का मनोनयन मोर्चे की जरूरतों और नामांकित किए
जाने वाले व्यक्ति की योग्यता और अभिरुचियों को ध्यान में रखते हुए करेगा। वह अपने मोर्चे की अधीनस्थ कमेटियों का भी गठन
करेगा। इस कार्य में वह गठबंधन कि संबंधित स्तर की कार्यसमितियों का सहयोग लेगा।
18.4.5. सभी मोर्चों के सभी स्तरों के अध्यक्ष अपने से उच्चस्थ गठबंधन की साधारण सभा के सदस्य होंगे।
अनुच्छेद 19
गठबंधन के सहयोगी संगठन
उन संगठनों, न्यासों, धार्मिक समुदायों, समूहों, निकायों, फर्मों और कंपनियों को गठबंधन का सहयोगी संगठन कहा जाएगा, जो
गठबंधन की पूर्ण या आंशिक उद्देश्य कार्यक्रमों को मानकर कार्य करते हैं, किंतु गठबंधन के प्रमुख नेतृत्व को नहीं मानते, ऐसे
संगठनों के साथ सहयोग की प्रक्रिया गठबंधन के संविधान के अनुच्छेद 13.2.12 के अनुसार होगी।
अनुच्छेद 20
गठबंधन से संबद्ध संगठन
उन संगठनों, न्यासों, धार्मिक समुदायों, समूहों, निकायों, फर्म और कंपनियों को गठबंधन का सम्बद्ध संगठन कहा जाएगा, जो गठबंधन
के उद्देश्यों और नेतृत्व को मानते हैं, किंतु उसको हासिल करने के लिए अपने सांगठनिक ढांचे का उपयोग करते हैं। ऐसे संगठनों
से संबद्धता की कार्यवाही गठबंधन के संविधान के अनुच्छेद 13.2.12 के अनुसार संपादित की जाएगी।
20.1. संबद्धता की प्रक्रिया
20.1.1. गठबंधन से संबद्ध होने के लिए इच्छुक संगठन गठबंधन के संविधान के अनुच्छेद 31.7 में दिए गए फॉर्म
के अनुसार गठबंधन की उस ऊर्ध्वाधर कार्यसमिति के अध्यक्ष के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करेगा, जिससे इच्छुक संगठन जुड़ना चाहता
है।
20.1.2. संगठन का अर्थ ऐसे स्वैच्छिक संगठन से समझा जाएगा, जो सरकार के किसी पंजीकरण संस्थान में पंजीकृत कोई संगठन है, कोई
न्यास है, फर्म या कंपनी है।
20.1.3. किसी संगठन की ओर से यदि गठबंधन के ऊर्ध्वाधर इकाइयों का कोई भी अध्यक्ष निर्धारित प्रारूप के अनुरूप संबद्धता के
लिए आवेदन करता है, तो वह उच्चस्थ कार्यसमिति के प्रथम और द्वितीय उपाध्यक्षों के पास मंजूरी के लिए भेजेगा। दोनों की मंजूरी
प्राप्त होने के बाद आवेदन भेजने वाला अधीनस्थ कमेटी का प्रथम उपाध्यक्ष आवेदक संगठन द्वारा पार्टी की जनशक्ति या/और धन
शक्ति बढ़ाने की संभावनाओं पर एक रिपोर्ट बनाएगा। इस रिपोर्ट से संतुष्ट होने पर उच्चस्थ कमेटी के प्रथम उपाध्यक्ष को
भेजेगा। यदि उच्चस्थ कमेटी भी संतुष्ट हो जाती है, तो उच्चस्थ कमेटी के प्रथम उपाध्यक्ष द्वारा आवेदक संगठन को संबद्धता
संबंधी प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।
20.1.4. किसी भी संबद्ध संगठन को यह अधिकार होगा कि वह गठबंधन से संबद्ध होने के इच्छुक अपने विरोधी संगठन
के आवेदन के विरुद्ध गठबंधन के संबंधित स्तर की कार्यसमिति में पूर्वानुमान के आधार पर आपत्ति दर्ज कर सके। किंतु ऐसे मामलों
में आपत्ति दाखिल करने वाले संगठन को यह साबित करना होगा कि उसके विरोधी संगठन को गठबंधन से संबंध होने से गठबंधन का क्या
नुकसान होगा और उस नुकसान की भरपाई करने में आपत्ति दर्ज वाला संगठन किस प्रकार सक्षम है?
20.1.5. गठबंधन के विविध ऊर्ध्वाधर स्तरों से संबद्ध होने वाले पार्टियों, संगठनों, न्यासों, फर्म और कंपनी की संबद्धता
संबंधी पद्धति संबंधित स्तरों की कार्यसमितियां समय-समय पर तय करेंगी। इन कार्यसमितियों द्वारा बनाई गई पद्धतियों पर उच्चस्थ
कमेटी की साधारण सभा विचार करेगी। आवश्यक हुआ, तो संशोधन भी करेगी और अंत में मंजूर करेगी।
20.1.6. गठबंधन से संबद्धता की संविधान के अनुच्छेद 20.1.3 में बताई गई प्रक्रिया से अलग प्रक्रिया भी
बनाई जा सकती है
20.1.7. यदि संबद्ध संगठन अपने कार्यक्षेत्र और अधिकार क्षेत्र को बढ़ाना या घटाना चाहते हैं, तो उसे इस
आशय का आवेदन उसी स्तर की कार्यसमिति के समक्ष प्रस्तुत करना होगा, जिस स्तर पर वह संबद्ध है। आवेदन को स्वीकार करने न करने
की प्रक्रिया वही होगी, जो संगठनों के संबद्धता की होती है।
अनुच्छेद 21
गठबंधन द्वारा अधिकृत संगठन
21.1. गठबंधन की सभी ऊर्ध्वाधर इकाइयों को यह अधिकार होगा कि वह अपने किसी एक या अधिक कार्यों को संपादित
करने के लिए किसी भी संगठन, पार्टी, न्यास, फर्म या कंपनी को अधिकृत कर सकें। इसके लिए उचित शर्तों पर एक संविदा करना
अनिवार्य होगा। जिले से नीचे की इकाइयों को यह संविदा करने का अधिकार नहीं होगा।
21.2. गठबंधन की कार्यसमिति द्वारा बिंदुवार स्पष्ट शब्दों में समझौते का प्रारूप तैयार करके किसी संगठन
को अधिकृत किया जाएगा। यह समझौता या संविदा या मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग सरकार या न्यायालय में पंजीकृत होगा या नहीं, यह
बात तय करने का अधिकार भी संविदा करने वाले दोनों पक्षों पर होगा।
21.3. उक्त संविदा गठबंधन की जिस स्तर की कमेटी करेगी, उससे उच्चस्थ कमेटी संविदा पर विवाद होने की
परिस्थिति में आरोपों और प्रत्यारोप से स्वयं को पूरी तरह अलग और तटस्थ बनाए रखेगी।
21.4. अधिकृत संगठन यदि अपना कार्यक्षेत्र और अधिकार क्षेत्र बढ़ाना चाहता है, तो उसे ऐसा आवेदन गठबंधन की
उच्चस्थ कार्यसमिति के समक्ष अध्ययन के लिए प्रस्तुत करना होगा। ऐसे संगठनों की मंजूरी की प्रक्रिया वही होगी, जो संगठनों को
अधिकृत करने की होगी।
अनुच्छेद 22
गठबंधन के दूसरे पार्टियों/गठबंधनों से गठबंधन बनाने संबंधी प्रावधान
अनुच्छेद 23
दूसरी पार्टियों और दूसरे गठबंधन द्वारा मान्यता प्राप्त या सहयोगी या सम्बद्ध या अधिकृत गठबंधन के रूप में कार्य
करने संबंधी प्रावधान-
देश के घरेलू लोगों की विदेशी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए और गठबंधन के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक संगठनों
की साझी शक्ति और साझे प्रयत्न की ऊर्जा पैदा करने के लिए गठबंधन दूसरे गठबंधनों द्वारा मान्यता प्राप्त या सहयोगी या संबंध
या अधिकृत गठबंधन के रूप में कार्य करेगा। राजनीतिक दलों के किसी गठबंधन द्वारा भारतीय भौगोलिक क्षेत्र में गठबंधन उस गठबंधन
द्वारा मान्यता प्राप्त या सहयोगी या सम्बद्ध या अधिकृत गठबंधन के रूप में गठबंधन काम करेगी। गठबंधन दूसरे गठबंधन के साथ इस
संविधान के अनुच्छेद 22 के प्रावधानों के तहत गठबंधन करके काम कर सकेगा। इस संबंध में फैसला लेने का अधिकार केवल गठबंधन की
केंद्रीय कमेटी को होगा।
अध्याय 13
अनुच्छेद 24
गठबंधन का नीति निर्देशक
गठबंधन के प्रेरणा स्रोत या उनके जैसे विचारक या कोई सम्मानित व्यक्ति या कोई आध्यात्मिक गुरु या कोई आध्यात्मिक नेता, जिसकी
आवश्यकता केंद्रीय कमेटी के मस्तिष्क के लिए आवश्यक लगे, उसे गठबंधन का नीति निर्देशक चुना जाएगा। नीति निर्देशक गठबंधन का
मान्यता प्राप्त शून्य सदस्य होगा। वह मान्यता प्राप्त शून्य सदस्यों द्वारा शून्य साधारण सभा के लिए चुना जाएगा। शून्य
साधारण सभा के चुने हुए सदस्यों में से कोई एक सदस्य केंद्रीय कार्यसमिति की सर्वानुमति से गठबंधन का नीति निर्देशक चुना
जाएगा। वह केंद्रीय कार्यसमिति के दो तिहाई बहुमत से अपने पद से हटाया जा सकेगा।
24.1. नीति निर्देशक के अधिकार-
24.1.1. नीति निर्देशक का कार्य होगा कि वह केंद्रीय कार्यसमिति के प्रत्येक सदस्य की गतिविधियों पर नजर
रखे। यदि वह महसूस करता है कि केंद्रीय कमेटी अपने घोषित सिद्धांतों, उद्देश्यों और उन्हें हासिल करने के लिए घोषित साधनों
से भटक रही है, तो उसे कमेटी के अध्यक्ष से स्पष्टीकरण मांगने का अधिकार होगा। अध्यक्ष 1 महीने के भीतर अपना लिखित पक्ष
प्रस्तुत करेगा और यदि आवश्यक समझता है, तो व्यक्तिगत मुलाकात करके लिखित वक्तव्य की व्याख्या करेगा।
24.1.2. यदि नीति निर्देशक अध्यक्ष के लिखित उत्तर से संतुष्ट नहीं होता है, तो वह कुछ बिंदुवार लिखित
निर्देश जारी करेगा, जिसके हिसाब से केंद्रीय कमेटी का संचालन आवश्यक होगा। यदि 1 वर्ष तक नीति निदेशक केंद्रीय कमेटी की
कार्यप्रणाली में कोई सुधार महसूस नहीं करता, तो उसे अधिकार होगा कि वह अपनी आपत्तियों, अध्यक्ष के लिखित स्पष्टीकरण और पुनः
अपने निर्देशों को सार्वजनिक कर दे। उसे इस स्तर पर केंद्रीय कमेटी की खुली आलोचना का और कमेटी को पथभ्रष्ट होने से बचाने के
लिए जनता का दबाव बनाने का या जनता से समर्थन वापसी की अपील करने का अधिकार होगा। इस कार्यवाही के 6 महीने के भीतर या, तो
केंद्रीय कमेटी के अध्यक्ष को अपने पद से त्यागपत्र देना अनिवार्य होगा या फिर नीति निर्देशक को अपने पद से त्यागपत्र देना
होगा। जो भी पद रिक्त होगा उस पर भर्ती संविधान के प्रावधानों के अनुसार होगी।
24.2. नीति निर्देशक के कर्तव्य-
24.2.1. नीति निर्देशक राजनीतिक तरीके से काम करेगा। वह पार्टी का या गठबंधन के किसी संगठन का सदस्य नहीं
बनेगा। अपने नेतृत्व में कोई अन्य राजनीतिक दल या गठबंधन भी संचालित नहीं करेगा। जैसे ही वह ऐसा करेगा, उसे नीति निर्देशक का
पद छोड़ना होगा।
24.2.2. नीति निर्देशक आवश्यक होने पर केवल राष्ट्रीय कमेटी की आलोचना करेगा, न कि पूरी गठबंधन की। यदि
नीति निर्देशक ऐसा करता है, तो उसको अपने पद से हटना होगा।
24.2.3. नीति निर्देशक केंद्रीय कमेटी को कोई ऐसा निर्देश जारी नहीं करेगा, जिससे गठबंधन के संविधान का
कोई प्रावधान प्रभावित होता हो या उसके विरुद्ध हो। ऐसे निर्देश उस हद तक शून्य होंगे, जिस हद तक वह गठबंधन के संविधान के
किसी प्रावधान को या संविधान के मूल ढांचे को नुकसान पहुंचाते हैं।
अनुच्छेद 25
सामाजिक , आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, अनुवांशिक और जेहनिक आधारों पर वर्गीकृत समाज के विभिन्न
वर्गों को प्रतिनिधित्व देने के लिए समावेशी उपबंध-
25.1. गठबंधन की मान्यता है कि प्राकृतिक और सांस्कृतिक कारणों से समाज का एक वर्ग होता है, जो अन्य
वर्गों की तुलना में आर्थिक, सामाजिक, बौद्धिक और शारीरिक रूप से अधिक मजबूत होते हैं। किंतु अन्य की तुलना में जेहनिक रूप
से कमजोर होते हैं। वर्तमान में प्रचलित बहुत से अन्यायकारी मूल्यों, मान्यताओं,कानूनी और संवैधानिक प्रावधानों के कारण समाज
का बहुसंख्यक हिस्सा कथित मजबूत वर्ग के सामाजिक और आर्थिक शोषण तथा अत्याचार का शिकार रहा है। कथित रूप से मजबूत वर्ग ने
अपने आर्थिक विशेषाधिकारों के उपभोग का वह कथित रूप से उन लोगों के कंधों पर धकेल दिया है, जो सज्जनता में कथित उच्च मजबूत
वर्ग से अधिक उच्च और अधिक मजबूत हैं। किंतु आर्थिक, सामाजिक, बौद्धिक और शारीरिक रूप से अधिक कमजोर हैं। परिणाम स्वरूप समाज
का बहुसंख्यक हिस्सा अपने अंतर्निहित शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक शक्ति के विकास के लिए अपरिहार्य आर्थिक संसाधनों अभाव
पीढ़ी-दर-पीढ़ी झेलता रहा है। समाज के लिए उपयोगी वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन पर यह परिस्थिति बहुत लंबे समय से बहुत बुरा
असर डालती रही है। समाज के इस कुप्रबंधन के कारण प्रतिभाओं की हत्या का एक अंतहीन सिलसिला लंबे समय से चल रहा है और इसी
कुप्रबंधन के कारण जनसंख्या और उपभोग वस्तुओं के उत्पादन के बीच संतुलन बिगड़ गया है। प्रतिभाओं की बड़े पैमाने पर हो रही
हत्याओं को रोकने के लिए, जनता में मजबूत सामाजिक वर्ग को सशक्त करने के लिए, बहुत से कानूनों व संवैधानिक प्रावधानों के
द्वारा समाज के लिए बहुसंख्यक हिस्से को आर्थिक रूप से गुलाम बनाकर रखा गया है। इस वर्ग को आर्थिक आजादी देने के लिए गठबंधन
समय-समय पर विशेष प्रावधान, नीतियां और कार्यक्रम बनाएगी और उनको लागू करेगी। इस तरह के विशेष प्रावधान इस संविधान की
अनुसूची-7 में सूचीबद्ध किए जाएंगे।
25.2. गठबंधन का लोक सेवा भर्ती परिषद समय-समय पर ऐसी पद्धतियां विकसित करेगा, जिसमें प्राकृतिक व
सांस्कृतिक तथा क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर स्तरों में वर्गीकृत समाज के विभिन्न घटकों को गठबंधन की निर्णय प्रक्रिया में
प्रतिनिधित्व मिल सके।
25.3. गठबंधन की ऊर्ध्वाधर इकाइयां अपने-अपने स्तर पर समावेशी नीति के तहत कुछ प्रस्ताव समय-समय पर पेश
करेंगी। ऐसे प्रस्ताव जब उच्चस्थ समिति द्वारा मंजूर कर लिए जाएंगे, तो प्रस्ताव देने वाले स्तर की भर्ती परिषद स्तर की
साधारण सभा द्वारा मंजूरी प्राप्त करके ऐसे प्रस्तावों को लागू करेगी।
25.4. समावेशी नीति के तहत अपनाए जाने वाले नियम, नियमावलियां और संवैधानिक प्रावधान इस संविधान की
अनुसूची 7 में सूचीबद्ध किए जाएंगे।
अनुसूची- 7
समावेशी नीति 2020 के तहत अपनाए जाने वाले कुछ नीतिगत प्रस्ताव
- प्रादेशिक विकासक साधारण सभाओं में 50% आरक्षण गैर ब्राह्मण सवर्ण समुदाय/गैर ब्राह्मण सामान्य वर्ग के लिए और 30%
सीटें ओबीसी क्रीमी वर्ग के लिए आरक्षित होगी। विकासक साधारण सभा को सवर्ण विकासक सभा कहा जाएगा। - प्रादेशिक कार्यसमितियों के द्वितीय उपाध्यक्ष का पद गैर ब्राह्मण सवर्ण समुदाय/गैर ब्राह्मण सामान्य वर्ग के लिए
आरक्षित होगा। - देशिक विकासक साधारण सभा की 80% सीटें पिछड़े वर्ग/ओबीसी गैर क्रीमी वर्ग के लिए आरक्षित होंगी। भारत में देश स्तरीय
विकासक साधारण सभा को पिछड़ा विकासक सभा कहा जाएगा। - भारत में देश स्तरीय कार्यसमिति के द्वितीय उपाध्यक्ष का पद गैर क्रीमी पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित होगा। जिस पर
यथाशक्ति सामाजिक रूप से अति पिछड़े वर्ग का कोई व्यक्ति ही द्वितीय उपाध्यक्ष बनाया जाएगा। - वतनी मामलों की विकासक साधारण सभा की 50% सीटें मुस्लिम समाज के लिए आरक्षित होंगी। वतन स्तरीय विकासक साधारण सभा को
मुस्लिम विकासक साधारण सभा कहा जाएगा। - वतनी मामलों की विधायक साधारण सभा की 50% सीटें अनुसूचित जाति/जनजाति समुदाय के लिए आरक्षित होंगी।
- वतन स्तरीय कार्यसमिति के प्रथम उपाध्यक्ष का पद अनुसूचित समाज के व्यक्ति के लिए और द्वितीय उपाध्यक्ष का पद
मुस्लिम समाज के व्यक्ति के लिए आरक्षित होगा।
अनुच्छेद 26
अनुशासनात्मक कार्यवाही संबंधी प्रावधान
गठबंधन विरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए सदस्यों, पदाधिकारियों, कर्मचारियों द्वारा गठबंधन के संविधान व नियमों का अनुपालन
सुनिश्चित करने के लिए गठबंधन की सभी ऊर्ध्वाधर कार्यसमितियों को अपने-अपने स्तर पर नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही करने
का अधिकार होगा। अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के लिए गठबंधन की किसी भी इकाई की आयोजित बैठक का कोरम संबंधित निकाय के कुल
सदस्यों की संख्या का एक तिहाई होगा। इस नियम का उल्लंघन भी अनुशासनात्मक कार्यवाही का विषय बनेगा।
26.1. अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए कारित कृत्यों की सूची-
26.1.1. किसी पदाधिकारी, कार्यसमिति/प्रकोष्ठ, इकाई के अवमूल्यन या अवज्ञा के उद्देश्य से किया गया कोई भी
कार्य व्यवहार;
26.1.2. गठबंधन के स्थापित सिद्धांत, नीति, या कार्यक्रम के विरुद्ध जानबूझ कर किया गया कोई भी कार्य
व्यवहार;
26.1.3. गठबंधन को आर्थिक रूप से मजबूत करने के नाम पर किंतु स्वार्थ की नीयत से ली जाने वाली सदस्यता
राशि या चंदा, जिसको गठबंधन के कोष में नियमानुसार जमा नहीं कराया जाए, ऐसा कोई भी कार्य;
26.1.4. राष्ट्र, राष्ट्रीयता, लोकतंत्र, प्रभुसत्ता, मतकर्म और मत करने का अधिकार तथा सत्ता के ऊर्ध्वाधर
पृथक्करण के विषय में गठबंधन की अभिनव परिभाषाओं, नीतियों, निर्णयों और कार्यक्रमों के साथ सहयोग नहीं करने संबंधी कार्य
व्यवहार;
26.1.5. किसी सार्वजनिक स्थान पर उस क्षेत्र के निवासियों के विश्वासों व मूल्य के अनुसार ऐसा कोई भी
कार्य व्यवहार, जिसको स्थानीय समाज में बुरा माना जाता हो और निंदा योग्य माना जाता हो;
26.1.6. गठबंधन द्वारा अधिकृत किसी भी चुनाव के प्रत्याशी को कमजोर करने की नीयत से मनसा, वाचा, कर्मणा
किया गया कोई भी कार्य व्यवहार;
26.1.7. गठबंधन के किसी मंच के लिए बनी आचार संहिता का उल्लंघन गठबंधन के किसी कार्यक्रम के मंच पर ही
करना;
26.1.8. गठबंधन के किसी पदाधिकारी, किसी कमेटी, किसी इकाई के प्रति क्रोधित होकर और न्याय मांगने के नाम
पर गठबंधन को बदनाम करने या गठबंधन की ताकत को कमजोर करने वाला कोई भी कार्य व्यवहार।
26.1.9. गठबंधन के बाहर किसी मंच/संस्था के मंच पर या मीडिया में न्याय मांगने के नाम पर गठबंधन का अपमान
करने संबंधी कार्य व्यवहार।
26.2. अनुशासनात्मक कार्यवाही की प्रक्रिया
26.2.1. गठबंधन का कोई भी सदस्य या पदाधिकारी किसी अन्य सदस्य या पदाधिकारी या कमेटी या किसी इकाई के
विरुद्ध निर्धारित फीस जमा करके अपने या गठबंधन के हुए नुकसान के आधार पर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की याचिका न्यायिक
परिषद के सक्षम ऊर्ध्वाधर इकाई के समक्ष प्रस्तुत कर सकेगा।
26.2.2. डाक सेवा या हाथ से याचिका प्राप्त होने के 1 सप्ताह के भीतर न्यायिक परिषद की संबंधित इकाई आरोपी
से 1 महीने के अंदर लिखित जवाब मांगेगी।
26.2.3. आरोपी का जवाब प्राप्त हो जाने के बाद उस जवाब पर 1 सप्ताह के भीतर लिखित प्रतिक्रिया जमा करने का
निर्देश न्यायिक परिषद याचिकाकर्ता को देगा।
26.2.4. याचिकाकर्ता का जवाब मिल जाने पर न्यायिक परिषद अपना निर्णय तैयार करके दोनों पक्षों के पास
भेजेगी। निर्णय की एक प्रति न्यायिक परिषद की उच्चस्थ इकाई को प्रेषित की जाएगी। याचिका के पंजीकृत होने और उस पर निर्णय आने
में किसी भी सूरत में 6 महीने से अधिक का वक्त नहीं लगाया जाएगा।
26.2.5. निर्णय देने वाली न्यायिक परिषद की इकाई निर्णय प्रक्रिया में हुए व्यय की रकम की जानकारी निर्णय
में अंकित करेगी। मामलों के निपटारे पर होने वाले खर्च का प्रबंध करने के लिए न्यायिक परिषद की ऊर्ध्वाधर इकाईयां समय-समय पर
पद्धति विकसित करेगी।
26.3. अपील के प्रावधान
26.3.1. कोई भी सदस्य या पदाधिकारी या गठबंधन की इकाई, जिसको न्यायिक परिषद के किसी निर्णय द्वारा दंडित
किया जाएगा, उसे न्यायिक परिषद की उच्चस्थ इकाई में अपील दायर करने का अधिकार होगा। उसको प्रथम अपील कहा जाएगा। यथाशक्य
प्रथम अपील का निस्तारण 3 महीने के अंदर किया जाएगा। पर्याप्त कागजों के अभाव या विशेष परिस्थिति में 3 महीने से अधिक समय
देने का अधिकार मात्र उच्चस्थ न्यायिक परिषद को होगा।
26.3.2. यदि प्रथम अपील में भी याचिकाकर्ता अपने पक्ष में निर्णय पाने में विफल हो जाता है, तो उसे
द्वितीय अपील उच्चस्थ न्यायिक परिषद में दाखिल करने का अधिकार होगा।
26.3.3. किसी भी याचिकाकर्ता को तीसरी अपील दाखिल करने का अधिकार नहीं होगा।
26.3.4. केंद्रीय न्यायिक परिषद के निर्णय के विरुद्ध कोई भी अपील पुस्तके लिखकर, संगठन बनाकर, सार्वजनिक
संबोधनों द्वारा या किसी प्रचार माध्यम से आम जनता की अदालत में ही की जा सकती है। उक्त कृत्यों में गठबंधन के सदस्यों और आम
जनता के बीच जो प्रतिक्रिया होगी या जो कृत्य पैदा होगा, उसी को जनता की अदालत का अपीलीय निर्णय माना जाएगा।
26.4. वादियों और प्रतिवादियों की मदद के लिए अधिवक्ता
26.4.1. कानूनी मदद के लिए सभी वादियों और प्रतिवादियों को व्यवसायिक अधिवक्ताओं की मदद प्राप्त करने का
अधिकार होगा। ऐसे अधिवक्ता फीस प्राप्त करके या बिना फीस लिए याचिकाएं तैयार करने में, याचिकाओं का जवाब तैयार करने में या
याचिकाओं के जवाब का प्रत्युत्तर तैयार करने में वादियों या प्रतिभागियों की मदद करेंगे। कानूनी विशेषज्ञ की अनुमति से उक्त
अधिवक्ता अपने द्वारा तैयार याचिका उत्तर या प्रत्युत्तर के स्पष्टीकरण के लिए कानूनी विशेषज्ञ के सम्मुख स्वयं भी उपस्थित
हो सकते हैं।
26.4.2. किसी भी याचिकाकर्ता को यह अधिकार होगा कि वह याचिका या अपील पर विचार कर रहे कानूनी विशेषज्ञ के
समक्ष स्वयं प्रस्तुत हो सके। किंतु अपीलों की सुनवाई में कोई भी याचिकाकर्ता अपने अधिवक्ता के साथ कानूनी विशेषज्ञ के सामने
प्रस्तुत नहीं हो सकेगा।
26.5. दंड विधान
26.5.1. आरोपों की कई अनुसूचियां होंगी और सभी अनुसूचियां के लिए अपने-अपने दंड संबंधी प्रावधान होंगे।
26.5.2. प्रथम अनुसूची के आरोपों पर दंड स्वरूप आरोपी को गठबंधन से 6 महीने के लिए निलंबित किया जाएगा।
26.5.3. दूसरी अनुसूची के आरोप साबित होने पर आरोपी को 2 वर्ष के लिए निलंबित किया जाएगा और ₹1000 से लेकर
₹10000 तक का अर्थदंड लगाया जाएगा।
26.5.4. तीसरी अनुसूची के आरोप साबित होने पर आरोपी 5 वर्षों के लिए निलंबित किया जाएगा और एक लाख से दस
लाख तक का अर्थदंड लगाया जाएगा।
26.5.5. यदि चौथी अनुसूची के आरोप साबित होते हैं, तो आरोपी को गठबंधन से सदा-सदा के लिए बहिष्कृत कर दिया
जाएगा।
26.5.6. पांचवीं अनुसूची के आरोप साबित होने पर आरोपी को गठबंधन से बाहर किया जाएगा। साथ ही उस पर संबंधित
प्रदेश सरकार के कानून के अनुसार कानूनी कार्यवाही भी की जाएगी।
26.5.7. गठबंधन के राष्ट्रीय मामलों की कार्यसमिति को विभिन्न आरोपों को अलग-अलग सूचियों में सूचीबद्ध
करने का अधिकार होगा।
26.5.8. जुर्माने की पूरी रकम गठबंधन के कोष में जमा की जाएगी।
26.6. अनुशासन से संबंधित विशेष प्रावधान
26.6.1. कोई भी न्यायिक परिषद उसी याचिकाकर्ता की याचिकाएं स्वीकार करेगी, जो या तो उसके समकक्ष ऊर्ध्वाधर
स्तर से संबन्धित हो या अधीनस्थ स्तर से संबंधित हो।
26.6.2. किसी भी स्तर की साधारण सभा के सदस्य के विरुद्ध याचिका स्वीकार करने में पूर्व संबंधित
कार्यसमिति की अनुमति आवश्यक होगी।
26.7. अंतरिम आदेश संबंधी प्रावधान
26.7.1. यदि याचिकाकर्ता आरोपी को अंतरिम तौर पर दंडित करने की मांग करता है और उस मांग को जायज माना जाता
है, तो सभी स्तरों की न्यायिक परिषदों को याचिका प्राप्त होते ही दंड संबंधी अंतरिम आदेश जारी करने का अधिकार होगा।
26.7.2. अंतिम निर्णय तक इस तरह के अंतरिम आदेश को उच्चस्थ न्यायिक परिषद निरस्त कर सकती है।
अध्याय 14
अनुच्छेद 27
गठबंधन के संविधान में संशोधन और व्याख्या संबंधी प्रावधान
27.1. गठबंधन में आंतरिक लोकतंत्र और लोकतांत्रिक परिणाम पैदा करने वाली राजनीतिक और आर्थिक
व्यवस्था सुनिश्चित करने के उद्देश्य से केंद्रीय कमेटी को नियमानुसार गठबंधन के संविधान को संशोधित करने, कुछ प्रावधानों को
हटाने और कुछ नए प्रावधानों को जोड़ने का अधिकार होगा।
27.2. गठबंधन के सभी ऊर्ध्वाधर इकाइयों की साधारण सभाओं को अपने स्तर के संविधान में उस हद तक
दो तिहाई बहुमत द्वारा संशोधन करने का अधिकार होगा, जिस हद तक वह गठबंधन के संविधान के मूल ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचाता।
ऐसे संशोधनों पर संबंधित स्तर के प्रथम उपाध्यक्ष और न्यायिक परिषद सामूहिक रूप से नजर रखेंगे।
27.3. गठबंधन के केंद्रीय इकाई के संविधान में संशोधन का अधिकार केंद्रीय साधारण सभा को होगा।
साधारण सभा द्वारा जो भी संशोधन किए जाएंगे, वे गठबंधन के संविधान के मूल ढांचे के अनुरूप ही होने चाहिए।
27.4. सभी शासकीय स्तर की इकाइयों को आपात स्थिति में आवश्यक होने पर अपने स्तर की इकाई के
संविधान में शासनादेशों से संशोधन का अधिकार होगा। ऐसे संशोधन संबंधित स्तर की साधारण सभा की आगामी बैठक तक ही लागू रह
सकेंगे। आगे ऐसे संशोधन तभी जारी रह सकेंगे, यदि साधारण सभा उसे मंजूरी प्रदान कर देती है।
27.5. किसी संविधान संशोधन को या गठबंधन की किसी इकाई की नियमावली या उसके किसी प्रावधान के
संवैधानिक औचित्य के आधार पर चुनौती दी जा सकती है। बशर्ते ऐसी चुनौतियों संबंधी याचिकाओं को क्षेत्रीय या देश स्तरीय
कार्यसमिति का उपाध्यक्ष काउंटर साइन करे। ऐसी याचिकाओं पर सबसे पहले न्यायिक परिषद की समकक्ष इकाई विचार करेगी। न्यायिक
परिषद के निर्णय को उच्चस्थ दो स्तरों की न्यायिक परिषदों में चुनौती दी जा सकेगी।
27.6. जब कभी संविधान के या किसी नियमावली के किसी प्रावधान के स्पष्टीकरण की आवश्यकता समझी
जाएगी, तो उसको एक याचिका के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। इस प्रकार की याचिकाओं के निस्तारण की प्रक्रिया उक्त पैरा 5 के
अनुरूप होगी। इन याचिकाओं को ऐसे ही समझा जाएगा, जैसे संविधान या नियम के किसी प्रावधान को चुनौती दी गई हो।
अनुच्छेद 28
गठबंधन का विखंडन या विलयन
5 ऊर्ध्वाधर शासकीय स्तरों के अध्यक्षों, प्रथम और द्वितीय उपाध्यक्षों और साधारण सभा की मंजूरी के बाद गठबंधन को किसी दूसरी
गठबंधन में विलय किया जा सकेगा। गठबंधन की संपत्तियों के बंटवारे की प्रक्रिया भी नियमानुसार उक्त प्रक्रिया द्वारा ही चलाई
जाएगी। किसी उपयुक्त अधिकृत व्यक्ति या कमेटी के माध्यम से किसी दूसरी गठबंधन को अपने गठबंधन में सम्मिलित किया जा सकता है।
यदि वह गठबंधन ऐसा करने का निर्णय करता है।
अनुच्छेद 29
संविधान का अनुवाद
गठबंधन का संविधान यथासंभव अधिकतम भाषाओं में अनुवादित किया जाएगा। अनुवाद का प्रारूप केंद्रीय समिति द्वारा मंजूर किया
जाएगा। केंद्रीय समिति मंजूरी का कार्य केंद्रीय न्यायिक परिषद की रिपोर्ट के आधार पर करेगी।
अध्याय 15
अनुच्छेद 30
30.1. संविधान की अनुसूचियां
30.2. पारिभाषिक शब्दावली
30.3. ऊर्ध्वाधर इकाइयों की कार्यसूची
30.4. सदस्यता शुल्क
30.5. प्रकोष्ठों की सूची
30.6. मोर्चों की सूची
30.7. ऑपरेशनों की सूची
30.8. समावेशी नीति के प्रावधान
30.9. संविधान संशोधनों की सूची
30.10. गठबंधन के रजिस्टर
अनुच्छेद 31
फार्मों के प्रारूप
31.1. Form – 1 प्राथमिक सदस्यता आवेदन पत्र
31.2. Form – 2 सक्रिय सदस्यता आवेदन पत्र
31.3. Form – 3 वोटर काउंसलर के लिए आवेदन पत्र
31.4. Form – 4 शून्य सदस्यता हेतु आवेदन पत्र
31.5. Form – 5 अंतरिम पदाधिकारी बनने के लिए आवेदन पत्र
31.6. Form – 6 पदाधिकारी बनने के लिए आवेदन पत्र
31.7. Form – 7 संबद्धता के लिए आवेदन पत्र
31.8. Form – 8 साधारण सदस्यता के लिए आवेदन पत्र
31.9. Form – 9 मोटिवेटर बनने के लिए आवेदन पत्र
31.10. Form – 10 फील्ड मोटिवेटर बनने के लिए आवेदन पत्र
31.11. Form – 11 वोटर हेल्पर बनने के लिए आवेदन पत्र
31.12. Form – 12 वोटर असिस्टेंट बनने के लिए आवेदन पत्र
31.13. Form – 13 वोटर मास्टर बनने के लिए आवेदन पत्र
31.14. Form – 14 प्राथमिक सदस्यों का डाटा बैंक का प्रारूप
31.15. Form – 15 सक्रिय सदस्यों का डाटा बैंक का प्रारूप
31.16. Form – 16 मोटीवेटरों का डाटा बैंक का प्रारूप
31.17. Form – 17 फील्ड मोटीवेटर का डाटा बैंक का प्रारूप
31.18. Form – 18 वोटर हेल्परों के डाटा बैंक का प्रारूप
31.19. Form – 19 वोटर असिस्टेंट के डाटा बैंक का प्रारूप
31.20. Form – 20 वोटर मास्टरों के डाटा बैंक का प्रारूप
31.21. Form – 21 वोटर काउंसिलरों के डाटा बैंक का प्रारूप
31.22. Form – 22 पदाधिकारियों के डाटा बैंक का प्रारूप
31.23. Form – 23 शून्य सदस्यों के डाटा बैंक का प्रारूप
31.24. Form – 24 मान्यता प्राप्त शून्य सदस्यों के डाटा बैंक का प्रारूप
31.25. सदस्यता नियमावली के फार्मो की सूची
31.26. आरडीआर नियमावली के फार्मों की सूची
31.27. डिलिवरी मेमो का प्रारूप
31.28. कैश रसीद का प्रारूप
31.29. डे बुक का प्रारूप
31.30. लेजर बुक का प्रारूप
31.31. स्टॉक बुक का प्रारूप
अनुच्छेद 32
गठबंधन के रजिस्टर
अभिलेखों को व्यवस्थित तरीके से रखने के उद्देश्य से गठबंधन की केंद्रीय कमेटी कुछ रजिस्टरों को अपने कार्यालय में रखेगी और
कुछ अन्य रजिस्टरों को रखने के लिए गठबंधन की ऊर्ध्वाधर कमेटियों को अधिकृत करेगी। समय-समय पर रजिस्टरों के संबंध में
विस्तृत जानकारी संविधान के इस अनुच्छेद में अंकित की जाएगी।
अनुच्छेद 33
संविधान में नए अनुच्छेदों , प्रावधानों, उप प्रावधानों के जोड़े जाने संबंधी उपबंध
संविधान संशोधन की प्रक्रिया द्वारा गठबंधन के संविधान में जिन नए अनुच्छेदों, प्रावधानों, धाराओं, उप धाराओं को जोड़ा
जाएगा, उनको संविधान की अनुसूची 8 में सूचीबद्ध किया जाएगा।
अनुसूची – एक
पारिभाषिक शब्दावली
संविधान में जिन विशिष्ट शब्दों का उपयोग किया गया है या प्रचलित शब्दों को विशेष अर्थों में उपयोग किया गया है, उनका विवरण
इस प्रकार है-
- सक्रिय सदस्य – 5 प्राथमिक सदस्यों/सदस्य संगठनों को जोड़ने वाले को सक्रिय सदस्य कहा जाएगा।
- गठबंधन – यानी राजनीतिक दलों का साझा मंच, जिसका गठन साझे उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सभी
दलों के समर्थकों की परा-राजनीतिक संयुक्त शांति पैदा करने के लिए किया जाएगा। - पूंजीवाद – एक ऐसी प्रतिनिधि विचारधारा जिसमें यह माना जाता है कि किसी भी प्रकार, आर्थिक
पूंजीवादी व्यक्ति अधिक से अधिक धन जमा करके वह उसके बच्चे या ऐसे व्यक्तियों का समूह ही उत्पादन के साधनों यथा
जमीन, मशीन, समाज की बचत का धन, क्रय शक्ति, मजदूरों की शक्ति के स्वामित्व उपयोग और संचालित करने का और राज्य की
मशीनरी संचालित करने का अधिकारी होता है। आर्थिक पूंजीवादी वह व्यक्ति होता है, जो राजनीतिक
व्यवस्था में राज्य के साथ सभी नागरिकों का पीढ़ी दर पीढ़ी समान अंतर्संबंध मानता है किंतु अर्थव्यवस्था में सभी
नागरिकों का पीढ़ी दर पीढ़ी श्रेणी संबंध मानता है। पूंजीवादी दो तरह के लोग होते हैं- समष्टि
पूंजीवादी और व्यष्टी पूंजीवादी। - चरित्र निर्माता – ऐसा व्यक्ति, जो यह महसूस करता है और इस मान्यता पर जीवित रहता है कि केवल
व्यक्तियों का चरित्र निर्माण कर देने से समाज और राज व्यवस्था को सुधारा जा सकता है। - साम्यवाद – एक ऐसी प्रतिनिधि विचारधारा, जिसमें यह मान्यता होती है कि उत्पादन के साधनों जैसे
जमीन, मशीन, समाज की बचत का धन, क्रय शक्ति, मजदूरों की शक्ति और राज्य की मशीनरी के स्वामित्व, उपयोग और संचालन
करने का अधिकार और समाज से सम्मान तथा विशेषाधिकार पाने का अधिकार समाज के सभी व्यक्तियों को सामूहिक रूप से है,
चाहे व्यक्तियों की आर्थिक हैसियत कुछ भी क्यों न हो। ऐसी मान्यता और विचारधारा को पसंद करने वाले व्यक्ति को
साम्यवादी कहा जाता है। साम्यवादी दो तरह के होते हैं-व्यष्टि साम्यवादी और समष्टि साम्यवादी। - आर्थिक साम्यवादी – वह व्यक्ति, जो राजनीतिक व्यवस्था और आर्थिक अर्थव्यवस्था दोनों में राज्य के
साथ सभी नागरिकों का पीढ़ी दर पीढ़ी श्रेणी के बजाय सामानंतर संबंध मानता है। यानी कि न तो वह व्यक्ति द्वारा अर्जित
राजनीतिक पदों को उत्तराधिकार में पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित करने के पक्ष में होता है और न ही किसी व्यक्ति द्वारा
अर्जित धन-संपत्ति को ही स्थानांतरित करने के पक्ष में होता है। इसके विपरीत आर्थिक पूंजीवादी व्यक्ति राजनीतिक पदों
को तो उत्तराधिकार में स्थानांतरित करने के पक्ष में नहीं होता किंतु धन-संपत्ति को पीढ़ी दर पीढ़ी उत्तराधिकार में
स्थानांतरित करने के पक्ष में होता है। क्योंकि उसकी मान्यता होती है कि राजनीतिक पद समाज की सामूहिक पैदावार होते
हैं किंतु धन समाज की सामूहिक पैदावार न होकर उस की पैदावार होता है, जिसके खाते में होता है। - ऊर्ध्वाधर समवर्ती – ऐसी मानसिकता, जो समाज के मंजिलेंदार घटकों व समुदायों में न्याय की भावना से
ओतप्रोत होती है या किसी संगठन की मंजिलें दार इकाइयों के बीच न्याय की भावना से ओतप्रोत होती है। - प्रराष्ट्रीय मामलों की भारतीय इकाई का निर्वाचन क्षेत्र – भारत में 3 पड़ोसी लोकसभा क्षेत्रों का
साझा क्षेत्र। इसी को परिवार सभा या परिवार संसदीय क्षेत्र भी कहा जाता है। इसी को प्रराष्ट्रीय मामलों की साधारण
सभा के एक सदस्य का निर्वाचन क्षेत्र भी कहा जाता है। - वोटर काउंसलर परिषद – वोटर काउंसलरों का संगठन गठबंधन के उन कार्यकर्ताओं का मंच, 20 सक्रिय
सदस्यों को जोड़ चुके हैं और उनको लगातार सक्रिय बनाए रखते हों। - देश (राष्ट्र राज्यों) का संघ – वे राष्ट्र राज्य, जो संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मान्यता प्राप्त
हों, जैसे भारत। - क्रीमी लेयर – गठबंधन की समावेशी नीति के तहत तय की गई सीमा रेखा। इस नीति के तहत उन लोगों को
पहचाना जाएगा, जिनको समावेशी नीति के तहत मिलने वाले विशेष संरक्षण या आरक्षण का लाभ मिलेगा या नहीं मिलेगा। सीमांकन
द्वारा जिनको समावेशी नीति का लाभ नहीं मिलेगा, उनको क्रीमी लेयर में आने वाले व्यक्ति या परिवार कहा जाएगा। - सांस्कृतिक साम्यवादी – भविष्यनिष्ठ मानसिकता का वह व्यक्ति, जो सभी संस्कृतियों में मौजूद समानता
के तत्वों को देखता है और उनका सम्मान करता है। साथ ही चाहता है कि विश्व भर के सभी व्यक्तियों की सांस्कृतिक मूल्य
समान होने चाहिए, चाहे वह किसी भी संप्रदाय, भाषा, परंपरा, आदर्श, भौगोलिक क्षेत्र या किसी भी राष्ट्रीयता का
व्यक्ति क्यों न हो। - सांस्कृतिक वामपंथी – भविष्यनिष्ठ मानसिकता का वह व्यक्ति, जो नए सांस्कृतिक मूल्यों का निर्माण
करना चाहता है और चाहता है कि उसका समाज नई सभ्यता, नई नैतिकता और नई आचार संहिता को अपनाए। - सांस्कृतिक दक्षिणपंथी – यानी वह अतीतनिष्ठ मानसिकता का व्यक्ति, जो चाहता है कि अतीत की पीढ़ियों
द्वारा अपनाये गये सांस्कृतिक मूल्यों, सामाजिक शासन के कानूनों, सभ्यता, आचार संहिता और नैतिकता को वर्तमान
पीढ़ियां वापस अपनाएं। - विकासक सदस्य – गठबंधन की साधारण सभा के सदस्य, जो गठबंधन को दिए गए आर्थिक अनुदान की मेरिट लिस्ट
के आधार पर भर्ती किए जाते हैं। - आर्थिक साम्यवादी – आर्थिक समानता पसंद व्यक्ति, जो इस मान्यता में विश्वास करता है कि हर व्यक्ति
का आर्थिक उपभोग समान होना चाहिए। चाहे वह किसी भी स्तर का बुद्धिमान हो या किसी भी देश परंपरा का हो। आर्थिक
साम्यवादी व्यक्ति पीढ़ी-दर-पीढ़ी राज्य के साथ संबंध समानांतर मानता है-अर्थव्यवस्था के मामलों में भी और राज
व्यवस्था के मामलों में भी। - आर्थिक आजादी आंदोलन – एक ‘गॉड’ नामक मंचों के मंच द्वारा मान्यता प्राप्त जन संगठन, जो
वोटरशिप अधिकार के माध्यम से जनता के जन्मजात आर्थिक अधिकारों के लिए कार्य करता है। - आर्थिक वामपंथी – भविष्यनिष्ठ मानसिकता का व्यक्ति, जो चाहता है कि उसके समाज की वर्तमान पीढ़ियां
अर्थव्यवस्था के अतीत की व्यवस्था को स्वीकार करने की बजाय नए मूल्यों, नए कानूनों, समाज को शासित करने के नए
संविधान व नई सभ्यता के आधार पर अर्थव्यवस्था विकसित हों। आर्थिक वामपंथी एक ऐसी अर्थव्यवस्था की
अपेक्षा रखता है, जिसमें उत्पादन के साधन जटिल होंगे, विशेषज्ञता पूर्ण होंगे, उत्पादन अधिक से अधिक होगा और उत्पादन
सभी लोगों के उपयोग के लिए खुला होगा। - जिज्ञासु (समदर्शी) – एक न्याय प्रिय मानसिकता जो किसी संगठन के विभिन्न क्षैतिज अंगों / इकाइयों /
निकायों के बीच या विभिन्न समुदायों और प्रतिनिधि क्षैतिज विचारों के बीच न्याय करने की भावना को आत्मसात करती है। - आर्थिक आजादी आंदोलन परिसंघ , उन ग़ैर-राजनीतिक संस्थानों, संगठनों, ट्रस्टों, आंदोलनों और
अभियानों का साझा मंच, जो मतदाताओं को वोटरशिप के माध्यम से आर्थिक स्वतंत्रता देने के उद्देश्य से
काम कर रहे हैं। - मौलिक सदस्य- गठबंधन के प्रारंभिक सदस्य संगठन और गठबंधन के पदेन शून्य सदस्य संगठन; जिनके साथ
गठबंधन सम्बद्ध होगा। - जेहनिक आधार – किसी व्यक्ति में उसके कुछ गुणसूत्रों के कारण उत्पन्न व्यवहार, अवलोकन, भावनाएं और
विचार। गठबंधन मानता है कि कुछ राजनीतिक प्रतिनिधि विचारों के ज़ेहनिक आधार हैं जो कि गुणसूत्रों की उपज है। - समृद्धि और शांति पर वैश्विक सम्झौता ( GAPP)- का अर्थ है अंतरराष्ट्रीय संधि का एक
नाम जिसमें गठबनहन द्वारा मान्यता प्राप्त संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में संशोधन का संकल्प शामिल है। - राजनीतिक पार्टियों का वैश्विक संघ ( GAPP) – का मतलब है कि
गठबंधन का प्रस्तावित नाम, जिसके द्वारा गठबंधन की राष्ट्रीय स्तर के मामलों की भारतीय इकाई की कार्यकारी समिति के
साथ संबद्ध होना चाहती हैं। - विश्व नागरिक कोष – गठबंधन के मित्र संगठनों के सामूहिक मंच का प्रस्तावित नाम, जो जनता से अनुदान
और सशर्त ऋण प्राप्त करेगा, उन अनुदानों की रसीद/प्रमाण पत्र/आरडीआर नोट जारी करेगा, उन प्रमाणपत्रों का रिकॉर्ड
रखेगा, और वोटरशिप संबंधी कानूनों की संसदीय स्वीकृति से जुड़ी गतिविधियों, वैश्विक स्तर पर कानून में बदलाव ,
वैश्विक नागरिकता और मुद्रा और राजनीति और राजनीति में सुधार से संबंधित गठबंधन के अन्य उद्देश्यों पर होने वाले
खर्च का लेखा-जोखा रखेगा। - लोकतन्त्र वास्ते विश्व संघ ( GOD) – राजनीतिक दलों, गैर-राजनीतिक, पैरा-राजनीतिक
और परादेशिक संस्थानों, संगठनों, फर्मों और कंपनियों के साझा मंच का प्रस्तावित नाम; जिसके द्वारा गठबंधन अपने
दूरगामी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आम राजनीतिक और आर्थिक बल आहूत कर सकता है। - हिंदू- दुनिया भर के कई संप्रदायों, धार्मिक समुदायों का समूह, जो सामाजिक मूल्य और कानून के बारे
में प्राचीन किताबों, जिनका नाम स्मृति ग्रंथ, सूत्र ग्रंथ, वेद, उपनिषद है, आदि के रूप में नामित प्राचीन
स्वयंसिद्ध पुस्तकों को मानते हैं। - क्षैतिज समन्वयकारी परिषद- दो निकायों के क्षैतिज संघर्षों को हल करने के लिए गठबंधन/संगठन की दो
क्षैतिज इकाइयों/निकायों के बीच स्थित क्षैतिज प्रबंधन परिषद। - समावेशी नीति- मतलब, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और चेतना के स्तर के आधार पर और
सांस्कृतिक पहचान और भौगोलिक आधार के आधार पर समाज के विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने के लिए
गठबंधन की नीति। - वतन स्तर के मामलों की भारतीय इकाई -भारत के घरेलू नागरिकों की उन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए
गठबंधन की एक इकाई, जिनके लिए भारत के पड़ोसी देशों के नागरिकों और सरकार के सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। - प्रराष्ट्रीय स्तर के मामलों की भारतीय इकाई –गठबंधन की एक इकाई , जो भारत के घरेलू नागरिकों की उन
जरूरतों को पूरा करने के लिए काम करती है, जिनके लिए पूर्वी देशों या पश्चिमी देशों के नागरिकों और देशों की सरकारों
के सामूहिक प्रयासों की जरूरत है। - राष्ट्रीय स्तर के मामलों के लिए भारतीय इकाई – मतलब, भारत के घरेलू नागरिकों की उन जरूरतों को
पूरा करने के लिए गठबंधन की एक इकाई, जिसके लिए नागरिकों और दुनिया के सभी देशों की सरकारों के सामूहिक प्रयासों की
जरूरत है। - वामपंथी -भविष्योन्मुख एक ऐसा व्यक्ति जो महसूस करता है कि समाज से बेहतर युग की ओर, अंधकारमय युग
से लेकर प्रकाश के युग में, अविकसित से विकसित अवस्था में जा रहा है। वामपंथी लोगों के दो प्रकार हैं-सांस्कृतिक
वामपंथी और आर्थिक वामपंथी। - विधायक सदस्य – सदस्य, जो गठबंधन में अधिकतम सदस्य संगठनों के नामांकन की योग्यता के आधार भर्ती हुए
हैं। - मैक्रो पूंजीवादी – आधारभूत संरचना को बढ़ावा देने वाली मानसिकता का व्यक्ति जो संपन्न लोगों के लिए
वैज्ञानिक खोज, सड़क निर्माण, बिजली, रेलवे, नहर आदि में संचित धन का निवेश करने का समर्थक है। - सदस्य- गठबंधन संविधान द्वारा परिभाषित गठबंधन के प्राथमिक और सक्रिय सदस्य संगठन, गठबंधन के मौलिक
सदस्य, मिशनरी सदस्य संगठन। - माइक्रो पूंजीवादी –ऐसा व्यक्ति, जो सम्पन्न लोगों के लिए आधारभूत संरचना के स्थान पर जनता के लिए
उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में संचित धन का निवेश करने का समर्थक है। - मिशनरी सदस्य – गठबंधन के गैर-राजनीतिक संगठन, ट्रस्ट और राजनीतिक दल जैसे मित्र संगठनों के
प्राथमिक या समकक्ष सदस्य संगठन। - राष्ट्र- पूरी दुनिया का वह राजनीतिक क्षेत्र, जिसके द्वारा पूरी दुनिया के सभी देशों के मानव समाज
का एक वर्ग राष्ट्रवाद, स्नेह, भ्रातृत्व और वैश्विक परिवार/वसुधैव कुटुंब की प्राप्ति महसूस कर रहा है। - नेशनल फाउंडेशन फॉर एजुकेशन एंड रिसर्च ( NAFER) – उस प्राधिकृत संस्थान का नाम,
जो गठबंधन द्वारा शिक्षण और प्रशिक्षण के लिए गठबंधन के विभिन्न तकनीकी पदों की भर्ती के लिए अधिकृत है, जो
पाठ्यक्रम तैयार करने, परीक्षा आयोजित करने और योग्यता का प्रमाण पत्र देने का काम करता है। - पराराजनीतिक –आपसी समझ का वह स्तर जहां से विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच समानता को समझा जा सकता है
और इसके परिणामस्वरूप निष्पक्ष संबंध स्थापित किए जा सकते हैं और उन दलों और उनके पदाधिकारियों के बीच निष्पक्ष
व्यवहार किया जा सकता है। एक परा-राजनीतिक व्यक्ति विभिन्न राजनीतिक दलों और उनके पदाधिकारियों की सामूहिक शक्ति
उत्पन्न कर सकता है। - प्रारंभिक सदस्य -प्रारंभिक सदस्य गठबंधन के संविधान के अनुसार परिभाषित किए गए हैं।
- प्रांत- यानी राज्य – किसी भी देश के संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त प्रांतीय क्षेत्र।
- प्रतिनिधि विचार – विभिन्न मत, किसी व्यक्ति द्वारा राजव्यवस्था और आर्थिक प्रणाली से संबंधित; किसी
भी सामाजिक रूप से मान्यता प्राप्त विचारक से संबंधित, व्यक्तियों के समूह से संबंधित समाज द्वारा या जन्मजात
वैचारिक बिंदु और दृष्टिकोण; - क्षेत्र- केंद्रीय समिति के कार्यों को सुविधाजनक बनाने के लिए केंद्रीय कार्यकारी समिति द्वारा
सीमांकित एक प्रांत या एक से अधिक प्रांत के क्षेत्र का हिस्सा। - दक्षिणपंथी -अतीत की संस्कृति से प्यार करने वाला एक व्यक्ति जो महसूस करता है कि समाज कम
परेशानियों से अधिक परेशानी की स्थिति में है, प्रकाश से अंधेरे की ओर जा रहा है, विकसित से अविकसित अवस्था में जा
रहा है। दक्षिणपंथी लोगों के दो प्रकार हैं-सांस्कृतिक दशिंपंथी और आर्थिक दक्षिणपंथी। - पराराष्ट्रीय – आपसी समझ का एक स्तर जहां विभिन्न देशों के बीच समानता देखी जा सकती है और
परिणामस्वरूप निष्पक्ष संबंध स्थापित किए जा सकते हैं और उन देशों के बीच निष्पक्ष व्यवहार किया जा सकता है। एक
परा-राष्ट्रीय व्यक्ति विभिन्न देशों के राजनीतिक दलों, संगठनों और नागरिकों से सामूहिक शक्ति उत्पन्न कर सकता है। - क्षैतिज समन्वयक परिषद – दो ऊर्ध्वाधर निकायों के क्षैतिज संघर्षों को हल करने के लिए गठबंधन संगठन
के दो क्षैतिज स्तरों के बीच स्थित समन्वयक परिषदें। - शक्ति का क्षैतिज पृथक्करण -‘शक्ति के घटक’ नामक विज्ञान और इंजीनियरिंग के ज्ञान द्वारा राज्य की
शक्ति के पृथककरण सिद्धांत को सुधारने और ठीक करने का काम। समकालीन दुनिया में शक्ति के पृथककरण में केवल ऊर्ध्वाधर
घटक को अपनाया जाता है, शक्ति का क्षैतिज घटक दुर्भाग्य से छूट जाता है। इसलिए राज्य शक्ति के पृथक्करण की पारंपरिक
अवधारणा को ठीक करके, प्रांतों से राष्ट्र राज्य या देश स्तर तक समकालीन दो मंज़िला प्रणाली के बजाय प्रांतीय से
वैश्विक स्तर तक पांच मंज़िला शासन प्रणाली की स्थापना। - ग्राम संसदीय निर्वाचन क्षेत्र- वतनी स्तर के मामलों के लिए भारतीय इकाई से संबंधित गठबंधन की इकाई
की आम सभा का निर्वाचन क्षेत्र। यह भारत में दो पड़ोसी लोकसभा संसदीय क्षेत्रों का क्षेत्र होगा, जैसा कि गठबंधन की
केंद्रीय कार्यकारी समिति द्वारा सीमांकित किया गया है। इसे हाउस ऑफ़ विलेज या ग्राम संसदीय निर्वाचन भी कहा जाता
है। - मतदाता- वयस्क नागरिक, जिनका नाम भारत निर्वाचन आयोग द्वारा बनाई गई मतदाता सूची में दर्ज है। जो
राज्य की विधायिका का गठन करने के लिए वोट करते हैं। - वोटर कौंसिलर –गठबंधन के संविधान के बारे में तकनीकी रूप से प्रशिक्षित वह व्यक्ति, जिसने गठबंधन
के 4 सक्रिय सदस्य संगठनों को गठबंधन में भर्ती होने में मदद की है। - मतदाता संसदीय निर्वाचन क्षेत्र – राष्ट्रीय स्तर के मामलों की भारतीय इकाई से संबंधित गठबंधन की
इकाई की साधारण सभा का निर्वाचन क्षेत्र। यह भारत में चार पड़ोसी लोकसभा संसदीय क्षेत्रों का क्षेत्र होगा, जैसा कि
गठबंधन की केंद्रीय कार्यसमिति द्वारा सीमांकित किया गया है। इसे मतदाताओं का निर्वाचन क्षेत्र या लोक सभा का
निर्वाचन क्षेत्र या मतदाताओं की संसद का निर्वाचन क्षेत्र भी कहा जाता है। - वोटरशिप – मतदाताओं की सामूहिक संपत्ति के सकल घरेलू किराए में उनके हिस्से के रूप में सरकार
द्वारा भेजी गई मतदाताओं द्वारा नियमित रूप से प्राप्त नकद राशि। - शून्य सदस्य संगठन- गठबंधन के संविधान के अनुसार परिभाषित गठबंधन के वे सदस्य; जो गठबंधन के
संविधान के कुछ प्रावधानों के प्रति उदासीन हैं, या अपनी सुविधानुसार गठबंधन के साथ अनियमित सहयोग करते हैं, या
गठबंधन के शाब्दिक विरोधी हैं, लेकिन उनके नाम गठबंधन के शून्य सदस्यता रजिस्टर में लिखे गए हैं। - हेमी-नेशन – पूर्वी या पश्चिमी आधी दुनिया या गोलार्द्ध (hemisphere) का क्षेत्र है। हिन्दी में
प्रराष्ट्र । - राष्ट्र- दुनिया के सभी देशों का या सम्पूर्ण पृथ्वी का राजनीतिक क्षेत्र। पूर्वी और पश्चिमी
प्रराष्ट्र का संयुक्त क्षेत्र। - वतन- पड़ोसी देशों के सामूहिक क्षेत्र का एक ब्लॉक या समूह है। अंग्रेजी में Homeland।
हेमी-राष्ट्रों का घटक। - द्वैताद्वैत (मोनो-द्वैतवादी) संप्रभुता का सिद्धांत- भारत के समकालीन राजनीतिक दार्शनिक श्री
विश्वात्मा द्वारा प्रतिपादित संप्रभुता की अवधारणा। - राजनीतिक और सामाजिक वित्तपोषण – राजनीति की अर्थव्यवस्था
अनुसूची – 2
गठबंधन की विभिन्न क्षैतिज इकाइयों की कार्य सूची
केंद्रीय कार्यसमिति की कार्य सूची
गठबंधन की केन्द्रीय कार्य समिति 5 क्षैतिज कार्यसमितियाँ बनाने और निम्न कार्य करेगी –
- कार्यसमितियों में समन्वय
- कार्यसूची में बदलाव, कार्यों का जोड़ना एवं रद्द करना
- अधिकार, कर्तव्य और आदर्शों का निर्धारण
- पदाधिकारियों का आपसी स्थानांतरण
- किसी क्षैतिज समिति के आवेदन पत्र को स्वीकार करना, समिति में बदलाव करना या उसको रद्द करना।
परादेशिक कार्यसमिति की कार्य सूची
- राजनीतिक सत्ता के विकेंद्रीकरण संबंधी विधियों का निर्माण और उनका कार्यान्वयन
- आर्थिक संसाधनों को भविष्य के लिए सुरक्षित रखना।
- चरित्र निर्माण के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन करना।
- बाजार को शक्तिशाली बनाना।
- परंपरागत जीवन मूल्यों का प्रचार प्रसार करने वाले प्रवचन कार्यों संतों और प्रवक्ताओं का सशक्तिकरण करना।
- जनसंख्या वृद्धि दर पर अंकुश लगाना।
- क्षेत्रीय संस्कृतियों की सुरक्षा के लिए प्रदेश सरकारों को वीटो पावर।
देश स्तरीय कार्यसमिति की कार्य सूची
- देश के ब्लॉक के प्रबंधन की आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करना।
- राज्य की सत्ता के ऊर्धवाधर पृथक्करण के लिए संस्थागत अध: संरचना विकसित करना।
- वोटर से अधिकार के माध्यम से देश की कुल एकत्रित कर राशि में सभी वोटरों को भागीदार बनाना।
- गावों/वार्डों की प्रबंध कमेटी के सदस्यों की निजी आर्थिक आवश्यकताओं को पूरी करना, जिससे उनकी कार्य क्षमता बढ़
सके। - वोटरशिप अधिकार को कानूनी मान्यता दिलाने के लिए अपेक्षित सामाजिक व राजनीतिक ध्रुवीकरण, संसदीय और विधानसभा चुनावों
पर आने वाले व्यय का प्रबंध करने के लिए समाज से जो कर्ज या वापसी योग्य अनुदान लिए जाएंगे, उनको वापस करने के लिए
संसद से वित्त विधेयकों को पारित कराना। खास करके उन कर्ज़ों को और वापसी योग्य अनुदानों को विधेयकों द्वारा वापस
कराना, जो वोटरशिप अधिकार दिलाने के उद्देश्य से उन संगठनों बैंकों संस्थाओं द्वारा लिए गए होंगे, जो गठबंधन द्वारा
कर्ज या वापसी योग्य अनुदान लेने के लिए अधिकृत हों। वापसी की ब्याज दर देश की केंद्रीय ब्याज दर से अधिक हो, जिससे
कर्ज देना लोग पसंद करें और परिणामस्वरूप समाज के बहुसंख्यक लोग आर्थिक गुलामी से मुक्त हो सकें। - वोटरशिप के कानून में इस बात का प्रावधान करना कि वोटरशिप रकम का 5% वोटर मीडिया को सेवा शुल्क के रूप में प्राप्त
हो सके। यह रकम केवल उन वोटर मीडिया को प्राप्त हो, जो गठबंधन द्वारा अधिकृत संगठनों, राजनीतिक दलों, फर्मों और
कंपनियों द्वारा मान्यता प्राप्त हो। - लोकसभा चुनावों में न्यूनतम सीमा से अधिक वोट प्राप्त करने वाले प्रत्याशियों के लिए सामाजिक और राजनीतिक वित्तीय
व्यवस्था का कानूनी प्रावधान करना। - रेलगाड़ियों में केवल वोटर कार्ड के आधार पर बैठने वाली सीटों पर आरक्षण देकर वोटरों का कार्यक्षमता और आत्म सम्मान
बढ़ाना और परिणाम स्वरूप सकल घरेलू उत्पाद बढ़ाना। - व्यापार और तटकर पर सामान्य समझौता यानी गैट समझौते के दौरान तय किए गए सामाजिक मुद्दों को आगे बढ़ाना। गैट समझौते
के कारण पैदा हुई और बढ़ी हुई समस्याओं के समाधान के लिए नई अंतरराष्ट्रीय संधि के लिए काम करना। श्रमिकों, विश्व
नागरिकों, परा-राष्ट्रीय संतो और राजनीतिज्ञों के विश्वव्यापी बेरोकटोक आवागमन सुनिश्चित करने के लिए राज व्यवस्था
और अंतरराष्ट्रीय राज व्यवस्था के उदारीकरण के लिए अपेक्षित नई अंतर्राष्ट्रीय संधियों और नए कानूनों को बनाने के
लिए काम करना। - गरीबी रेखा के नीचे के उन लोगों को जीवन में कम से कम एक बार कम से कम 200 किलोमीटर की हवाई यात्रा की सुविधा मुफ्त
देना, जिससे प्रत्येक वोटर में राष्ट्र के प्रति प्रेम पैदा हो सके। - प्रभुसत्ता के द्वैताद्वैत सिद्धांत के अनुरूप राज्य के आकार और ढांचे की पुनर्रचना करना।
अखिल भारतीय कमेटी की कार्य सूची
- भारत देश को इतना मजबूत देश बनाना कि दुनिया के सभी पिछड़े देश और अन्य सभी देशों के सभी नागरिक भारत को अपना
वैश्विक अभिभावक मानने लगें। - भारत के संविधान के अनुच्छेद 38, 39 और 51 को लागू करने के लिए नए कानून बनाना।
- वोटरशिप अधिकार विधेयक के माध्यम से सभी लोगों के हाथों को रोजगार देने की बजाय सभी लोगों के दिमाग को रोजगार देने
की नीति लागू करना। - अरबपतियों के बच्चों को बिना परिश्रम और बिना कार्य किए अरबपति बनने से रोकने की नीति के तहत उन पर ऊंची दर से कर
लगाना और उत्तराधिकार में प्राप्त होने वाली संपत्ति की सीलिंग करने के लिए कानूनी प्रावधान करना और गरीबी रेखा की
तरह अमीरी रेखा भी बनाना, जिससे कोई भी व्यक्ति आर्थिक रूप से इतना ताकतवर न बनने पाए कि वह राजनीतिक चंदे के माध्यम
से सत्ताधारी राजनीतिक दलों और मीडिया को अपना गुलाम बना सके। - विदेशी कर्ज वापस करने, आर्थिक विषमता को नियंत्रित करने और देश की संपत्तियों से अधिक से अधिक उत्पादन लेने के लिए
नए प्रत्यक्ष कर प्रणाली के लिए कानूनी प्रावधान करना। - अनुसूचित और अन्य पिछड़े वर्गों को समावेशी नीति के तहत आरक्षण देना।
- सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों में और शैक्षिक संस्थानों में, जो भी आरक्षण लागू हैं, उन सब में क्रीमी लेयर के
कानूनी प्रावधान लागू करना। - निजी क्षेत्र में भी अनुसूचित जातियों और जनजातियों तथा ओबीसी को उसी प्रकार आरक्षण देना, जिस प्रकार सरकारी क्षेत्र
में इस वर्ग को आरक्षण प्राप्त है। - कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका में निम्न आर्थिक वर्ग और मध्यम वर्ग का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए
इन वर्गों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में राज्य के उक्त तीनों ही घटकों को आरक्षण देना। - पार्टी अध्यक्षों को प्राप्त व्हिप जारी करने का अधिकार समाप्त करना, जिससे पार्टी अध्यक्ष राजनीतिक चंदा देने वाले
अरबपतियों की कठपुतली की तरह काम करने की बजाय वोटरों के हितों के लिए काम करने में सक्षम हो सकें। - चिकित्सा के क्षेत्र में जिस प्रकार विशेषज्ञता प्रचलित है, उसी प्रकार राजनीति और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में
विशेषज्ञता विकसित करने के लिए कंपनी पंजीकरण अधिनियम और राजनीतिक दल पंजीकरण अधिनियम संशोधन करके पार्टियों और
कंपनियों को एक ही राज्य, क्षेत्र और एक ही उत्पादन स्तर की राजनीतिक गतिविधियों तक सीमित करना। - राजनीतिक पार्टियां समाज को तोड़ने का कार्य न कर पाएं, इसके लिए वोटरों को बहुदलीय सदस्यता का अधिकार देने के लिए
कानूनी प्रावधान करना। - दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए साझे शासन प्रशासन की स्थापना करना-
14.1. देश के नागरिकों की परादेशिक जरूरतों को पूरी करने के लिए और देश को विदेशों के कुप्रभावों से
बचाने के लिए चीन सहित नौ दक्षिण एशियाई देशों के परिक्षेत्र को एक वतन के रूप में विकसित करने के लिए पहले से मौजूद इस
क्षेत्र की राष्ट्रीयता को कानूनी मान्यता देना तथा इस राष्ट्रीयता को सशक्त करना।
14.2. दक्षिण एशियाई वतन के देशों का अंतरिम चुनाव आयोग, अंतरिम संसद, सरकार, न्यायालय और करेंसी नोट
जारी करने वाला अन्तरिम केंद्रीय बैंक बनाना और इन सब को संबंधित देशों की सरकारों से संधियों के माध्यम से मंजूरी लेना।
14.3. गरीबी के खात्मे, प्रगति को गतिशील बनाने और विश्व की शांति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से गरीबी
और भागीदारी पर वैश्विक समझौता (गैप) के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संधि का प्रारूप तैयार करना और उस संधि को विश्व के सभी देशों
से मंजूरी दिलाना
- अपने देश की सेना पर मंडराते खतरे को कम करने के लिए देश के नागरिकों को दूसरे देशों में धंधा-व्यवसाय करने का और
दूसरे देशों के लोगों को जनप्रतिनिधि के रूप में चुनने का अधिकार दिलाना। - स्वयं द्वारा घोषित पूरे विश्व के सभी देशों के वैश्विक वोटरों को पूरे विश्व का साझा शासक चुनने के लिए वोट का
अधिकार दिलाना। - गैप नाम की संधि को पूरे विश्व के देशों की सरकारों से मंजूरी दिलाकर संयुक्त राष्ट्र संघ को संयुक्त राष्ट्रीय
सरकार का दर्जा दिलाना। - आधे संसार के स्तर पर बनने के लिए प्रस्तावित परिवारों की सरकार यानी प्रराष्ट्रीय सरकार के सांसदों का चुनाव करने
के लिए सभी परिवारों के मुखिया लोगों को वोट देने का अधिकार दिलाना। - चौथाई विश्व के स्तर पर बनाने के लिए प्रस्तावित पड़ोसी देशों के परिसंघ यानी वतन की सरकार के सांसदों के चुनाव में
सभी गावों/वार्डों के मुखिया लोगों को वोट देने का अधिकार दिलाना। - देश का प्रधानमंत्री चुनने के लिए सांसदों के साथ-साथ देशभर के ब्लॉकों की प्रबंध समितियों को भी वोट देने का अधिकार
दिलाना, जिससे राजनीतिक सत्ता का और अधिक विकेंद्रीकरण संभव हो सके। - गैप नाम की अंतरराष्ट्रीय संधि को पूरे संसार के देशों की सरकारों द्वारा मान्यता दिलाना, जिससे द्विस्तरीय शासन की
बजाय 5 स्तरीय शासन व्यवस्था कायम की जा सके। - गैप संधि को मान्यता दिला कर सशर्त वतनी नागरिकता और सशर्त वैश्विक नागरिकता प्राप्त करने का अधिकार लोगों को
दिलाना। - गैप संधि को मान्यता दिला कर दक्षिण एशियाई संसद और विश्व की साझा संसद के संविधान को मान्यता दिलाना।
- सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के दुष्प्रचार और दुरुपयोग को देखते हुए और हिंसा और असहिष्णुता में विश्वास
करने वाले समुदायों के दुर्भाग्यपूर्ण विकास को देखते हुए भारत में संभावित जातीय और सांप्रदायिक हिंसा रोकने तथा
भारत के पड़ोसी देशों के साथ युद्ध में फंसने से बचाने के लिए काम करना।
वतनी कार्यसमिति/वतनी मामलों की कार्यसमिति की कार्यसूची
- विनिमय से संबंधित नीतियां और कानून बनाना;
- परादेशिक इकाइयों और राष्ट्रीय इकाई के बीच समझौते संपन्न कराते रहना;
- वतनी क्षेत्र की नागरिकता संबंधी नियम बनाना और वतनी क्षेत्र के देशों के बीच आवागमन बेरोकटोक बनाने के लिए वीजा
संबंधी नियमों का खात्मा करना।
प्रराष्ट्रीय कार्यसमिति/प्रराष्ट्रीय स्तर के मामलों की कार्यसमिति की कार्यसूची
- पूर्वी प्रराष्ट्रीय कार्यसमिति की कार्य सूची
- आर्थिक लोकतंत्र और वितरण के न्याय की स्थापना करना, पोषण करना, सुरक्षा करना;
- प्रादेशिक संस्कृतियों में मौजूद सार्वत्रिक मूल्यों की सुरक्षा करना, समकालीन राजनीतिक आर्थिक जरूरतों के अनुरूप नए
जीवन मूल्यों की रचना करना; - प्रराष्ट्रीय नागरिकता के कानूनों का सृजन करना और प्रराष्ट्रीय क्षेत्र के सभी देशों के बीच आवागमन बेरोकटोक बनाने
के लिए वीजा संबंधी नियमों को समाप्त करना।
- पश्चिमी प्रराष्ट्रीय कार्यसमिति की कार्यसूची
- विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का स्तर बनाए रखना और इसको बढ़ाते रहना।
- पूरे संसार में राजनीतिक लोकतंत्र का विस्तार करना।
- प्राकृतिक नियमों के अनुरूप सामाजिक मूल्यों का सृजन करना और पहले से प्रचलित विभिन्न समुदायों द्वारा अपनाए गए
सामाजिक मूल्यों की सुरक्षा करना।
राष्ट्रीय कार्यसमिति/राष्ट्रीय मामलों की कार्यसमिति की कार्यसूची
- सभी प्रकार की संपत्तियों टैक्स की राशि और उत्पादन के साधनों पर सीधे वोटरों को नियंत्रण और स्वामित्व देना, जिससे
आर्थिक सत्ता का विकेंद्रीकरण संभव हो सके और आर्थिक विकेंद्रीकरण का पोषण संभव हो सके। - लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाकर गरीबी का उन्मूलन करना।
- धर्मनिरपेक्ष शासन की सुरक्षा करना पोषण करना और विकास करना।
- प्रत्यक्ष करों की व्यवस्था का सृजन करना और उन्हें लागू करना।
- मुद्रा व्यवस्था को सोने से असंवृद्ध करना और उसको लागू करना।
- तकनीकी प्रतिस्पर्धा में उतरना।
- वोटरों के आत्मसम्मान और उनके राजनीतिक और आर्थिक अधिकारों की सुरक्षा करना, पोषण करना और बढ़ाना।
- राजनीतिक केंद्रीकरण और आर्थिक विकेंद्रीकरण संबंधी नियमों का सृजन करना और उनको लागू करना।
- वर्तमान पीढ़ी के लिए अधिक से अधिक प्राकृतिक संसाधनों का उत्पादन करना।
- समाज प्रबंधन के प्रभावशाली नियमों द्वारा विश्व समाज का प्रबंधन करना।
- समाज की मशीनरी को सशक्त करना।
- भविष्योंमुख सांस्कृतिक मूल्यों के प्रचारकों, संतो और प्रवक्ताओं का सशक्तिकरण करना।
- सामाजिक, आर्थिक या शैक्षिक हैसियत को बिना देखे जनसंख्या में सभी को आजीविका के लिए अपेक्षित संसाधन उपलब्ध करना।
- प्रभुसत्ता के अद्वैत सिद्धांत के अनुरूप राज्य के ढांचे का पुनर्समायोजन करना और उसके लिए कानूनी प्रावधान करना।
- वैश्विक नागरिकता के लिए और वीजा प्रावधानों के खात्मे के लिए अपेक्षित कानूनों का सृजन करना और उनको लागू करवाना।
- मानवाधिकारों विशेषकर आर्थिक मानवाधिकारों की सुरक्षा करना पोषण करना और बढ़ाना।
केंद्रीय कार्यसमिति की कार्य सूची
- ऊर्ध्वाधर इकाइयों की कार्यसूची संबंधी नियम बनाना, उनके बीच के आपसी विवादों का निपटारा करना तथा इन नियमों को
समन्वय परिषद द्वारा लागू कराना
अनुसूची 3
ऊर्ध्वाधर इकाइयों के कोष के बंटवारे संबंधी प्रावधान
- प्राथमिक सदस्यता संबंधी रकम – सभी मदों पर होने वाले व्यय को देखते हुए प्राथमिक सदस्यता
शुल्क/न्यूनतम चंदा राशि निम्नवत होगी-
वित्तीय वर्ष | शुल्क/न्यूनतम चंदे की राशि |
वर्ष 2012-13 | रु. 20/- |
वर्ष 2013-14 से 2014-15 | रु. 50/- |
वर्ष 2015-16 से 2017-20 | रु. 150/- |
वर्ष 2020-21 से 2024-25 | रु. 350/- |
केंद्रीय कमेटी के पास प्राथमिक सदस्यता शुल्क/ न्यूनतम चंदे की राशि में संशोधन करने का अधिकार होगा
- सक्रिय सदस्यता शुल्क/न्यूनतम चंदा राशि की रकम
वित्तीय वर्ष 2012-13 से 2017-18 के बीच सक्रिय सदस्यता शुल्क/सक्रिय सदस्यता के लिए न्यूनतम चंदा राशि इस प्रकार होगी
इकाई | शुल्क/न्यूनतम चंदे की राशि |
राष्ट्रीय मामलों की इकाई | रु. 25/- |
प्रराष्ट्रीय मामलों की इकाई | रु. 50/- |
वतनी मामलों की इकाई | रु. 75/- |
अखिल भारतीय इकाई | रु. 100/- |
प्रादेशिक इकाई | रु. 150/- |
केंद्रीय कमेटी के पास सक्रिय सदस्यता शुल्क/ न्यूनतम चंदे की राशि में संशोधन करने का अधिकार होगा
विविध ऊर्ध्वाधर इकाइयों में धनराशि के वितरण संबंधी प्रावधान
प्राथमिक सदस्यता शुल्क/प्राथमिक सदस्यता के लिए आवश्यक न्यूनतम चंदा या गठबंधन कोष में प्राप्त चंदे की धनराशि में विविध
ऊर्ध्वाधर इकाइयों का हिस्सा निम्नलिखित नियमानुसार होगा-
- क्षेत्रीय कार्यसमितियां, जो धन केंद्रीय समिति से या जिला समितियों से या सीधे प्राथमिक/ सक्रिय सदस्यों से प्राप्त
करेंगे उसको निम्नलिखित नियमों के अनुसार वितरित करेंगे